हरियाणा में 18 साल की लड़की ने संसार की मोह-माया छोड़ी; जैन साध्वी बनने जा रही, मां ने आखिरी बार दुल्हन की तरह सजाया, रस्में हो रहीं

Haryana Labdhi Jain Sadhvi

Haryana 18 Year Old Girl Labdhi Jain Become Jain Sadhvi Story

Haryana Labdhi Jain Sadhvi: किसी व्यक्ति का मन जब आध्यात्मिक यात्रा के लिए वैराग्य की ओर अग्रसर हो जाए तो फिर वह संसार के बंधनों में रुकता नहीं है। वह सबकुछ छोड़ और मोह-माया तोड़ निकल पड़ता है परमात्मा को पाने की ओर। हरियाणा में सोनीपत जिले की रहने वाली 18 साल की एक लड़की के साथ ऐसा ही कुछ हुआ है। जो अब संसार की मोह-माया छोड़ जैन साध्वी बनने जा रही है। 18 साल की इस लड़की का नाम लब्धि जैन है। लब्धि जैन का भव्य दीक्षा समारोह रोहतक में 5 जून को होगा।

लब्धि जैन को दुल्हन की तरह सजाया गया

जैन साध्वी बनने से पहले लब्धि जैन को आखिरी बार सारी खुशियां देने की कोशिश की जा रही है। लब्धि जैन को दुल्हन की तरह सजाया गया है। गाजे-बाजे और मंगल गीतों के साथ लब्धि जैन के साथ शादी जैसी सारी रस्में अदा की जा रहीं हैं। साथ ही साध्वी बनने से पहले जो भी जरूरी प्रक्रियाएं होती हैं, उन प्रक्रियाओं का भी पालन किया जा रहा है. जैन साध्वी बनने की ओर कदम बढ़ा चुकीं लब्धि जैन अब जल्द ही संसार की मोह माया को‎ त्याग कर आध्यात्मिक यात्रा के लिए‎ निकल पड़ेंगी।‎ डॉ. शिव मुनि लब्धि को आशीर्वाद देंगे।

मां ने आखिरी बार दुल्हन की तरह तैयार किया

जब ‎भी लड़की कोई जैन साध्वी बनती है तो वह ये तमाम रस्में अपने जीवन काल में एक ही बार‎ करती है। ऐसे ही जैन साध्वी बनने से पहले लब्धि जैन के जीवन में भी 4 जून तक प्रतिदिन रस्में चलेंगी। इसके बाद लब्धि 5 जून को दीक्षा लेते ही संसार से पूरी तरह विरक्त होकर और सभी भौतिक सुखों का त्याग कर हमेशा के लिए सन्यासी बन जाएंगी। लब्धि जैन के माता-पिता के साथ उनका परिवार काफी बड़ा है। इससे पहले लब्धि की बड़ी बहन ने भी दीक्षा लेकर सन्यासी जीवन अपनाया है।

साध्वी बनने जा रहीं लब्धि की रस्मों के दौरान मां सेंजल और पिता ‎जयप्रकाश की भी मौजूदगी है। मां ने आखिरी बार खुद अपनी बेटी को दुल्हन की तरह सजाया। उनका कहना है कि इस बात का गर्व है कि बेटी धर्म के‎ मार्ग पर चल पड़ी है। वह अपनी बड़ी बहन ज्योतिष मार्तण्ड साध्वी डॉ. महाप्रज्ञ ‎के पद चिन्हों पर चल रही है, जो 15 साल पहले जैन साध्वी बनी थी। अब लब्धि जैन ने संसार से हटकर पूरी उम्र एक सन्यासी जीवन जीने का फैसला कर लिया है। परिवार ने भी लब्धि को सन्यासी मार्ग पर जाने की आज्ञा दे दी है।

दीक्षा के बाद पूर्ण संन्यासी हो जाता है व्यक्ति

हिन्दू और जैन धर्म में 'दीक्षा' एक महत्वपूर्ण घटना है। व्यक्ति जब संसार से मोह भंग कर और माया से दूर जाने के लिए सादगी और पवित्रता का जीवन जीने का फैसला करता है तब वह दीक्षा लेने का अधिकारी हो जाता है। दीक्षा लेने वाला कोई भी व्यक्ति पूर्ण संन्यासी हो जाता है। दीक्षा के बाद, दीक्षार्थी व्यक्ति को साधु या साध्वी बनने पर संन्यासी जीवन शैली ही अपनानी पड़ती है, जो सादगी, संयम और अनुशासन पर आधारित होती है। दीक्षा में भौतिक सुखों और वस्तुओं का दान और त्याग कर दिया जाता है।