बैठकों तक सीमित नहीं रहेंगी समितियां, फील्ड में रहेगा जोर

बैठकों तक सीमित नहीं रहेंगी समितियां, फील्ड में रहेगा जोर

बैठकों तक सीमित नहीं रहेंगी समितियां

बैठकों तक सीमित नहीं रहेंगी समितियां, फील्ड में रहेगा जोर

विस अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने सिखाएं गुर, कहा-जनता के प्रति जवाबदेही को समर्पित भाव से निभाएं

चेयरपर्सन बोले- विधान सभा की कार्यशैली को प्रभावी बनाने के लिए पहली बार हो रहे बड़े प्रयास

प्रोटोकॉल का पालन करवाने पर जोर, कहा-जिम्मेदारी से बचने के लिए अधिकारी छोटों को न भेजें 
 

चंडीगढ़, 26 अप्रैल

हरियाणा विधानसभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमों के तहत वर्ष 2022-23 के लिए गठित समितियां अब नए तेवर के साथ दिखाई देंगी। इन समितियों की कार्यशैली में निखार लाने के लिए विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने मंगलवार को सभी समितियों के चेयरपर्सन के साथ विशेष बैठक की। इस दौरान उन्होंने नवनियुक्त चेयरपर्सन को विधायी कामकाज के गुर बताएं और साथ ही हिदायत दीं कि विधायी कामकाज के सबसे महत्वपूर्ण घटक होने के कारण हम सबकी जनता के प्रति जवाबदेही ज्यादा है। इस जिम्मेदारी के निर्वहन के लिए समितियां सिर्फ विधान भवन में बैठकों तक सीमित न रहे, बल्कि उन्हें प्रदेश भर में चल रही विकास परियोजनाओं का निरीक्षण करना चाहिए। समिति सदस्यों को यह काम पूरे मनोयोग और समर्पण भाव से करना होगा। बैठक के दौरान सरकारी आश्वासन समिति के चेयरपर्सन एवं रोहतक से कांग्रेस विधायक भारत भूषण बतरा ने कहा कि हरियाणा के इतिहास में विधान सभा की कार्यशैली को प्रभावी बनाने के लिए पहली बार इतने बड़े स्तर पर प्रयास हुए हैं। बैठक में अनेक चेयरपर्सन ने लोक लेखा समिति के चेयरपर्सन पद पर विपक्षी विधायक वरुण चौधरी की नियुक्ति के लिए विस अध्यक्ष की सराहना की।

विस अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने समितियों में अभिनव प्रयोग करने का सुझाव देते हुए कहा कि वित्त वर्ष के पहले 6 माह तक रिपोर्ट तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करें उसके बाद छह माह तक क्रियान्वयन की समीक्षा करें। उन्होंने दूसरे प्रदेशों में होने वाले समितियों के दौरों को लेकर भी आगाह किया। गुप्ता ने कहा कि ये दौरे प्रदेश के विकास और विधायी कामकाज को प्रभावी बनाने के उद्देश्य से ही होने चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें जहां दूसरे प्रदेश से सीखने की आवश्यकता है, वहीं हरियाणा में हो रहे अभिनव प्रयोगों की जानकारी भी दूसरे प्रदेशों के साथ साझा करनी चाहिए।

उन्होंने समिति की बैठकों में प्रदेश सरकार की ओर से उपस्थित रहने वाले अधिकारियों द्वारा प्रोटोकॉल का पालन करवाने पर भी जोर दिया। गुप्ता ने कहा कि सभी अधिकारी प्रोटोकॉल का पालन करें और करवाएं। इसके साथ ही उन्होंने समिति की बैठकों में विधायकों की उपस्थिति पर भी कड़ा संज्ञान लिया।

ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि समिति की बैठकों में होने वाले निर्णयों का क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए फॉलोअप अत्यंत आवश्यक है। इन बारे में समीक्षा करने के लिए इस वित्त वर्ष में एक नया प्रयोग किया जाएगा। इस प्रयोग के तहत विस अध्यक्ष हर तीन माह बाद स्वयं सभापतियों के साथ बैठक करेंगे।

बैठक के दौरान विधान सभा अध्यक्ष का आग्रह इस बात पर रहा है कि लोक कल्याण के लिए कार्य प्रणाली में बड़े सुधार लाते वक्त अनेक प्रकार की आलोचनाओं का सामना करना पड़ सकता है। कुछ लोग दबाव डालने तथा प्रलोभन देने का भी प्रयास करते हैं। समितियों के चेयरपर्सन और सदस्यों को इन सबसे बचते हुए शिद्दत से निर्णय लेने होंगे।

बैठक में विधानसभा के उपाध्यक्ष एवं आवास समिति के अध्यक्ष रणबीर सिंह गंगवा, लोक लेखा समिति के अध्यक्ष वरुण चौधरी, प्राकक्लन समिति के अध्यक्ष हरविंदर कल्याण, सरकारी आश्वासन समिति के अध्यक्ष भारत भूषण बतरा, याचिका समिति के अध्यक्ष विधायक घनश्याम दास अरोड़ा, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा पिछड़े वर्ग कल्याण समिति के अध्यक्ष ईश्वर सिंह, अधीनस्थ विधान समिति के अध्यक्ष राम निवास, स्थानीय निकाय एवं पंचायती राज से सम्बन्धित समिति के अध्यक्ष नरेंद्र गुप्ता, जन स्वास्थ्य, सिंचाई, विद्युत और लोक निर्माण (भवन एवं सड़कें) से सम्बन्धित समिति के अध्यक्ष दीपक मंगला, शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी समिति की अध्यक्ष श्रीमती सीमा त्रिखा, विशेषाधिकार समिति के अध्यक्ष सुधीर कुमार सिंगला, विधान सभा सचिव राजेंद्र सिंह नांदल समेत अनेक अधिकारी उपस्थित रहे।

कमेटियां सदन का छोटा स्वरूप, गंभीरता से लें अधिकारी : गुप्ता

विस अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि विधान सभा की कमेटियां सदन का छोटा स्वरूप है इनमें सभी दलों के विधायक सम्मिलित रहते हैं। इन कमेटियों की सिफारिशों को कार्यपालिका के अधिकारियों को गंभीरता से लेना चाहिए। ये कमेटियां प्रत्यक्ष रूप से सदन के प्रति जिम्मेदार हैं और सदन सीधे तौर पर जनता के प्रति। इसलिए ये समितियां लोकतांत्रिक व्यवस्था का महत्वपूर्ण घटक हैं। इसके साथ ही उन्होंने विधायकों को आगाह करते हुए कहा कि कोई भी कमेटी सदस्य अधिकारियों के अहसानमंद न हों, इससे उनका प्रभाव कम होता है। उन्होंने कहा कि कमेटी बैठकों में आने वाले अधिकारियों को व्यक्तिगत व हलके तक सीमित रहने वाले कार्य न बताएं। समिति प्रदेश के हितों की रक्षा के लिए हैं और अधिकारियों से उन्हीं के लिए जवाबतलबी की जाए। तभी हम संविधान प्रदत्त शक्तियों का जनहित के लिए समुचित प्रयोग कर सकेंगे।