झांसी की महिला की संघर्ष भरी कहानी: 400 किलोमीटर दूर जाकर मिला बेटी को जीवनदान

Struggle story of a woman from Jhansi
बघौला के श्री सत्यसाई संजीवनी अस्पताल में बच्ची के सफल ऑपरेशन के बाद महिला ने ली चेन की नींद
भावुक महिला ने कहा कि मैंने भगवान तो कभी नहीं देखे, लेकिन भगवान के रूप में डॉक्टर जरूर देखे हैं
पलवल। दयाराम वशिष्ठ: Struggle story of a woman from Jhansi: जब एक माँ अपने बच्चे के स्वास्थ्य की चिंता करती है, तो वह किसी भी हद तक जा सकती है। झांसी की रहने वाली कर्ज में डूबी एक महिला ने साहस का परिचय देते हुए अपनी एक महीने की नवजात बच्ची का इलाज कराने घर से 400 किलोमीटर दूर पहुंची। यह दिल दहला देने वाली कहानी बघौला के श्री सत्य साई संजीवनी अस्पताल से जुड़ी है, जहां डॉक्टरों ने न सिर्फ नवजात बच्ची के दिल का सफल ऑपरेशन किया, बल्कि उसकी माँ को भी एक नई उम्मीद दी। बच्ची के सफल ऑपरेशन से भावुक महिला ने संवाददाता से कहा कि उसने आज तक कभी भगवान तो नहीं देखे, लेकिन इस अस्पताल में भगवान के रूप में डॉक्टर जरूर देख लिए।
झांसी के बरूआ सागर गांव की महिला वंदना ने 11 जुलाई को एक बच्ची को जन्म दिया। पति रेहडी पटरी लगाकर परिवार का गुजर बसर करते हैं। सात दिनों बच्ची सही रही। इसके बाद अचानक बच्ची का पेट फूला और सांस की दिक्कत शुरू हो गई। बच्ची की हालत बिगडती देख महिला व उसके पति घबरा गए। महिला ने सेल्फ हेल्प ग्रुपों से 90 हजार रूपये का ऋण लेकर झांसी के विभिन्न अस्पतालों में इलाज कराया। इस दौरान घर में रखी पूंजी भी इलाज में खत्म हो गई। तडपती बच्ची को देख महिला व उसके परिवारवालों के पास रोने के सिवाय कुछ नहीं था। महिला ने अपनी दुखभरी कहानी बताते हुए कहा कि बच्ची के इलाज के लिए उसने झांसी के सरकारी से लेकर प्राईवेट तक सभी बडे सात अस्पताल छान मारे, लेकिन हालत में कोई सुधार नहीं हो सका। यहां तक कि कुछ डॉक्टरों ने यह कहकर डरा दिया कि इस बच्ची को करीब पांच गंभीर बीमारी है, इसके चलते वह पैरों से भी नहीं चल पाएगी। महिला की यह कहानी झांसी और उसके आसपास के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति को उजागर करती है।
यू ट्यूब का सहारा लेकर महिला पहुंची बघौला के श्री सत्य साई संजीवनी अस्पताल
कर्ज में डूबी महिला ने 23 रात बिना सोए गुजारी। वह केवल अपनी बच्ची के स्वास्थ्य की चिंता करती रहती। लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। ग्रेजुएट पास महिला ने यू ट्यूब का सहारा लिया और ऐसे अस्पताल की खोज की, जहां बच्ची के हार्ट की बीमारी का निशुल्क इलाज हो। इस दौरान उसे श्री सत्य साई संजीवनी अस्पताल के बारे में जानकारी मिली। महिला अपनी एक महीने की बच्ची को लेकर बघौला के इस अस्पताल पहुंची। डॉक्टरों ने एमरजेंसी में बच्ची को दाखिल कर जांच शुरू कर दी। कॉर्डियोलोजिस्ट एचओडी डॉक्टर परमवीर सिंह के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने बच्ची की गंभीर हालत देख तुरंत ऑपरेशन करने का निर्णय लिया। जहां दो घंटे के सफल ऑपरेशन कर डॉक्टरों ने बच्ची को जीवन दान दिया।
सफल ऑपरेशन के बाद महिला ने ली चेन की नींद
भावुक महिला ने बताया कि वह 23 दिनों तक सो नहीं सकी। बच्ची के सफल ऑपरेशन के बाद उसने अस्पताल में चेन की नींद ली। अस्पताल के डॉक्टरों व व्यवस्था से खुश महिला ने कहा कि यहां सभी डॉक्टर स्टाफ अच्छे से बात करते हैं, जबकि झांसी के अस्पतालों का उनका अनुभव सही नहीं रहा। महिला के मुताबिक वहां के कुछ डॉक्टर बदतमीजी से बात करते थे। बघौला के अस्पताल में डॉक्टरों की तत्परता और निःशुल्क उपचार की खबरें दिल को छू लेने वाली हैं।
सत्य सांई अस्पताल के कॉर्डियोलोजिस्ट डॉ. परमवीर सिंह ने बताया, "जब महिला अपनी बच्ची के साथ हमारे पास आई, तो उनका मनोबल टूटा हुआ था। ऑपरेशन के बाद अब उनकी बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ है। यह एक टीम का काम था, जिसमें नर्सिंग स्टाफ से लेकर अन्य चिकित्सक शामिल थे। महिला की यह कहानी इस बात का उदाहरण है कि कैसे एक माँ की समर्पण और संघर्ष से किसी की जिंदगी बचाई जा सकती है।