फेयरमा ने भारतीय खाद्य निगम में कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित खरीफ पायलट परियोजना लागू करने की मांग की
Artificial Intelligence-based Kharif Pilot Project
अनिल गुप्ता अर्थ प्रकाश दिल्ली
नई दिल्ली, 16 दिसंबर: Artificial Intelligence-based Kharif Pilot Project: फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया राइस मिलर्स एसोसिएशन (फेयरमा) ने केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रह्लाद जोशी को पत्र लिखकर भारत सरकार की डिजिटल इंडिया योजना के अंतर्गत भारतीय खाद्य निगम में कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित खरीफ विपणन पायलट परियोजना को पूरे देश में लागू करने की मांग की है।
फेयरमा ने बताया कि खरीफ विपणन वर्ष 2019-20 एवं 2020-21 में इस प्रणाली का अध्ययन किया गया था। इसके बाद खरीफ विपणन वर्ष 2021-22 में इसे पायलट परियोजना के रूप में लागू किया गया, जिसके परिणाम सकारात्मक रहे। इन अच्छे परिणामों के बाद फरवरी 2023 में तत्कालीन केंद्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल की अध्यक्षता में वाणिज्य भवन, नई दिल्ली में एक संयुक्त बैठक आयोजित हुई थी। बैठक में मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी एवं भारतीय खाद्य निगम के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए इस प्रणाली को पूरे देश में लागू किया जाए। साथ ही जिन स्थानों पर स्वचालित अनाज विश्लेषण मशीन उपलब्ध नहीं है, वहां नई मशीनों की खरीद के लिए निविदा प्रक्रिया शुरू करने पर भी सहमति बनी थी।
फेयरमा का आरोप है कि खाद्य मंत्रालय के कुछ अधिकारी एवं भारतीय खाद्य निगम के फील्ड स्तर के कर्मचारियों ने मिलकर इस प्रणाली को बंद कराने की कोशिश की। वर्ष 2025 में अलग–अलग समय पर पत्र जारी कर आपत्तियां जताई गईं, जिसके कारण हरियाणा, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में इस व्यवस्था को पूरी तरह बंद कर दिया गया। इससे चावल मिल मालिकों का उत्पीड़न हुआ। संघ के अनुसार 31 अक्टूबर 2025 को भारतीय खाद्य निगम ने इसे पुनः लागू करने का पत्र जारी किया, लेकिन अब 10 प्रतिशत स्वीकृत चावल में इसे लागू नहीं किया जा रहा है। वहीं वर्ष 2024-25 में नई स्वचालित अनाज विश्लेषण मशीनों की खरीद प्रक्रिया को रोककर इस व्यवस्था को पूरी तरह बंद करने का प्रयास किया जा रहा है, जो भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाला है और डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के उद्देश्य के विरुद्ध है।
फेयरमा ने सुदृढ़ीकृत चावल कण योजना पर भी गंभीर चिंता जताई है। संघ के अनुसार पिछले तीन वर्षों से सुदृढ़ीकृत चावल कण के माध्यम से पोषक चावल तैयार किया जा रहा है, जिसमें चावल मिलों को 99 किलोग्राम चावल में 1 किलोग्राम सुदृढ़ीकृत चावल कण मिलाने के लिए बाध्य किया जा रहा है। यह चावल भारतीय खाद्य निगम के माध्यम से गरीब उपभोक्ताओं को वितरित किया जा रहा है। फेयरमा का आरोप है कि सुदृढ़ीकृत चावल कण निर्माताओं की इकाइयां भारतीय मानक ब्यूरो एवं खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण के नियमों का पालन नहीं कर रही हैं, जिससे उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है और केंद्र सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है।
संघ ने मांग की है कि जब केंद्र सरकार के पास अगले दो वर्षों के लिए पर्याप्त सुदृढ़ीकृत चावल का भंडार उपलब्ध है, तो फिलहाल गैर-सुदृढ़ीकृत चावल की खरीद की जाए। फेयरमा का कहना है कि सुदृढ़ीकृत चावल कण की गुणवत्ता सही नहीं होने के कारण कई चावल मिलें बंद हो गई हैं, जिससे धान खरीद प्रभावित हो रही है और किसान अपनी उपज कम दामों पर बेचने को मजबूर हैं।
फेयरमा ने केंद्र सरकार से अपील की है कि देश के हित में सुदृढ़ीकृत चावल कण योजना को पूरी तरह बंद किया जाए, ताकि उपभोक्ता, किसान और सरकार को हो रहे नुकसान को रोका जा सके और देश की चावल उद्योग को मजबूती मिल सके।