Chandrayaan-3 Captures Moon First Image| करीब से कैसा दिखता है अपना चांद? चंद्रयान-3 ने पहली तस्वीर कैप्चर की

करीब से कैसा दिखता है अपना चांद? चंद्रयान-3 ने पहली तस्वीर कैप्चर की, ISRO को भेजी, आपने देखी क्या

Chandrayaan-3 Captures Moon First Image

Chandrayaan-3 Captures Moon First Image

Chandrayaan-3 Captures Moon First Image: धरती से चमकदार और बेहद सुंदर दिखने वाला चांद करीब से कैसा दिखता होगा? इस बारे में आप कभी न कभी जरूर सोचते होंगे। लेकिन अब सोचना छोड़िए और देखिए। आज आप चांद की बेहद करीब वाली झलक देखेंगे। दरअसल, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चंद्रयान-3 ने चांद की पहली तस्वीर कैप्चर कर ली है। वहीं चंद्रयान-3 ने जब चांद की यह तस्वीर इसरो के पास भेजी तो इसरो ने तस्वीर को सार्वजनिक कर दिया।

देखिए करीब से कैसा दिखता है अपना चांद?

 

5 अगस्त को चंद्रयान-3 का चांद की कक्षा में प्रवेश

बता दें कि, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से चंद्रयान-3 की LVM3-M4 रॉकेट के जरिए सफल लॉन्चिंग की थी। वहीं लॉन्च होने के बाद चंद्रयान-3 ने रॉकेट से इजेक्ट होके अंतरिक्ष में धरती की कक्षा में प्रवेश किया और यहां चक्कर लगाने लगा। इसके बाद हाल ही में 5 अगस्त को चंद्रयान-3 धरती की कक्षा को पार कर गया और चांद की कक्षा में प्रवेश किया। अब चंद्रयान-3 चांद की कक्षा में ही चक्कर लगा रहा है और चांद की बेहद करीब से तस्वीरें कैप्चर कर रहा है।

माना जा रहा है कि, 23-24 अगस्त के बीच चंद्रयान-3 की चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग हो सकती है। जैसे ही चंद्रयान-3 चांद की सतह पर पहुंच जाएगा। चंद्रयान-3 का रोवर अपना काम शुरू कर देगा। ये रोवर इसरो में बैठे वैज्ञानिकं को चांद की सतह से जुड़ी जानकारियां भेजेगा। रोवर चांद की सतह की बनावट से लेकर पानी की मौजूदगी के बारे में बताएगा। बता दें कि, धरती से चांद तक की दूरी करीब 3.84 लाख किलोमीटर है।

भारत दो बार फेल हुआ, मगर हिम्मत नहीं हारी

बतादें कि, इससे पहले भारत ने चांद पर उतरने की दो बार कोशिश की है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने पहली बार 22 अक्टूबर 2008 में चंद्रयान-1 लॉन्च किया था। जिसके बाद 8 नवंबर 2008 को चंद्रयान-1 ने चांद की कक्षा में सफलता पूर्वक प्रवेश किया और पानी की खोज भी की। लेकिन 28 अगस्त 2009 को अचानक चंद्रयान-1 से इसरो का संपर्क टूट गया।

इसके बाद भारत ने फिर से तैयारी की और 22 जुलाई 2019 में चंद्रयान-2 लॉन्च किया। मगर चंद्रयान-2 भी चांद पर सफल लैंडिंग नहीं कर सका। दरअसल, 20 अगस्त 2019 को चंद्रयान-2 ने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया. मगर बाद में चंद्रयान-2 से संपर्क टूट गया. लेकिन भारत ने फिर भी हार नहीं मानी और अब चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के साथ इतिहास रचने को तैयार है।

चंद्रयान-3 भारत के लिए गेम चेंजर होगा

ISRO ने चंद्रयान-3 को भारत के लिए गेम चेंजर बताया है। ISRO का कहना है कि, चंद्रयान-3 निश्चित रूप से भारत के लिए गेम चेंजर साबित होने वाला है। उम्मीद है कि यह चांद पर सफल लैंडिंग करेगा और इसकी लैंडिंग के साथ ही भारत पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा बनेगा। चंद्रयान-3 की चांद पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग से भारत इस उपलब्धि को हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा। इससे देश में अंतरिक्ष विज्ञान के विकास की क्षमता बढ़ेगी। अभी तक अमेरिका, चीन और तत्कालीन सोवियत संघ ने चंद्रमा पर साफ्ट लैंडिंग की महारत हासिल की है।

अगर चंद्रयान-3 को बनाने में आई लागत की बात करें तो जानकारी के मुताबिक चंद्रयान-3 मिशन की पूरी लागत करीब 75 मिलियन डॉलर यानी भारतीय रुपये में 615 करोड़ रुपए है। कई देशों ने कम लागत पर चंद्रमा पर उतरने की कोशिश की लेकिन हमने ये पहले करके दिखाया है। चंद्रयान-3 मिशन के तीन अहम हिस्से हैं। प्रपल्शन, लैंडर और रोवर। इसका कुल खर्च 600 करोड़ रुपये ज्यादा आया है। इस मिशन में इसरो के अलग-अलग विभाग के सैकड़ों वैज्ञानिक जुटे थे।