IGP चीमा को बड़ी राहत: हाईकोर्ट ने रद्द किया किडनैपिंग-ट्रैसपासिंग का केस

Chimma

चंडीगढ़। पंजाब पुलिस के ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (बीओआई) में आईजीपी (क्राइम) आईपीएस अफसर गौतम चीमा  (gautam cheema) को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ अपहरण, ट्रैसपासिंग और आपराधिक साजिश रचने की धाराओं में दर्ज एफआईआर रद्द कर दी है। अगस्त, 2014 में उनके खिलाफ यह केस दर्ज हुआ था।

एफआईआर को गौतम चीमा (gautam cheema) और आर्यन सिंह ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। अक्तूबर 2014 में गौतम चीमा को हाईकोर्ट ने राहत देते हुए उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। चीमा ने आरोप लगाया था कि अफसरों की लॉबी उनके पीछे लगी है। वे उनका करियर खराब करना चाहते हैं। उन्होंने खुद पर लगे आरोपों को झूठा बताया था।

मामले में शिकायतकर्ता पंजाब पुलिस का एसआई दिलबाग सिंह था। आरोप के मुताबिक, उसे जानकारी मिली थी कि एक मामले में भगोड़ा आरोपी सुमेध गुलाटी मैक्स अस्पताल, मोहाली में है। उसे पुलिस ने कस्टडी में लिया था। इसके बाद शराब के नशे में गौतम चीमा थाने गए आए और अपनी निजी कार में गुलाटी को ले गए। मोहाली पुलिस ने मामले में केस दर्ज किया था। हालांकि बाद में हाईकोर्ट के आदेशों पर केस की जांच वर्ष 2020 में सीबीआई को सौंप दी गई थी।

हाईकोर्ट ने कहा- चीमा नशे में थे इसका सबूत नहीं

हाईकोर्ट जस्टिस अरविंद सांगवान ने मामला देखने के बाद पाया कि ऐसा कोई मेडिकल रिकॉर्ड नहीं है कि गौतम चीमा शराब के नशे में थे। इसके अलावा कोई ऐसा सीसीटीवी फुटेज भी नहीं था, जो बताए कि चीमा मोहाली फेज 1 के थाने में आए थे। इसके अलावा मामले में भगोड़े आरोपी सुमेध गुलाटी की गिरफ्तारी की जानकारी वाली डीडीआर भी नहीं थी।

पुलिस थाने में गौतम चीमा की विजिट को लेकर की गई जांच में कोई तथ्य नहीं निकला। दूसरी तरफ जांच में सामने आया है कि आर्यन सिंह, जिसने गौतम चीमा को भगोड़े सुमेध गुलाटी की मूवमेंट के बारे में बताया, उससे गौतम चीमा ने कहा कि पुलिस को इसकी जानकारी दी।

चीमा पर पंजाब पुलिस ने सितंबर 2014 में छेड़छाड़ का केस भी दर्ज किया था। चीमा पर कॉलोनाइजर और उनके परिवार को 7 महीने तक प्रताडि़त करने का भी आरोप था। जेएंडके के निलंबित डिफेंस एस्टेट अफसर अजय चौधरी पर भी इसी केस में आरोप लगे थे। एक महिला रश्मि नेगी पर भी केस दर्ज हुआ था।

कलोनाइजऱ की पत्नी ने चीमा और चौधरी के खिलाफ 20 मार्च, 2014 को छेड़छाड़ करने, माथे पर पिस्तौल तानने और मारपीट करने की शिकायत दी थी। केस 5 महीने बीतने के बाद दर्ज किया गया था। मामले में लगभग 10 महीने सस्पेंड रखने के बाद पंजाब सरकार ने चीमा को जून 2015 में बहाल कर दिया था।