Forces need to be more strategic in the changing scenario

Editorial: सेनाओं का बदलते परिदृश्य में और ज्यादा रणनीतिक होना जरूरी

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Forces need to be more strategic in the changing scenario

Forces need to be more strategic in the changing scenario रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का सेना को यह निर्देश उचित ही है कि चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर कड़ी निगरानी रखी जाए। इस समय पीएलए सैनिकों की तैनाती के मद्देनजर उत्तरी क्षेत्र में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। रक्षा मंत्री ने बिना किसी विशेष संदर्भ के, सशस्त्र बलों से दुनिया भर में भू-राजनीतिक परिवर्तनों पर ध्यान देने और तदनुसार अपनी योजना और रणनीतियों को ढालने का आह्वान भी किया है।

चीन की ओर से पिछले कुछ समय से जिस प्रकार की खबरें आ रही हैं, उनको देखते हुए यह जरूरी हो गया है कि भारत अपनी तैयारियों को और सजग करे। देश में रक्षा विशेषज्ञ भी इस तरफ इशारा कर रहे हैं कि चीन के संबंध में भारत की विदेश जहां आक्रामक होनी जरूरी है, वहीं भारत की ओर से तिब्बत को लेकर चीन पर शिकंजा कसे जाने की आवश्यकता है। यह तब है, जब चीन की ओर से हाल ही में अरुणाचल प्रदेश को लेकर बेहद अतिवादी कदम उठाते हुए भारत की संप्रभुता को चुनौती दी गई है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का यह कहना सही है कि देश की सुरक्षा सरकार के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने यह भी कहा है कि सरकार की पूरी कोशिश है कि सीमा पर तैनात हर जवान को बेहतरीन हथियार और सुविधाएं मुहैया कराई जाएं। दरअसल, सेना कमांडरों का पांच दिवसीय सम्मेलन जारी है, जिसमें चीन और पाकिस्तान के साथ सीमाओं पर भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों और बल की युद्धक क्षमता को बढ़ाने के तरीकों पर विचार-विमर्श कर रहा है। जम्मू-कश्मीर का जिक्र करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह शांति और स्थिरता देख रहा है और केंद्र शासित प्रदेश में आतंकवादी गतिविधियों की संख्या में उल्लेखनीय गिरावट आई है। पूर्वोत्तर राज्यों में भी, भारतीय सेना द्वारा चलाए गए अभियानों के बाद आंतरिक सुरक्षा परिदृश्य में काफी सुधार हुआ है।

राजनाथ सिंह का सैन्य कमांडरों से यह आह्वान उचित ही है कि हमें शांति के लिए सरकार के प्रयासों को चुनौती देने वाले राष्ट्र-विरोधी संगठनों के खिलाफ सतर्क रहना होगा। कई अनिश्चितताओं के कारण भविष्य के युद्ध अत्यधिक अप्रत्याशित होंगे। आज के बदलते दौर में खतरों और हथियारों का दायरा काफी व्यापक हो गया है। इसके अनुसार अपनी रक्षा तैयारियों का आकलन करने की जरूरत है। दरअसल, वास्तविक समय की खुफिया जानकारी का अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग सुनिश्चित करने की आवश्यकता है ताकि हम भविष्य में ऐसी किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार हो सकें। प्रत्येक सैनिक और पूर्व सैनिकों का कल्याण और भलाई भी सरकार का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य होना चाहिए।

सरकार सशस्त्र बलों के लिए उसी तरह लगन से काम कर रही है जैसे देश की सुरक्षा के लिए सशस्त्र बल काम कर रहे हैं। भारतीय विदेश नीति का मौजूदा समय में जहां डंका बज रहा है, वहीं भारतीय सेना ने पिछले कुछ समय के दौरान देश की सीमाओं पर जिस प्रखरता का परिचय दिया है, वह निश्चित रूप से देश को गौरवान्वित कर रहा है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर अपने तीखे, स्पष्ट और कम शब्दों में ज्यादा वाले बयानों के लिए चर्चा में रहते हैं। अब उनका यह बयान भी बेहद प्रशंसनीय है कि आज का भारत अपने तिरंगे को नीचे उतारा जाना बर्दाश्त नहीं करेगा। पिछले दिनों लंदन में जिस तरह चंद लोगों ने खालिस्तान का झंडा लेकर तिरंगे का अपमान करने की कोशिश की, उस घटना से दुनियाभर में बसे भारतीयों का खून खौलने लगा था। जाहिर है, राष्ट्र ध्वज से हर शख्स खुद को जोड़ता है।

 गौरतलब है कि यूक्रेन संघर्ष के समय भी देश पर कुछ पश्चिमी देशों की तरफ से काफी दबाव आया था, ये देश चाहते थे कि वे तो रूस से तेल और ईंधन अपनी जरूरत के हिसाब से खरीदते रहे लेकिन हमसे चाहते थे कि हम भारतीय हितों का बलिदान कर दें। लेकिन केंद्र सरकार डटी रही। इसके बाद दुनिया के तमाम देशों ने भारत के इस रुख का सम्मान किया। और यूक्रेन-रूस युद्ध छिड़ने के बाद यूक्रेन में फंसे भारतीय और दूसरे देशों के मेडिकल स्टूडेंट को निकालने के लिए जिस प्रकार रूस-यूक्रेन ने युद्ध रोक दिया था, वह भी भारत की कूटनीति और उसकी वैश्विक पहचान का शानदार उदाहरण है।

निश्चित रूप से यह प्रत्येक भारतीय के लिए सम्मानीय बात है कि आज हम विश्व में अपनी पहचान कायम कर पाने में कामयाब हो रहे हैं। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और उसका वैश्विक समाज के प्रति योगदान जगजाहिर है। भारत की यह शाख लगातार बढ़ाई और कायम रखी जानी चाहिए। मौजूदा समय में भारतीय सेना और विदेश विभाग का कार्यभार बढ़ गया है। चीन व पाकिस्तान जैसे देश लगातार अपनी हरकतों को अंजाम दे रहे हैं। ऐसे में तीनों सेनाओं का हर प्रकार से सुदृढ़ होना जरूरी है।

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