सुप्रीमकोर्ट की फटकार से हलकान हुई बिहार सरकार

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नीतीश सरकार ने लिया फैसला, शराब पीने वाले अब नहीं जाएंगे जेल

मुकेश कुमार सिंह

पटना (बिहार) : बिहार में शराबबन्दी और शराब का अवैद्य कारोबार, विकास की रफ्तार और कानून-व्यवस्था की स्थिति को बड़े पैमाने पर प्रभावित कर रहा है। इसी बीच सुप्रीमकोर्ट की लगातार फटकार और लताड़ के बाद, बिहार सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। अब शराब पीने वाले अब जेल नहीं जाएंगे। लेकिन सवाल उठता है कैसे मुमकिन होगा ? शराबी को उसी शर्त पर छोड़ा जाएगा, जब वे शराब माफियाओं की जानकारी देंगे। उनके द्वारा बतायी बात अगर सही होगी और उनकी जानकारी पर शराब माफिया की गिरफ्तारी हुई, तो वे जेल जाने से बच जाएंगे। उत्पाद विभाग के संयुक्त सचिव कृष्ण कुमार सिंह ने यह जानकारी दी है। उन्होंंने बताया है कि जेलों में बढ़ती शराबियों की संख्या के मद्देनजर ये बड़ा फैसला लिया गया है। पुलिस और मद्यनिषेध विभाग को नीतीश सरकार ने समीक्षा बैठक के बाद ये अधिकार दिया है। कृष्ण कुमार सिंह ने बताया कि यह फैसला इसलिए लिया गया है कि अब तक करीब 4 लाख लोगों को शराब पीने के आरोप में जेल भेजा गया है। हालांकि, बिहार सरकार जेल जाने के बाद शराब पीने वालों की संख्या का सर्वेक्षण करने वाली है। इसकी घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को दावा किया था कि बिहार सरकार राज्य में सफलतापूर्वक शराबबंदी लागू कराने के लिए हर मुमकिन कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है। सीएम नीतीश कुमार ने कहा है कि हमने 2018 में नशामुक्ति सर्वेक्षण किया था कि 1.64 करोड़ लोगों ने शराब का सेवन छोड़ दिया था। चार साल बाद, हम यह जानने के लिए एक और सर्वेक्षण करने जा रहे हैं कि कितने और लोगों ने नशे की लत पर काबू पाया है। इस सर्वे के तहत जेल से छूटने के बाद शराब छोड़ने वालों की गिनती पर अधिकारी ध्यान देंगे। अगर कोई शराब पीकर मर जाता है, तो हम उसके साथ सहानुभूति नहीं रख सकते हैं। गौरतलब है कि बिहार सरकार ने 1 अप्रैल 2016 में शराबबंदी कानून लागू किया था। कानून के तहत शराब की बिक्री, पीने और इसे बनाने पर प्रतिबंध है। शुरुआत में इस कानून के तहत संपत्ति कुर्क करने और उम्र कैद की सजा तक का प्रावधान था लेकिन 2018 में संशोधन के बाद सजा में छूट दी गई थी। बताना लाजिमी है कि बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से बिहार पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों के मुताबिक अब तक मद्य निषेध कानून उल्लंघन से जुड़े करीब 4 लाख के आसपास मामले दर्ज हुए हैं। शराब माफियाओं की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए राज्य सरकार ड्रोन, हेलीकॉप्टर, सैटेलाईट फोन, मोटर बोट, घोड़े, डॉग स्क्वायड का इस्तेमाल कर रही है। मोबाइल स्कैनर गाड़ी की भी खरीददारी की जा रही है। लेकिन बेहद हास्यास्पद बात यह है कि इतने प्रयास के बाद भी, शराब की बिक्री और शराब का सेवन बदस्तूर जारी है। इस मामले में ज्यादा कुछ नहीं करने पर बिहार पुलिस की काफी किरकिरी हो रही है। शराब माफियाओं के साथ कथित संबंधों को लेकर कई पुलिस कर्मियों और अधिकारियों को ना केवल निलंबित कर दिया गया है बल्कि कईयों को नौकरी से बर्खास्त भी कर दिया गया है। सरकार का यह नया फैसला बेहद अदूरदर्शी है। बिहार सरकार वैचारिक और व्यवहारिक अज्ञानता के दौर से गुजर रही है। शराब पीकर जिनके कलेजे को ठंडक मिल रही है, वे किसी भी सूरत में कारोबारी का नाम नहीं बताएंगे। यही नहीं, पुलिस और कानून-व्यवस्था की जो वर्तमान स्थिति है उसे देखते हुए कोई भी शराबी, शराब माफिया का नाम बता कर अपनी हत्या को निमंत्रण नहीं देंगे। अगर सरकार की मंशा, नीयत और सोच सही होती, तो समाज पर मजबूत पकड़ रखने वालों की सेवा ली जाती। समाजसेवा से जुड़े लोगों की मदद भी सरकार के शराबबन्दी कानून के लिए संजीवनी साबित होती।