staff like angad: अंगद की तरह जमे जेल विभाग व अन्य विभागों में मुलाजिम

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staff like angad: अंगद की तरह जमे जेल विभाग व अन्य विभागों में मुलाजिम

कई महकमों में 80 के दशक से जमे हैं कर्मचारी, प्रशासक के आदेश के बाद भी इन्हें बदले जाने की कोई कार्रवाई नहीं

-प्रशासन व महकमें जानते हैं कि कर्मी संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त,बावजूद इसके इन्हें पूरी सुपोर्ट

चंडीगढ़, 1 अगस्त (साजन शर्मा) staff like angad: चंडीगढ़ की बुड़ैल जेल में शायद भ्रष्टाचार इसलिए है क्योंकि यहां 81 मुलाजिम ऐसे हैं जो बीते तीन साल से भी ज्यादा वक्त से यहां अंगद के पैर की तरह जमे बैठे हैं। इनमें एडिशनल सुपरिटेंडेंट जेल, डिप्टी सुपरिटेंडेंट जेल व असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट जेल के अधिकारियों से लेकर नीचे के कर्मचारी हैं। इतना ही नहीं इस माडर्न जेल में रिटायर होने के बाद भी 86 कर्मचारियों को ड्यूटी पर रखा गया है। यानि जो कॉक्स जेल की कार्यप्रणाली को पहले से ही खराब कर रहा था, वह अभी भी वहीं जमा बैठा है। जेल विभाग तो इसका एक उदाहरण है। ऐसे अन्य कई महकमे हैं जहां सैकड़ों-सैंकड़ों की संख्या में मुलाजिम केवल तीन साल से नहीं बल्कि 1980 के दशक से जमे हुए हैं। इनको हिलाने वाला कोई माई बॉप अभी शायद पैदा नहीं हुआ है, लिहाजा इसीलिए यह यहां पूरी मस्ती काट रहे हैं। भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात करने वाले चंडीगढ़ प्रशासन को इसकी जानकारी है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। आरटीआई में जानकारी मांगने वाले सैकेंड इनिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष व आरटीआई कार्यकर्ता आरके गर्ग ने प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित से अनुरोध किया है कि जिन मुलाजिमों ने 1980 के दशक से डेरे डाले हुए हैं, उनकी भ्रष्टाचार करने की मंशा आसानी से समझी जा सकती है। सेंट्रल विजिलेंस कमीशन के सख्त निर्देश हैं कि ऐसे मुलाजिमों को तुरंत बदला जाए लेकिन न बदला जाना सांठगांठ इंगित कर रहा है। इन कर्मचारियों की तुरंत दूसरे महकमों में शिफ्टिंग कर तबादले करने चाहिए। इनकी तुरंत रोटेशन की मांग की गई है।

staff like angad:  जेल विभाग में फिलहाल ये

जेल विभाग में फिलहाल 81 लोग हैं जो तीन साल से ज्यादा समय से जमे हैं। इसमें एक असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट जेल, डिप्टी सुपरिटेंडेंट जेल, दो असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट जेल, दो सीनियर असिस्टेंट, 3 फार्मासिस्ट, 26 हैड वार्डर, 39 वार्डर शामिल हैं। रिटायर होने के बाद जो लोग रखे गए हैं उनमें कुल 86 मुलाजिम शामिल हैं। इनमें 79 वार्डर, स्टोरकीपर, टीचर, वेलफेयर अफसर, दो असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट जेल व दो मेडिकल अफसर शामिल हैं।  यहां बता दें कि बुड़ैल जेल वह जेल है जिसमें पूर्व में कई तरह की संदिग्ध गतिविधियां चलती रही। कैदियों तक न केवल मोबाइल फोन पहुंचते रहे बल्कि जेल ब्रेक कांड भी यहीं हुआ। जेल में मुजरे तक कराये जाने की खबरें भी अखबारों की सुर्खियां बनी। नशा पहुंचाने के इल्जाम भी जेल प्रशासन पर लगे। इसके बाद भी कोई सबक नहीं लिया गया।

staff like angad:  इन महकमों में भी बहुत मुलाजिम जिन्हें 3 साल से ज्यादा का वक्त हुआ

-नगर निगम का पब्लिक हेल्थ विभाग है जिसमें 18 साल से ज्यादा वक्त से मुलाजिम टिके हैं। इसमें 14 साल, 12 साल के कई मुलाजिम हैं। 23 साल से एक चपरासी वहीं जमा हुआ है।                              -इलेक्ट्रिकल  डिवीजन नंबर दो में 12 इंप्लायज हैं जो 3 साल से ज्यादा समय से टिके हैं। सबसे पुराना मुलाजिम 2003 से है।

-फोरेस्ट विभाग में 11 इंप्लायज हैं जिन्हें तीन साल से ज्यादा का वक्त हो चुका है। इसमें 1990 से एक जेई, 1999 से एक डिप्टी आरएफओ, 2016 से मुलाजिम हैं।

-चीफ इंजीनियर कार्यालय में 67 इंप्लायज हैं जो तीन साल से ज्यादा वक्त से एक जगह टिके हैं। यह कार्यालय सबसे मलाईदार कार्यालयों में आता है।

-कालेज आफ आर्कीटेक्चर में ग्रुप एक के 10, ग्रुप बी व सी के 27, ग्रुप डी के 8 मुलाजिम शामिल हैं।

-पर्यावरण विभाग में 6 मुलाजिम व एक साइंटिस्ट है जो तीन साल से ज्यादा समय से टिका है। एक अटेेंडेंट है जो 1995 से इसी जगह पर कार्यरत है।

-पुलिस महकमे में 29 मुलाजिम हैं जो तीन साल से ज्यादा समय से टिके हैं।

-हेल्थ विभाग ने 15 पेजों की सूची आरटीआई में दी है। करीब 300 मुलाजिम अभी भी ऐसे हैं जो तीन साल से ज्यादा समय से एक जगह टिके हैं। इनमें ड्राइवर, टेक्नीशियनव रेडियोग्राफर तक शामिल हैं।

-असिस्टेंट कंट्रोलर रेंट कार्यालय में 13 मुलाजिम जो एक ही जगह कई सालों से टिके हैं।

-एनसीसी में 55 मुलाजिम हैं। यहां 1999 से भी टिके मुलाजिम हैं।

-प्रिंटिंग एंड स्टेशनरी विभाग में छह मुलाजिम हैं।

-स्टेटस्टिकल सेल में 8 मुलाजिम हैं। एक स्टेटस्टिकल असिस्टेंट तो 1988 से यहीं टिका है।

-एग्रीकल्चर सेंसिस विभाग में एक मुलाजिम है।

-सीपी डिवीजन नंबर 5 में 12 मुलाजिम हैं। इनके टिके होने के वर्ष नहीं दिये गए।

-सीपी डिवीजन नंबर 3 में 14 मुलाजिम हैं। 12 मुलाजिम तो 2008 से टिके हैं।

-कंस्ट्रक्शन सर्कल 1 में 8 मुलाजिम हैं। यहां एक ड्राफ्टसमैन 2004 से टिका है।

-एसटीए व ट्रांसपोर्ट कार्यालय ने ऐसे 15 मुलाजिमों की सूची दी है। यहां भी भ्रष्टाचार की गुंजाइश है। यहां 24 साल से भी मुलाजिम जमे हैं।

-आईटी विभाग में चार मुलाजिम हैं जिसमें कुछ 2001 से जमे हैं।

-फूड एंड सप्लाई विभाग में 6 मुलाजिम हैं जो 1988 से लेकर 2008 तक से जमे हैं।

-एस्टेट आफिस में 170 मुलाजिम हैं लेकिन विभाग ने आरटीआई में ये नहीं बताया कि वो कितने साल से जमे हैं। इस विभाग की भी सबसे भ्रष्ट विभागों में गिनती होती है।

-एनिमल हस्बेंडरी विभाग में 33 मुलाजिम हैं जिसमें 1986, 1993, 2003 व 2016 के भी हैं।

-डीसी आफिस भी संदेह के घेरे में रहता है। यहां 25 मुलाजिों की सूची दी गई है। इसमें कई मुलाजिम 1991, 1993,1994, 1995 व 1997 तक के भी हैं।

-लॉ एंड प्रोसिक्यूशन विभाग में ग्रुप एक के 5, ग्रुप बी के 15 और ग्रुप सी के 17 मुलाजिम शामिल हैं।

-डिपार्टमेंट आफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के पांच मुलाजिम हैं। एक चपरासी यहां 1999 का भी है।

-गृह विभाग ने सूची नहीं दी है।

-जीएमसीएच 32 ने भी सूची नहीं दी है।

staff like angad:  प्रशासक ने दिया था तीन साल से ज्यादा समय वाले मुलाजिमों को बदलने का आदेश, धत्ते पर आर्डर

चंडीगढ़ प्रशासन में भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के लिए प्रशासक ने बीते दिनों एक मुहिम चलाई थी। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया था कि विभिन्न विभागों में जो भी अधिकारी या कर्मचारी तीन साल से ज्यादा समय से टिके हैं उनके तुरंत प्रभाव से तबादले किये जाएं। आदेश के बाद प्रशासन थोड़ा चुस्त हुआ और कई-कई साल से जमे सुपरिटेंडेंटों व क्लर्कों का तबादला किया गया। सबसे ज्यादा त्वरित काम स्वास्थ्य विभाग ने किया जिसने न केवल कई सालों से एक जगह जमे डॉक्टर बल्कि अन्य स्टाफ का भी तबादला कर दिया। इन तबादलों पर थोड़ी तकलीफ भी कई डॉक्टरों व कर्मचारियों को हुई लेकिन सरकारी ऑर्डर तो सरकारी ठहरे।