बिहार की सियासत और बयानबाज़ी: जब आरजेडी विधायक भाई वीरेंद्र ने दे दिए विवादित बयान

बिहार की सियासत और बयानबाज़ी: जब आरजेडी विधायक भाई वीरेंद्र ने दे दिए विवादित बयान

भाई वीरेंद्र

 

bhai virendra: बिहार की राजनीति में जुबानी जंग कोई नई बात नहीं है, लेकिन जब सत्ता या विपक्ष में बैठे नेता मर्यादाओं को लांघते हैं, तो वो सिर्फ़ सुर्खियां नहीं बनते, बल्कि जनता के बीच एक तीखी बहस भी छेड़ देते हैं। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के विधायक भाई वीरेंद्र भी इन्हीं नेताओं में शुमार हैं, जिनके बयानों ने अक्सर विवादों की आग को हवा दी है। चाहे वो विरोधियों पर निशाना साधना हो या खुद को पार्टी का सबसे वफादार सिपाही साबित करना, भाई वीरेंद्र ने कई बार अपने तीखे और अपमानजनक बयानों से सियासत में भूचाल ला दिया है।

तलवे चाटेंगे, लेकिन तेजस्वी को ही CM बनाएंगे

भाई वीरेंद्र ने एक बयान में कहा था कि "अगर तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाना पड़े, तो हम उनके तलवे भी चाटने को तैयार हैं।" इस बयान ने राजनीतिक मर्यादा की सीमाओं पर सवाल खड़ा कर दिया। आरजेडी के भीतर इस बयान को वफादारी का प्रतीक माना गया, लेकिन बाहर से लोगों ने इसे चापलूसी की हद बता दिया।

अगर नीतीश की बात करेंगे तो जूते से मारेंगे

जब बिहार में एक बार फिर नीतीश कुमार के NDA में शामिल होने की चर्चा हुई, तो भाई वीरेंद्र ने यह विवादास्पद टिप्पणी की "जो नीतीश की तरफ देखेगा, हम उसे जूते से मारेंगे।" यह भाषा न केवल असंसदीय थी, बल्कि राजनीतिक विरोधियों को धमकाने जैसी मानी गई।

हमारी पार्टी में एक ही सूरज है, तेजस्वी यादव

भाई वीरेंद्र ने एक बार आरजेडी के अन्य नेताओं को चेतावनी देते हुए कहा था कि "हमारी पार्टी में एक ही सूरज है और वो हैं तेजस्वी यादव। जो कोई दूसरा सूरज बनने की कोशिश करेगा, उसे डूबा देंगे।" इस बयान को पार्टी के अंदर गुटबाज़ी पर तीखा वार माना गया था।

सभी विधायक मेरी तरह नहीं वफादार हैं

भाई वीरेंद्र ने अपने ही सहयोगी विधायकों पर शक जताते हुए कहा था कि "हर कोई मेरी तरह पार्टी के लिए ईमानदार और वफादार नहीं है।" यह बयान आरजेडी के भीतर असंतोष की ओर इशारा करता है और इससे पार्टी के अंदरूनी मतभेद जगजाहिर हो गए थे।

जो तेजस्वी के खिलाफ बोलेगा, वो पार्टी में नहीं रहेगा

एक और मौके पर उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी थी कि "जो कोई तेजस्वी यादव के खिलाफ बोलेगा, उसका पार्टी में कोई स्थान नहीं होगा।" यह बयान लोकतांत्रिक विचारधारा और पार्टी के अंदर स्वस्थ बहस की भावना पर चोट करता है। भाई वीरेंद्र जैसे नेताओं के बयान भले ही पार्टी नेतृत्व के प्रति निष्ठा दिखाते हों, लेकिन भाषा और तरीके को लेकर कई बार सवाल उठे हैं। जनता आज के दौर में जिम्मेदार, संवेदनशील और मर्यादित नेताओं की उम्मीद रखती है। ऐसे में अगर राजनेता अपनी भाषा पर संयम नहीं रखेंगे, तो उनका प्रभाव नकारात्मक ही होगा। लोकतंत्र में असहमति की जगह है, लेकिन असभ्यता की नहीं।