Chandigarh Gets New Mayor 2023

AAP की हार, BJP में बहार; किरण खेर का वोट कमाल कर गया, चंडीगढ़ मेयर चुनाव में भाजपा की जीत की इनसाइड स्टोरी

Chandigarh Gets New Mayor 2023

Chandigarh Gets New Mayor 2023

Chandigarh Gets New Mayor 2023: चंडीगढ़ में आज मंगलवार को मेयर चुनाव हुआ। जिसमें आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लगा। पार्टी एक बार फिर अपना मेयर नहीं बना पाई। पिछली बार की तरह इस बार भी उसके हाथ खाली के खाली रह गए। जबकि बीजेपी एक बार फिर बड़ी बाजी मार ले गई।

बीजेपी के मेयर उम्मीदवार अनूप गुप्ता ने 15 वोटों के साथ जीत हासिल की है। गुप्ता ने अपने प्रतिद्वंदी और आम आदमी पार्टी के मेयर उम्मीदवार जसवीर सिंह लाडी को 1 वोट से हराया है। लाडी को कुल 14 वोट मिले। जो कि उनकी ही पार्टी के थे। बतादें कि, मेयर चुनाव में कुल 29 वोट (AAP के 14 और BJP के 14 + सांसद का 1 वोट) पड़े हैं। कांग्रेस के 6 पार्षदों और अकाली के 1 पार्षद ने वोटिंग नहीं की।

कोई क्रॉस वोटिंग नहीं, सांसद का वोट कमाल कर गया

बतादें कि, इस बार चंडीगढ़ मेयर चुनाव में कोई कोई क्रॉस वोटिंग नहीं हुई और न ही खासकर कोई हंगामा बरपा। इसके साथ ही कोई वोट भी रिजेक्ट नहीं हुआ। हालांकि, क्रॉस वोटिंग की आशंका जताई जा रही थी। फिलहाल, मेयर चुनाव में सांसद का वोट खूब कमाल कर गया। बतादें कि, सांसद किरण खेर ने मेयर चुनाव में पहला वोट डाला। उनके वोट के साथ ही मेयर चुनाव के लिए वोटिंग शुरू हुई थी।

किंग मेकर की भूमिका में सांसद किरण खेर

सांसद किरण खेर एक तरह से किंग मेकर की भूमिका में रहीं। उनके ही एक वोट का नतीजा रहा कि बीजेपी के अनूप गुप्ता चंडीगढ़ के 29वें मेयर बन पाए। सांसद किरण खेर के 1 वोट से ही बीजेपी के वोट 15 हो गए. हालांकि, चंडीगढ़ की सांसद किरण खेर बीजेपी से हैं तो ऐसे में उनका वोट बीजेपी को ही जाना लाजमी है। इसमें कुछ नया नहीं कह सकते।

सांसद का वोट हटाके मामला बराबरी का था

ज्ञात है कि, आम आदमी पार्टी के पास जहां कुल 14 पार्षद हैं तो वहीं बीजेपी के पास भी पार्षदों की संख्या इतनी ही है। ऐसे में कांग्रेस और अकाली दल के वोटिंग में हिस्सा नहीं लेने के बाद आप और बीजेपी के बीच सीधी टक्कर तो थी ही साथ ही मामला बराबरी का भी था। लेकिन बीजेपी के साथ सांसद के वोट के चलते आम आदमी पार्टी एक वोट से पीछे थी। बतादें कि, अगर मेयर चुनाव में सांसद का वोट न पड़ता या क्रॉस वोटिंग होने के बाद परिणाम में दोनों पार्टियों का रिजल्ट बराबर आता तो ऐसे में फिर ड्रा के जरिए मेयर चुना जाता।

मेयर चुनाव के बारे में

मालूम रहे कि, मेयर का कार्यकाल एक साल का होता है। इस चुनाव में जनता वोट नहीं करती है। जनता द्वारा चुने हुए पार्षद इस चुनाव में वोट डालते हैं। मेयर चुनाव में सांसद का वोट भी पड़ता है।

चंडीगढ़ का पिछला मेयर चुनाव 8 जनवरी को हुआ था  

चंडीगढ़ का पिछला मेयर चुनाव 8 जनवरी 2022 को हुआ था। इस चुनाव में चंडीगढ़ के मेयर का ताज बीजेपी की सरबजीत कौर के सिर सजा था। वार्ड नंबर- 6 से बीजेपी पार्षद सरबजीत कौर चंडीगढ़ की 28वीं मेयर बनी थीं। सरबजीत कौर ने वार्ड नंबर- 22 से पार्षद और आप की मेयर उम्मीदवार अंजू कत्याल एक वोट से हराया था। इस चुनाव में भी सीधी टक्कर आप और बीजेपी में हुई थी। कांग्रेस और अकाली ने मेयर चुनाव (2022) में हिस्सा नहीं लिया था।

35 में 14 वार्ड जीत के भी AAP के हाथ पूरी तरह खाली रह गए

बतादें कि, चंडीगढ़ के 35 वार्डों में आम आदमी पार्टी के पास 14 वार्ड हैं। यानि पार्टी ने शहर के 14 वार्डों में अपना कब्जा जमाया हुआ है। उसके पास कुल 14 पार्षद हैं। वहीं पिछले मेयर चुनाव के दौरान कांग्रेस के 1 पार्षद के पार्टी में शामिल होने के बाद बीजेपी के पास कुल 13 पार्षद हो गए थे। वहीं इस दौरान कांग्रेस के पास 7 और अकाली दल के पास पार्षद की संख्या 1 थी।

सांसद के चलते बराबरी की टक्कर

आम आदमी पार्टी के पास 14 पार्षदों के वोट थे तो वहीं बीजेपी के पास भी सांसद का एक वोट लगाके कुल 14 वोट हो गए थे। मुकाबला बराबर का हो गया था। लेकिन जब मेयर चुनाव के लिए वोटिंग हुई और इसके बाद वोटों की गिनती की गई तो आप का एक वोट डैमेज निकल गया, जिसे इनवैलिड करारा दिया गया और ऐसे में आप के कुल 13 वोट ही माने गए। इधर कुल 14 वोटों के साथ बीजेपी ने अपना मेयर बना लिया। आप को एक वोट से शिकस्त खानी पड़ गई।

डैमेज वोट का मसला हाईकोर्ट तक पहुंचा

वोट डैमेज घोषित होने के बाद आप ने खूब हंगामा किया था और चुनाव प्रक्रिया को गलत बताया था। लेकिन आप के हंगामे से कुछ हो नहीं पाया और आलम यह रहा कि पार्टी के हाथ मेयर पद तो गया ही गया साथ ही पार्टी न तो अपना सीनियर डिप्टी मेयर बना पाई और न ही डिप्टी मेयर। इधर बाद में आम आदमी पार्टी ने डैमेज वोट को लेकर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। आप ने हाईकोर्ट में मेयर चुनावी प्रक्रिया को गलत बताया था। हालांकि, बाद में इस मसले पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने याचिका को निरस्त कर दिया था।