There is a need to attack separatism in Punjab.

Editorial :पंजाब में अलगाववाद पर चोट जरूरी, सरकार की कार्रवाई सही

Edit1

There is a need to attack separatism in Punjab

There is a need to attack separatism in Punjab. पंजाब में शांति व्यवस्था के लिए खतरा बने खालिस्तान समर्थक एवं अलगाववादी अमृतपाल सिंह और उसके साथियों पर पुलिस की कार्रवाई सही और उपयुक्त है। चमकौर साहिब के अजनाला थाने में बंद अपने साथियों को धर्म की आड़ में छुड़वाने समेत दूसरे आरोपों में वांछित इस शख्स पर पुलिस कार्रवाई कर पाने में सफल हो रही है तो यह पंजाब की मान सरकार के संकल्प और जनता के प्रति उसकी जिम्मेदारी को रेखांकित करता है। बेशक, पुलिस की कार्रवाई के दौरान आरोपी फरार होने में कामयाब हो गया, लेकिन यह तय है कि उसकी गिरफ्तारी होगी ही, अब उसके दिन-रात जेल की दीवारों के पीछे ही बीतेंगे।

पंजाब में बीते कुछ समय से ऐसे तत्वों को खूब हवा मिल रही है जोकि अलगाववाद और खालिस्तान की बात कर रहे हैं। राज्य आतंकवाद का भीषण दौर देख चुका है, लेकिन अब फिर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी पंजाब में उसी दौर को फिर लौटाने की चेष्टा कर रही है और अमृतपाल जैसे शख्स धर्म को आगे करके इसकी पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। जाहिर है, अगर सरकार और प्रशासन चाहता है कि ऐसे तत्व न उबर पाएं तो फिर कोई गुंजाइश नहीं है कि वे सिर उठा सकेंगे।

पंजाब में गैंगस्टर कल्चर का दौर भी खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। हालात ऐसे हैं कि जेल के अंदर बैठे अपराधी टीवी चैनलों पर साक्षात्कार देकर अपना कथित पक्ष दुनिया को बताना चाह रहे हैं। यह अजीब है कि इस दौरान भी उनका मकसद अपराध के लिए धमकी देना होता है। राज्य में युवाओं का एक बड़ा वर्ग सकारात्मक होकर जीवन जीने की बजाय ऐसी गतिविधियों में खुद को संलिप्त कर रहा है जोकि उसे अपराध की तरफ लेकर जा रही हैं। नशाखोरी, हथियारों का प्रदर्शन, लाइमलाइट में रहने की भूख, बगैर मेहनत हासिल पैसा, खालिस्तान या अलगाववाद के नाम पर राजनीति और फिर निजी सुरक्षा में हथियारबंद लोगों का हुजुम खुद के साथ जोडक़र युवा एक ऐसी राह पर चल पड़ते हैं, जिसके बारे में देश की आजादी के लिए लडऩे वाले वीर शहीदों, सेनानियों ने कभी नहीं सोचा था।

अमृतपाल इन्हीं सिरफिरे युवाओं में से एक एक है, जोकि विदेश में मामूली कामों में संलिप्त रहने के बाद स्वदेश लौटता है और धर्म का ठेेकेदार बनकर राज्य की जनता को बरगलाता है। इंटरनेट मीडिया पर उसके वे फोटो भी वायरल हैं जिसमें उसके सिर पर केश कटे हुए हैं। हालांकि वही शख्स पंजाब में आकर धर्म के नाम पर वे सारे जत्न करके दिखाता है, जोकि उसे धर्म का रक्षक साबित कर दे। आखिर जनता यह सब क्यों नहीं समझती है कि इस तरह से कोई उनकी भावनाओं से खेलता है और खुद को सर्वोच्च साबित करने में लग जाता है।

 पंजाब में एक बड़ा वर्ग आतंकी भिंडरावाले को अब भी बहुत मानता है। हालांकि सिख गुरुओं ने कभी ऐसी शिक्षाएं नहीं दी, जिनकी रोशनी में भिंडरावाले या फिर अब अमृतपाल नामक शख्स के किए को, बोले हुए को सही ठहराया जा सके। ये लोग राजनीतिकों के मोहरे बनकर काम करते हैं, लेकिन धर्म को अपना हथियार बना लेते हैं। अब भी यही हो रहा है, अमृतपाल गुरु घरों में छिपकर रहता है और धर्मग्रंथ की आड़ में थाने पर हमला करके अपने साथियों को छुड़वा ले जाता है। अगर किसी में इतना साहस है तो वह इन कृत्यों के जरिये क्यों शासन-सत्ता को चुनौती देता है, क्यों नहीं वह वैचारिक आंदोलन को पैदा करता। गौरतलब है कि अमृतपाल के संबंध आईएसआई से साबित हो रहे हैं। यह भी बताया गया है कि इंग्लैंड में रहने वाला खालिस्तानी आतंकवादी अवतार सिंह खंडा का उसे समर्थन हासिल है। ये सभी आतंकी विभिन्न देशों में रहते हुए आईएसआई के जरिये भारत और पंजाब में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देेने के आरोपी हैं।

कनाडा में रहने वाला गुरपतवंत सिंह पन्नू नामक आतंकी रह-रहकर भारत और पंजाब में आतंकी वारदातों की धमकी देता रहता है। हाल ही में गुरुग्राम में जी-20 देशों की बैठक के दौरान भी उसकी धमकी सामने आई थी। ऐसे में क्या यह माना जाए कि ऐसे शख्स धर्म की लड़ाई लड़ रहे हैं।

बहरहाल, पंजाब की मान सरकार ने गैंगस्टरों पर, अमृतपाल जैसे अलगाववादियों पर कार्रवाई की शुरुआत करके उचित कदम उठाया है। अमृतपाल ने प्रधानमंत्री मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री भगवंत मान तक को धमकी दी थी। कोई भी अपराधी इतना बड़ा नहीं हो सकता कि वह कानून को चुनौती दे। पंजाब पुलिस की छवि एक जुझारू पुलिस फोर्स की है, जिसे बनाए रखे जाने की आवश्यकता है। राज्य पुलिस को ऐसे अपराधियों पर सख्त कार्रवाई करनी ही होगी, ताकि राज्य में शांति-व्यवस्था कायम रहे और अलगाववादी ताकतें फिर से सिर न उठा सकें।   

ये भी पढ़ें ...

Editorial: देश चाह रहा ठोस मुद्दे, भ्रम की स्थिति होनी चाहिए खत्म

ये भी पढ़ें ...

Editorial:सरकार ने बढ़ाए कदम, अब सरपंच भी करें बदलाव की शुरुआत