Government against drug trafficking in Punjab

Editorial: पंजाब में नशा तस्करी के खिलाफ सरकार की सख्ती सराहनीय

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Government against drug trafficking in Punjab

Government against drug trafficking in Punjab पंजाब में मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली सरकार का यह कदम सही है, जब नशा तस्करी में नामजद एआईजी हेडक्वार्टर एनआरआई राजजीत सिंह को नौकरी से बर्खास्त करते हुए उनकी संपत्ति की विजिलेंस जांच के आदेश दिए हैं। पंजाब में नशे का धंधा अगर लगातार चलता रहता है तो इसके विभिन्न कारण हैं, जिनमें से एक पुलिस और राजनीतिकों का संरक्षण है। मान सरकार ने पद संभालते ही प्रदेश से नशा तस्करी और इसके सेवन पर प्रभावी रोक लगाने का वादा किया था, और सरकार अब अपने इस वादे पर खरी उतरती दिख रही है।

मुख्यमंत्री मान ने भ्रष्टाचार पर भी कड़ी चोट की है, उन्होंने अपनी ही सरकार में मंत्री, विधायक को नहीं बख्शा है। निश्चित रूप से यह बड़ी बात है और एक सरकार से ऐसी ही उम्मीद की जाती है। पंजाब पुलिस के एक बड़े अधिकारी पर कार्रवाई यह बताने को काफी है कि मुख्यमंत्री मान किसी दबाव या प्रभाव की बजाय जो उचित है, वह अंजाम देने में लगे हैं।

 गौरतलब है कि बर्खास्त पुलिस अधिकारी पर अनेक आरोप हैं। इसकी शिकायत भी उनके नाम है कि एक बर्खास्त इंस्पेक्टर को नियमों के विपरीत प्रमोशन दी गई और उसे हर जिले में अपने साथ रखा जाने लगा। क्या इसे यह माना जाए कि संबंधित बर्खास्त पुलिस कर्मचारी किसी के गैरकानूनी कार्यों में उसका साथ देता था। हालांकि यह बेहद आपत्तिजनक है कि बर्खास्त अधिकारी का नाम ड्रग्स मामले में आने के बावजूद तत्कालीन कांग्रेस सरकार में साल 2018 में उनका नाम पुलिस गैलेंट्री अवार्ड के लिए भेज दिया गया। जब विवाद हुआ तो नाम वापस ले लिया गया।

आखिर पता नहीं ऐसे कितने मामले पुलिस फोर्स और अन्य सरकारी विभागों में सामने आते होंगे। जिनमें भ्रष्ट और दागी कर्मचारियों, अधिकारियों को नियमों के विपरीत प्रमोशन एवं अन्य लाभ हासिल होते रहते हैं। निश्चित रूप से इस पर रोक लगने और दागी कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है।

मालूम हो, चिट्टे की तस्करी से बर्खास्त अधिकारी राजजीत सिंह ने बड़ी संपत्ति बनाई है। इस संबंध में गठित एसआईटी की रिपोर्ट है कि साल 2013 के बाद से राजजीत की संपत्ति में लगातार हर साल इजाफा हो रहा है। उसने तमाम ऐसी जगहों पर अवैध पैसा लगाया है, जोकि एक सरकारी कर्मचारी या अधिकारी की सैलरी से संभव नहीं है। यह मामला नया नहीं है, लंबे समय से राजजीत सिंह के संबंध में जांच जारी है। हालांकि पूर्व की सरकार के वक्त प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई।

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए तत्कालीन आरोपी एसएसपी मोगा राजजीत सिंह समेत इंस्पेक्टर इंद्रजीत के संबंधों की जांच के आदेश एसटीएफ को दिए थे। आरोपी इंद्रजीत साल 2017 में 4 किलो हेरोइन और हथियारों के साथ पकड़ा गया था। क्या यह माना जाए कि अदालत के आदेश के बावजूद जमीनी स्तर पर कुछ नहीं बदलता। पंजाब नशाखोरी के लिए पूरे देश और दुनिया में कलंकित है, लेकिन यह सब इसके कुछ पुलिस कर्मचारियों, अधिकारियों और राजनेताओं की मिलीभगत से अंजाम दिया जा रहा है।

 गौरतलब है कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की बीते साल की रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब अब मादक पदार्थों के उपयोग और तस्करी के मामले में तीसरे स्थान पर आ गया है। रिपोर्ट से पता चला कि एनडीपीएस अधिनियम के तहत दर्ज 10,432 एफआईआर के साथ उत्तर प्रदेश अब शीर्ष स्थान पर है, इसके बाद महाराष्ट्र (10,078) और पंजाब (9,972) का स्थान है। चंडीगढ़ पीजीआईएमईआर की रिपोर्ट के अनुसार 30 लाख से अधिक लोग या लगभग पंजाब की 15.4 फीसदी आबादी इस समय नशीले पदार्थों का सेवन कर रही है। वहीं पंजाब में हर साल करीब 7,500 करोड़ रुपये का ड्रग्स का कारोबार होने का अनुमान भी सामने आ रहा है।

नशे के कारण कई परिवारों ने अपने परिवार के सदस्यों को खोया है। राज्य में शराब और दूसरे नशे की जद में आकर किशोर, युवा और तमाम उम्र के लोग अपना जीवन बर्बाद कर रहे हैं। राज्य में मकबूलपुरा को अनाथों और विधवाओं के गांव के रूप में जाना जाता है, क्योंकि नशीली दवाओं के अधिकांश पीड़ित वहीं से आते हैं। सर्वोच्च न्यायालय भी इस संबंध में गंभीर चिंता जता चुका है, माननीय अदालत की ओर से राज्य सरकार को नशीले पदार्थों के खतरे पर नजर रखने और गंभीर होने का निर्देश दिया था।

निश्चित रूप से इस समय में मुख्यमंत्री मान के निर्देशन पर राज्य सरकार एवं पुलिस नशे के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने में जुटी है, जिसकी सराहना की जानी चाहिए। पंजाब को रंगला पंजाब बनाने के लिए नशे की तस्करी रोकने और इसके सेवन पर रोक लगाने की महती आवश्यकता है। पंजाब देश का हृदय है, उसका स्वस्थ होना पूरे देश का स्वस्थ होना है। 

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