पटना : नगर निगम की बैठक में हंगामा, मेयर और आयुक्त के बीच टकराव, पार्षदों में हाथापाई

Ruckus in Municipal Corporation meeting, clash between Mayor and Commissioner

Ruckus in Municipal Corporation meeting, clash between Mayor and Commissioner

Ruckus in Municipal Corporation meeting, clash between Mayor and Commissioner- पटना। पटना नगर निगम की नौवीं साधारण बैठक में शुक्रवार को जमकर हंगामा हुआ। मेयर सीता साहू, उपमेयर, तमाम पार्षद और निगम आयुक्त अनिमेष पराशर की मौजूदगी में हुई बैठक में एजेंडा पास करने को लेकर विवाद शुरू हो गया। 

आयुक्त ने कुछ एजेंडों का विरोध किया और बैठक का बहिष्कार कर अपने अधिकारियों के साथ बाहर चले गए। इसके बाद मेयर समर्थक और विरोधी पार्षदों के बीच गाली-गलौज और हाथापाई तक हो गई।

निगम आयुक्त अनिमेष पराशर ने पत्रकारों से कहा कि राज्य सरकार के निर्देश थे कि तीन एजेंडों को शामिल न किया जाए, लेकिन इन्हें शामिल कर पास करने की कोशिश की गई। उन्होंने बिहार नगरपालिका अधिनियम की धारा 65, 66 और 67 का हवाला देते हुए कहा कि वह गैरकानूनी काम नहीं होने देंगे। पराशर ने आरोप लगाया कि कुछ एजेंडे निजी एजेंसियों को फायदा पहुंचाने के लिए लाए गए थे।

उन्होंने कहा कि निगम किसी निजी एजेंसी से बड़ा है और विकास के बड़े एजेंडों को प्राथमिकता देनी चाहिए। वहीं, स्थायी समिति के सदस्य संजीत कुमार ने आयुक्त पर तानाशाही का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जब मेयर और बहुमत पार्षदों ने सर्वसम्मति से एजेंडा पास किया, तो आयुक्त को इसका विरोध करने का कोई अधिकार नहीं है।

उन्होंने कहा कि मेयर सीता साहू जनता द्वारा चुनी गईं हैं, जबकि आयुक्त सरकार के प्रतिनिधि हैं। उन्होंने आयुक्त के बहिष्कार को गलत ठहराया और कहा कि 75 में से केवल 7-8 पार्षद आयुक्त के साथ गए, बाकी मेयर के समर्थन में रहे।

उन्होंने दावा किया कि आयुक्त ने पहले भी बोर्ड और स्थायी समिति के पास हुए अनुबंध को रद्द कर दिया था, जिस पर कोर्ट ने रोक लगा दी। पार्षद अपने वार्डों में जनता की समस्याओं जैसे सड़क, नाला और बोरिंग की जरूरतों को समझते हैं, लेकिन आयुक्त को इनसे कोई सरोकार नहीं।

उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए घोटाले कर रहे हैं, जिसके सबूत वह जल्द सार्वजनिक करेंगे।

उन्होंने मेयर का समर्थन करते हुए कहा कि अति पिछड़ा वर्ग से होने के बावजूद उनके साथ अन्याय किया गया। बैठक में हंगामे के बावजूद सभी एजेंडों को पास कर दिया गया। पार्षदों ने आयुक्त के खिलाफ नारेबाजी की और उनके रवैये की निंदा की।