श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही मस्जिद ईदगाह मामले में वाद स्वीकार, अदालत में होगी आगे की सुनवाई

श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही मस्जिद ईदगाह मामले में वाद स्वीकार, अदालत में होगी आगे की सुनवाई

श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही मस्जिद ईदगाह मामले में वाद स्वीकार

श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही मस्जिद ईदगाह मामले में वाद स्वीकार, अदालत में होगी आगे की सुनवाई

मथुरा. ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे विवाद के बीच मथुरा (Mathura) के जिला जज की अदालत ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि व शाही ईदगाह मामले पर सुनवाई करते हुए गुरुवार को अहम फैसला सुनाया है. हरिशंकर जैन की तरफ से दाखिल याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि श्री कृष्ण विराजमान को केस फाइल करने का हक है. अब इस मामले की सुनवाई सिविल जज की अदालत में होगी. इससे पहले सिविल कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी थी कि आप श्री कृष्ण विराजमान के अनुयायी हैं और श्री कृष्ण विराजमान केस फाइल नहीं कर सकते.

आपको बता दें कि जिला जज राजीव भारती की कोर्ट ने श्री कृष्ण जन्म स्थान मंदिर बनाम शाही ईदगाह मस्जिद मामले में रिवीजन को स्वीकार कर लिया है. अब इस मामले में आगे की सुनवाई लोअर कोर्ट में चलेगी. याचिका में भगवान कृष्ण विराजमान की ओर से श्री कृष्ण जन्म स्थान की 13.37 एकड़ जमीन वापस दिलाने की गुहार अदालत से लगाई गई है. दावा किया गया है कि इसके बड़े हिस्से पर करीब चार सौ साल पहले औरंगजेब के फरमान से मंदिर ढहाने के बाद केशवदेव टीले और भूमि पर अवैध कब्जा कर शाही ईदगाह मस्जिद बनाई गई.

श्री कृष्ण जन्मभूमि की 13. 37 एकड़ भूमि

दरअसल, हरिशंकर जैन ने न्यायालय सिविल जज सीनियर डिवीजन में श्री कृष्ण विराजमान के नाम से एक वाद दायर किया था. जिसमें श्री कृष्ण जन्मभूमि की 13. 37 एकड़ भूमि जिस पर शाही ईदगाह बनी हुई है, का कब्जा है जन्मभूमि को वापस दिलाये जाने की मांग की है. यह वाद 30 सितंबर 2020 को सीनियर सिविल जज की कोर्ट ने खारिज किया था. जिसके बाद हरिशंकर जैन ने जिला न्यायालय में रिवीजन पिटीशन दाखिल की थी. जिसके बाद जिला अदालत ने चार विपक्षी पक्षकारों को नोटिस जारी किए थे. न्यायालय में लंबी सुनवाई के बाद आज जिला जज ने हरिशंकर जैन की याचिका पर अहम फैसला सुनाया है.

बता दें कि राम जन्मभूमि मामले में भगवान राम को टेंट से निकालकर भव्य मंदिर तक पहुंचाने में मुख्य भूमिका निभाने वाले अधिवक्ता हरिशंकर जैन और उनके बेटे विष्णु जैन ने ही मथुरा की सिविल जज की अदालत में पहला वाद दायर किया था, जिसे न्यायालय ने 30 सितंबर 2020 को खारिज कर दिया था. उसके बाद श्रीकृष्ण विराजमान के वाद को याचिकाकर्ताओं ने बतौर रिवीजन पिटीशन जिला जज की अदालत में दायर किया, जिस पर 2020 से चली लंबी बहस के बाद आज जिला जज की अदालत से फैसला आया है.