यूपी भाजपा में संगठन और सरकार का नया समीकरण

यूपी भाजपा में संगठन और सरकार का नया समीकरण

Pankaj Chaudhary's appointment as UP BJP President Poses a new Challenge

Pankaj Chaudhary's appointment as UP BJP President Poses a new Challenge

यूपी में भाजपा सरकार का चेहरा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं। सात बार के सांसद और केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी रविवार को प्रदेश संगठन के सिरमौर हो जाएंगे। दोनों ही गोरखपुर क्षेत्र से आते हैं। संगठन और सरकार के एक ही क्षेत्र में केंद्रित हो जाना भाजपा के लिए नई चुनौती होगी। इससे उबरने के लिए मंत्रिमंडल विस्तार से उसे सियासी संतुलन साधना होगा। सूत्र बताते हैं कि मकर संक्रांति के बाद मंत्रिमंडल विस्तार संभव है।

प्रदेश में भाजपा की पहली सरकार कल्याण सिंह की अगुआई में बनी थी। वह अलीगढ़ के अतरौली से आते थे। जब वह मुख्यमंत्री हुए तब पूर्वांचल से आने वाले कलराज मिश्र पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे। ऐसा ही अन्य अवसरों पर भी रहा। भाजपा संगठन और सरकार के चेहरे अलग-अलग क्षेत्र से चुनती रही है। इससे क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व का संतुलन बना रहता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल के दरम्यान पांच प्रदेश अध्यक्ष रहे।

लक्ष्मीकांत बाजपेयी मेरठ, केशव प्रसाद मौर्य प्रयागराज, डा. महेंद्र नाथ पांडेय गाजीपुर, स्वतंत्र देव सिंह मिर्जापुर और भूपेंद्र चौधरी सिकंदरपुर से थे। योगी के कार्यकाल में पंकज चौधरी छठे प्रदेश अध्यक्ष होंगे। पंकज चौधरी महराजगंज लोकसभा सीट से आते हैं। हालांकि, उनका पैतृक निवास गोरखपुर में ही है। उन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत भी गोरखपुर नगर निगम के पार्षद के तौर पर की थी। ऐसे में संगठन और सत्ता का संतुलन बनाए रखने की जुगत तलाशनी ही होगी।

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक मंत्रिमंडल विस्तार से यह संतुलन साधा जाएगा। इसके अलावा प्रदेश भाजपा संगठन की नई टीम में पश्चिम को ज्यादा तवज्जो मिल सकती है।

स्मृति की दूसरी राजनीतिक पारी के संकेत

पंकज चौधरी के नामांकन के दौरान अमेठी से सांसद रहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की दूसरी राजनीतिक पारी का संकेत भी मिला। बीते साल अमेठी से लोकसभा चुनाव हारने के बाद यह पहला मौका था जब वह भाजपा के बड़े कार्यक्रम का हिस्सा रहीं। अमेठी में मिली पराजय के बाद स्मृति ने राजनीतिक दूरी बना ली थी और वह एक बार फिर टीवी की दुनिया में वापस हो गई थीं। शनिवार को वह न केवल पंकज चौधरी के नामांकन में शामिल हुईं, बल्कि वह उनकी प्रस्तावक भी बनीं। राजनीतिक जानकार इसे स्मृति ईरानी की दूसरी सियासी पारी के संकेत के तौर पर देख रहे हैं। उनका मानना है कि पार्टी अब भी उनके राजनीतिक इस्तेमाल की संभावनाएं बनाए रखे है।