Ghaziabad Child Death To Dog Bite| कुत्ता खरोंच भी मारे तो हल्के में न लें; गाजियाबाद की यह घटना देख फट रहा कलेजा

कुत्ता खरोंच भी मारे तो हल्के में न लें; गाजियाबाद के इस VIDEO को देखकर फट रहा कलेजा, पिता की गोद में तड़पकर मर रहा 14 साल का बच्चा

Ghaziabad Child Death To Dog Bite Video News

Ghaziabad Child Death To Dog Bite Video News

Ghaziabad Child Death To Dog Bite: दिल्ली से सटे गाजियाबाद से एक ऐसी घटना सामने आई है। जिसने दिल को दहलाकर रख दिया है। घटना को देखकर कलेजा फटा जा रहा है। दरअसल, यहां 8वीं में पढ़ने वाले 14 साल के एक बच्चे को करीब डेढ़ महीने पहले उसके पड़ोस में पले कुत्ते ने काट लिया था। हालांकि, कुत्ते के काटने से बच्चे के घाव नहीं हुआ। बच्चे को कुत्ते के दांतों से खरोंच जैसी आई। खून भी नहीं निकला। वहीं कुत्ते के काटने वाली बात बच्चा डर की वजह से घरवालों से छुपा गया और अपने दिमाग अनुसार चुपके से दवाई कर ली। इधर जैसे-तैसे बच्चे की खरोंच तो सूख गई। लेकिन बच्चे के अंदर कुत्ते का रैबीज खत्म नहीं हुआ। बच्चे के शरीर में रैबीज का संक्रमण फैलता जा रहा था।

हाल ही के कुछ दिनों में रैबीज के बढ़ते प्रभाव से बच्चे की हालत ऐसी हो गई कि उसे पानी से डर लगने लगा। लार बहने लगी... कुत्ते जैसी हरकतें हो गईं, दर्द से कराहता और खाना-पीना भी लगभग छोड़ दिया। बच्चे में यह सब दिक्कत देख जब घरवाले उसे इलाज के डॉक्टर के पास ले गए तो डॉक्टर ने बच्चे में रैबीज के लक्षण देख उसे दिल्ली के जीटीबी अस्पताल भेज दिया। घरवाले जब बच्चे को लेकर यहां आए तो यहां के डॉक्टरों ने बच्चे को फौरन एम्स अस्पताल ले जाने की सलाह दी। इधर जब घरवाले बच्चे को लेकर एम्स पहुंचे तो यहां डॉक्टरों ने जांच के दौरान उनसे ऐसी बात बोल दी कि उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। एम्स के डॉक्टरों ने बताया कि, बच्चे के पूरे शरीर में दिमाग तक अब रैबीज का संक्रमण फैल चुका है। ऐसे में अब कुछ नहीं किया जा सकता है। रैबीज का यह स्तर लाइलाज होने की वजह से बच्चे का बचना अब मुश्किल है।

लेकिन मां-बाप तो मां-बाप होते हैं, बच्चे को ऐसे कैसे मरता छोड़ देते? डॉक्टरों के हाथ खड़े होने के बाद वह बच्चे को एक वैद्य के यहां लेकर पहुंचे। लेकिन यहां से लौटते समय बच्चे की एंबुलेंस में पिता की गोद में तड़प-तड़पकर मौत हो गई। मौत से पहले बच्चा बहुत ही बुरी तरह से तड़प रहा था। इस बीच बेचारा लाचार पिता रोने के अलावा और कुछ नहीं कर पा रहा था। उसके मन में बार-बार एक ही बात आ रही थी कि काश! मेरे बच्चे तुमने पहले ही कुत्ते के काटने की बात बता दी होती तो तुम मुझे इस कदर छोड़कर न जा रहे होते। क्यों किया तुमने ऐसा?

 

फिलहाल, अब पीड़ित घरवाले इस पूरे मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि, पड़ोस में रहने वाली एक महिला ने कई कुत्ते पाल रखे हैं। जो कि कॉलोनी में घूमते रहते हैं। महिला को कुत्तों को पालने से रोका गया लेकिन वह नहीं मानती। परिणाम यह है कि, उसके पाले हुए कुत्ते लोगों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। घरवालों का कहना है कि, महिला के कुत्तों की वजह से ही उनका हँसता-खेलता बच्चा चला गया। बता दें कि, कॉलोनी के अन्य लोगों में भी अब कुत्तों को लेकर भारी दहशत फैल गई है। यह पूरी घटना गाजियाबाद की चरण सिंह कॉलोनी की है। जिस बच्चे की मौत हुई है उसका नाम शाहवेज था। शाहवेज के पिता याकूब ने बताया कि, वह कबाड़ का काम करते हैं और उनकी पत्नी एक्सपोर्ट हाउस में नौकरी करती हैं। उनके दो बेटों में बड़ा बेटा शाहवेज (14) था।

बहराल, गाजियाबाद की इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक पूरी घटना चर्चा का विषय बनी हुई है। इस घटना के बाद से खासकर दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले लोगों में दहशत का माहौल है। क्योंकि यहाँ सोसाइटी ग्रुप्स में कुत्ते ज्यादा नजर आते हैं, कहीं पालतू तो कहीं आवारा। वहीं दिल्ली-एनसीआर इलाके में पिछले कुछ दिनों में ही कुत्तों के बढ़ते आतंक को भी देखा गया है। ऐसे में इस घटना के बाद लोग जगह-जगह कुत्तों को खाना खिलाने वालों पर गुस्सा जाहिर कर रहे हैं। उन्हें जिम्मेदार ठहराने लगे हैं। इसके साथ ही लोगों की खुंदक सरकार और सिस्टम पर भी निकल रही है।

लोगों का कहना है कि, 14 साल के बच्चे की इस तरह मौत बेहद दर्दनाक है, किसी भी पिता के लिए इससे ज्यादा कष्टकारक कुछ नहीं हो सकता। एक पिता की गोद में उसका पुत्र तड़प-तड़प कर जान दे गया और पिता बेचारा रोने के अलावा कुछ नहीं कर पाया. क्या रेबीज का इलाज संभव नहीं? क्या गुजर रही होगी, सोच कर ही सिहरन होती है। लोगों ने कहा कि, हर सोसायटी में ये समस्या है। बाहरी से लेकर पालतू कुत्तों की वजह से लोगों की दिक़्क़तें बढ़ रही हैं. रात में आप किसी मोहल्ले की सड़कों पर निकल नहीं सकते हैं। जब कुत्ता मालिक से शिकायत करो तो वो लोग सोसायटी के गार्ड या मैनेजर के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज करा रहे हैं थाने में। फिलहाल हमारा सिस्टम भी मर गया है, सरकार भी बहरी है।

कुत्ता खरोंच भी मारे तो हल्के में न लें

हमें गाजियाबाद की इस घटना से सबक लेना चाहिए। कुत्‍ता काटने के 24 घंटे के भीतर ही एंटी रैबी वैक्‍सीन लगवा लेना चाहिए ताकि जीवन सुरक्षित रहे। कई बार रैबीज के लक्षण रोग के अंतिम चरण में पहुंचने तक नहीं दिखते हैं। संक्रमण दिमाग तक पहुंच जाता है तब प्रभाव सामने आता है। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। रैबीज के फैलने से शरीर में जो लक्षण होते हैं उनमें डर लगता है, लार बहती है, निगलने में दिक्कत होती है, पानी का डर, चिंता, भ्रम, अनिद्रा और कई बार दौरे भी पड़ने लगते हैं। फिलहाल, यदि आपको कुत्ते, बिल्ली या बंदर से एक भी खरोंच लग जाए, और भले ही खून न बह रहा हो, फिर भी तुरंत 24 घंटे के भीतर रेबीज वैक्सीन की पहली खुराक ले लें। और सभी माता-पिता के लिए एक बात और कि वह अपने बच्चों को कुत्ते से बचाव की जानकारी दें। इसके साथ ही उनसे इस बारे में बातचीत करें। बच्चों से कहें कि अगर कभी भी कुत्ता काटे तो वे उन्हें सूचित करें। काश, इस बच्चे ने अपने माता-पिता को इस घटना के बारे में बताया होता तो...