Day 3 of Gurhsharan Singh Naat Utsav

‘लछु कबाडीया’ ने दलित समाज की सच्चाई व्यक्त की

Day 3 of Naat Utsav

चंडीगढ़ 5 दिसंबर, 2022 – Day 3 of Gursharan Singh Naat Utsav

गुरशरण सिंह नाट उत्सव का तीसरा दिन

सुचेतक रंगमंच (Suchetak Rangmanch) की तरफ से करवाए जा रहे गुरशरण सिंह नाट उत्सव (Gursharan Singh Naat Utsav) के तीसरे दिन अदाकार मंच मोहाली (Adakaar Manch Mohali) ने ‘लछु कबाडीया’ नाटक प्रस्तुत किया। यह नाट उत्सव पंजाब कला परिषद (Punjab Arts Council) और संस्कृति मंत्रालय (Cultural Ministry) के सहयोग से हो रहा है।
 

डॉ. साहिब सिंह (Dr. Sahib Singh) के सोलो प्रस्तुती ‘लछु कबाडीया’ भारतीय समाज की दलित श्रेणी के दर्द को ज़ाहर कर रहा था। यह नाटक भारतीय निज़ाम में इस श्रेणी की सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक स्थिति को दिखा रहा था, जिसने इस वर्ग को हाशिए में डाल दीया है। नाटककार किरदार लछमन सिंह को उनकी सामाजिक स्थिति ने लछु बना दीया गया है, जिसको जीवन में बड़े लोगों के वर्चस्व को हर हाल में मानना पड़ता है। साहिब सिंह की अदाकरी ने दर्शकों को अहसास करवा दीया कि दलित वर्ग के आदमी को चंद पैसों के लिए आपनी आबरू तक को दांव पर लगाना पड़ता है। इस श्रेणी की ईमानदारी भी सम्मान दिला पाने के काम नहीं आती।


मानव की मुक्ति का नाटक है, 'लछु कबाड़िया'
नाटक बाहरी दबाव को अंमानसक संघर्ष के साथ जोड़ता है और अन्त में वही  है, जो उसे  लड़ने के लिए तैयार करता है।
जब कि  ‘लछु कबाडीया’ लछमन सिंह बन जाता हैं, तो उसे आर्थिक क्षेत्र में गरीब किसान भी दिखता है और वह किरत करने वालों की एकता को आमंत्रित करता है। इस प्रकार ‘लछु कबाडीया’ मानव की मुक्ति का नाटक है, जिसका नायक मानता है, यह इस दासता की हर कड़ी को तोड़ देना ही  मुक्ति का तरीका हो सकता है।