delhi incident very inhuman

दिल्ली की घटना घोर अमानवीय, सुरक्षा पर बड़ा सवाल

Editorial

delhi incident very inhuman

Delhi Incident Very Inhuman: दिल्ली में एक 20 वर्षीय युवती को कार से 11 किलोमीटर तक घसीट कर मार डालने की वारदात रौंगटे खड़ी कर देती है। यह घोर अमानवीय और राक्षसी प्रवृत्ति की पहचान है कि हादसे के बाद आरोपियों ने स्कूटर सवार युवती की मदद करने की बजाय अपनी जान बचाने के लिए उसकी जान ले ली।

अस्पताल में डॉक्टर रोजाना दर्जनों पोस्टमॉर्टम Postmortem करते होंगे, लेकिन उस युवती का बचा-खुचा शव जब अस्पताल में लाया गया तो डॉक्टर भी सिहर गए। उसके शरीर का पीछे का सारा हिस्सा गायब हो गया था और न पैर बचे थे और न ही हाथ। रिपोर्ट के हवाले से सामने आ रहा है कि हादसे के बाद उस युवती ने खुद को कार के सामने से हटाने की कोशिश की थी, लेकिन आरोपियों ने उसे इसका मौका ही नहीं दिया और गाड़ी को दौड़ा लिया। आरोपियों की क्रूरता का इससे बड़ा परिचय नहीं हो सकता कि उन्हें अहसास था कि हादसा हुआ है और गाड़ी के सामने कुछ अटका हुआ है, बावजूद इसके वे गाड़ी को दौड़ाते रहे और युवती को इतनी बेरहम मौत मरने पर मजबूर कर दिया।

इस घिनौनी वारदात पर दिल्ली के लोगों का गुस्सा जायज है। दिल्ली  और एनसीआर NCR के अनेक शहर अब अपराधों की राजधानी हो गए लगते हैं। प्रतिदिन यहां महिलाओं, बच्चियों, कारोबारियों और जनसामान्य से अपराध घट रहे हैं। दिल्ली ही वह शहर है, जहां पर हत्या के बाद शवों को फ्रिजों के अंदर टुकड़े करके रख लिया जाता है और फिर धीरे-धीरे उनको ठिकाने लगाया जाता है। युवतियों पर यहां तेजाब फेंक दिया जाता है, रेप होते हैं। ऐसे मामलों के बाद अब शहर के लोगों की एक और निष्ठुर मानसिकता ने हिलाकर रख दिया है।

यह कैसी भयानक सोच है कि हादसे के बाद एक स्कूटर सवार युवती की मदद करने के बजाय आरोपियों ने उसे कुचल कर मार डाला। आजकल सडक़ों पर ऐसे हादसों की संख्या बहुत बढ़ गई है, जब बेहुदगी से ड्राइविंग करते हुए किसी गाड़ी या दोपहिया सवार को टक्कर मार दी जाती है और उसके बाद आरोपी यह तक देखने की कोशिश नहीं करते कि उसे संभाल लें। अगर गलती से हादसा हुआ है और आरोपी संबंधित वाहन चालक Vehicle Driver को संभालते हुए अस्पताल लेकर जाता है तो पुलिस और अदालत भी उसकी इस भावना का सम्मान करेगी और उसे सजा भी कम मिल सकती है या दोनों पक्षों में समझौता हो सकता है।

मंगोलपुरी मामले की गूंज गृह मंत्रालय Home Ministry तक सुनाई दी है तो यह आवश्यक भी है। गृहमंत्री अमित शाह ने मामले की दिल्ली पुलिस आयुक्त से रिपोर्ट ली है वहीं उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने भी पुलिस आयुक्त से बैठक कर जायजा लिया। यह आवश्यक है कि इस मामले की हर पक्ष से जांच हो और आरोपियों के खिलाफ संगीन धाराओं के तहत केस दर्ज कर फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई हो। इस मामले में पुलिस की कोताही और लापरवाही की भी जांच होनी चाहिए। यह भी कितना विचित्र है कि लगभग 11 किलोमीटर की दूरी में किसी ने भी इस घटना को नहीं देखा और पुलिस को सूचित किया। वहीं पुलिस विभाग जोकि शहर में चाकचौबंध होने का दावा करता है, ने भी चौकसी नहीं दिखाई।

शहर में आप सरकार की ओर से सीसीटीवी कैमरे cctv cameras लगवाने का भी दावा किया जाता है, लेकिन उन सीसीटीवी कैमरों से भी अपराध की तुरंत रोकथाम संभव नहीं हो सकी। दरअसल, ऐसी वारदातें पुलिस प्रणाली पर भी सवाल उठाती हैं, आजकल चिलचिलाती ठंड की वजह से सडक़ें सूनसान हो जाती हैं, लेकिन अपराधियों को यह ठंड परेशान नहीं करती। वे शहर की ऐसी ही सूनसान सडक़ों पर अकेले लोगों और युवतियों, महिलाओं को शिकार बनाने के लिए निकले होते हैं।

इस मामले में पुलिस अब पांच आरोपियों को गिरफ्तार Arrested कर चुकी है, सभी दिल्ली के ही रहने वाले छोटे-मोटे कामों से जुड़े हैं। हालांकि एक आरोपी को एक राजनीतिक दल से जुड़ा बताया गया है। इसके बाद विपक्षी दलों ने मोर्चा खोला हुआ है, वे इसे राजनीतिक रंगत देने का प्रयास कर रहे हैं। आजकल देखने को मिल रहा है कि बगैर किसी राजनीतिक विचारधारा political ideology और सोच के लोग शौक में राजनीतिक दलों की निकटता हासिल कर लेते हैं। बाद में वही किसी अपराध में शामिल हो जाते हैं, तब पूरे राजनीतिक दल को ही दोषी ठहरा दिया जाता है। संभव है, ऐसा किए जाने से बचा जाना चाहिए। अपराधी कोई भी हो, किसी भी पार्टी या राजनीतिक संगठन से संबंध रखता हो, वह आरोपी है और उसे सजा दिलाना पुलिस का काम है।

दिल्ली सरकार, Delhi Government दिल्ली पुलिस और केंद्रीय गृहमंत्रालय को चाहिए कि इस मामले में संबंधित आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित हो। दिल्ली में अनेक ऐसी वारदातें हो चुकी हैं जब लोग सडक़ों पर होते हैं, उस समय कहा जाता है कि यह अपराध अंतिम होना चाहिए, लेकिन फिर एक अपराध घटता है और लोग पिछले को भूल जाते हैं। दिल्ली में सुरक्षा के प्रबंध और कड़े किए जाने चाहिए। इसी तरह से सभी शहरों में पुलिस को चाकचौबंध किए जाने की आवश्यकता है। अपराध की रोकथाम के लिए न्यायतंत्र का प्रभावी होना भी जरूरी है। जितनी जल्दी न्याय सुलभ होगा, अपराधियों की मानसिकता पर उतना ही अंकुश लगेगा। 

यह भी पढ़ें:

ऑनलाइन सेवाएं भ्रष्टाचार से मुक्ति का साधन, नए साल में हो विस्तार

यह भी पढ़ें:

नववर्ष में हों नए लक्ष्य, समाज और राजनीति भी बदले दिशा