ART and Surrogacy Act 2021: एआरटी व सरोगेसी एक्ट 2021 को लेकर पालिसी तैयार नहीं कर पाया चंडीगढ़ प्रशासन
                        ART and Surrogacy Act 2021: एआरटी व सरोगेसी एक्ट 2021 को लेकर पालिसी तैयार नहीं कर पाया चंडीगढ़ प्रश
चंडीगढ़ प्रशासन के अधिकारी पूछ रहे, आखिर एक्ट है क्या, हमें तो इसके बारे कोई जानकारी ही नहीं, केंद्र से भी नहीं मिली कोई सूचना
चंडीगढ़ के करीब 15 व पंजाब के सैंकड़ों सेंटर नीति के अभाव में नहीं कर पा रहे प्रेक्टिस, निसंतान दंपत्तियों की भी बढ़ी मुश्किलें
चंडीगढ़, 7 अगस्त (साजन शर्मा)
ART and Surrogacy Act 2021: आईवीएफ व सरोगेसी के जरिये बच्चा पाने की चाहत रखने वालों व चंडीगढ़ व देशभर में यह सुविधा प्रदान कर रहे आईवीएफ सेंटरों को अब कई कानूनी पेचिदगियों से गुजरना पड़ सकता है। कारण, केंद्र सरकार ने असिस्टेड रिप्रो-डक्टिव टेक्नोलॉजी रेगुलेशंस एक्ट 2021 (एआरटी 2021) व सरोगेसी एक्ट 2021 इसी वर्ष जनवरी से अधिसूचना जारी कर लागू कर दिया है। एक्ट के तहत सेंटरों को नए सिरे से अपना रजिस्ट्रेशन कराने का आदेश दिया गया है। पहले यह समय सीमा 24 जुलाई तक रखी गई थी लेकिन चूंकि हेल्थ का मामला राज्यों का विषय होता है और राज्यों ने एक्ट को लागू करने के लिए अभी तक कोई तैयारी नहीं की है लिहाजा ऐसी परिस्थितियों में तमाम औपचारिकताएं लटक गई हैं। आईवीएफ सेंटर चलाने वाले संचालक इससे मुश्किलों में पड़े हैं। दूसरी ओर जिन दंपत्तियों को संतान सुख पाने में दिक्कतें आ रही हैं। एक्ट के प्रावधानों के तहत नया रजिस्ट्रेशन ही नहीं कराया तो सेंटर नहीं चलाया जा सकता।
कई राज्य (करीब 17) व यूटी ऐसे हैं जहां इस एक्ट को लेकर अभी तक कोई मसौदा तक तैयार नहीं किया गया है। वजह, इन्हें एक्ट का फिलहाल एबीसी तक नहीं मालूम। चंडीगढ़ भी उसमें से एक है।
ART and Surrogacy Act 2021: चंडीगढ़ प्रशासन नहीं बना पाया कोई बोर्ड या अथॉरटी
एक्ट को लेकर चंडीगढ़ प्रशासन को कोई जानकारी तक नहीं है। ऐसा कहना है इंडियन फर्टिलिटी सोसायटी के प्रतिनिधियों का। उनकी दलील है कि चंडीगढ़ प्रशासन को एक्ट अनुसार तमाम पहलू तैयार करने के लिए मुलाकात कर कहा गया था लेकिन जवाब मिला कि उन्हें इस एक्ट के बारे ही नहीं मालूम और न ही केंद्र की ओर से अभी इसको लेकर कोई जानकारी उनके पास आई है। इंडियन फर्टिलिटी सोसायटी के सदस्यों व चंडीगढ़ में आईवीएफ सेंटर चला रहे संचालकों व डॉक्टरों ने जब एक्ट की बाबत अधिकारियों को थोड़ी जानकारी दी तो एक मद में सेंटरों से दो दो लाख रुपये रजिस्ट्रेशन फीस के जरूर जमा करा लिये। लेकिन सवाल यह है कि जब तक केंद्र सरकार की एक्ट लागू करने व इसके बाद जारी अधिसूचना के मुताबिक पालिसी प्रशासन तैयार नहीं करता, तब तक ये सेंटर काम नहीं कर सकते। चंडीगढ़ प्रशासन व अन्य राज्यों को इस एक्ट के मुताबिक एक अथॉरटी व बोर्ड बनाना था जो नहीं किया गया है। न तो आईवीएफ सेंटर संचालक नये व न पुराने कानून के मुताबिक काम कर पा रहे हैं। इससे न केवल निसंतान दंपत्ति जिन्हें प्राकृतिक तरीके से कुछ दिक्कतें होने की वजह से बच्चा नहीं हो सकता को दिक्कतें झेलनी पड़ सकती हैं। सेंटरों को तब तक कोई नया केस हाथ में लेने से मना किया गया है जब तक तमाम औपचारिकताएं पूरी नहीं हो जाती। केंद्र सरकार ने केवल अभी इतनी राहत दी है कि 24 जुलाई तक रजिस्ट्रेशन कराने की तारीख को आगे बढ़ाकर अक्टूबर तक कर दिया गया है।
ART and Surrogacy Act 2021: बीते दिसंबर में बन गया था एक्ट
इंडियन फर्टिलिटी सोसायटी के प्रेसिडेंट केडी नैयर व ग्रेटर चंडीगढ़ चैप्टर आफ इंडियन फर्टिलिटी सोसायटी व जिंदल आईवीएफ सेंटर की डायरेक्टर ड़ॉ. उमेश जिंदल ने एक पत्रकार वार्ता के दौरान बताया कि केंद्र सरकार ने एआरटी रेगुलेशन व सरोगेसी एक्ट 2021 तो दिसंबर 2021 में बना दिया था लेकिन इसे 25 जनवरी 2022 से लागू किया गया। इसके तहत देश भर के आईवीएफ सेंटरों को 2 लाख रुपये के साथ अपने सेंटर की संचालन क्षेत्र वाले राज्य में रजिस्ट्रेशन कराने का वक्त दिया गया। 24 जुलाई तक यह समयसीमा थी लेकिन चूंकि बहुत से राज्यों को इस बाबत कोई जानकारी या सूचना नहीं मिली लिहाजा पालिसी तैयार नहीं हो पाई। इसके अभाव में रजिस्ट्रेशन भी नहीं हो पाया। केंद्र ने 4 अगस्त को 17 राज्यों के लिए दूसरी बार अधिसूचना के जरिये रजिस्ट्रेशन की तीन महीने अक्टूबर तक सीमा बढ़ा दी लेकिन चूंकि अभी इन 17 राज्यों में कोई स्टेट अथॉरटी नहीं बनी लिहाजा एक्ट के मुताबिक काम आगे नहीं बढ़ सका। चंडीगढ़, पंजाब व दिल्ली इन राज्यों व यूटी में शामिल हैं। केंद्र की ओर से एक्ट में सख्त प्रावधान किया गया है कि रजिस्ट्रेशन नहीं तो प्रेक्टिस भी नहीं। प्रति सेंटर रजिस्ट्रेशन की कॉस्ट 2 लाख रखी गई। सेक्टर 20 में आईवीएफ सेंटर चला रही डॉ. उमेश जिंदल के मुताबिक चंडीगढ़ प्रशासन इसको लेकर अभी तक कोई पॉलिसी व बोर्ड व अथॉरटी तैयार नहीं कर पाया। अधिकारियों की दलील है कि उन्हें इस बाबत कोई जानकारी ही नहीं। उन्होंने बताया कि चंडीगढ़ में 15 से 16 आईवीएफ सेंटर चल रहे हैं। 2 लाख की फीस का एक मद तैयार कर प्रशासन ने पैसा जमा करवा लिया है लेकिन वह नीति के अभाव में आगे प्रेक्टिस कैसे जारी करें क्योंकि इसमें अब कानूनी बाध्यताएं हैं और चंडीगढ़ प्रशासन ने नीति तक तैयार नहीं की है। जो सेंटर यूटी या राज्यों में काम कर रहे हैं उनका इंस्पेक्शन व रूल्स इत्यादि तैयार करना जैसी तमाम औपचारिकताएं इसमें शामिल हैं। इसके बनाने में समय लगेगा लेकिन अभी तो काम ही शुरू नहीं हो पाया है। नेशनल रजिस्ट्री में ऑनलाइन एप्लीकेशन सबमिट की जानी थी लेकिन चूंकि हेल्थ स्टेट का विषय है लिहाजा इसके बाद की प्रक्रिया ही बंद पड़ी है। पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित से मांग की गई है कि अधिकारियों को एक्ट के मुताबिक पालिसी तैयार करने का निर्देश दें ताकि जरूरी पहल हो सके और न केवल सेंटर सुचारु तौर पर काम कर सकें बल्कि जो दंपत्ति किसी वजह से खुद का बच्चा नहीं हासिल कर पा रहे उन्हें आईवीएफ सेंटरों व सरोगेसी के जरिये यह सुख मिल सके। एक्ट के बाद कई राज्यों व यूटी में पालिसी व रूल्स न बनने की सूरत में पूरा इंप्लीमेंटेशन ही रुक गया है।
ART and Surrogacy Act 2021: भारत में 10 से 14 फीसदी जोड़ें बांझपन से पीडि़त
भारत में 10 से 14 फीसदी जोड़े बांझपन से पीडि़त हैं। आवीएफ व एआरटी के जरिये निसंतान दंपत्तियों को खुद का बच्चा होने की एक उम्मीद रहती है। असिस्टेड रिप्रोडक्शन टेक्नोलॉजी यानि एआरटी का भारत में 28 प्रतिशत की दर से बाजार बढ़ रहा है। भारत का दुनिया में तीसरा स्थान है। चूंकि इस क्षेत्र में चूंकि तीसरी पार्टी का दखल रहता है लिहाजा इसके दुरुपयोग और शोषण की भी काफी आशंका रहती है। इस तरह इस फील्ड में कई नैतिक व कानूनी मुद्दे सामने आते हैं। एआरटी और सरोगेसी रेगुलेशन एक्टर 2021 का मकसद देश भर के एआरटी क्लीनिकों को रेगुलेट व सुपरवाइज करना व उन्हें लीगल फ्रेमवर्क के भीतर लाना है ताकि मिसयूज न हो। ग्रेटर चंडीगढ़ चैप्टर ऑफ इंडियन फर्टिलिटी सोसायटी ने रविवार को 17वें एआरटी अपडेट को लेकर एक सीएमई आयोजित की जिसमें स्त्री व प्रसूति रोगों से जुड़े वह नुमाइंदे शामिल हुए जो इनफर्टिलिटी से जुड़ी समस्याओं को देखते हैं व उनका हल करते हैं। उन्होंने केंद्र के इस एक्ट के तमाम पहलुओं पर चर्चा की। जो स्पीकर मौजूद रहे उनमें डॉ. उमेश जिंदल, डॉ. गुलप्रीत बेदी, विनित नागपाल, डॉ. केडी नैयर, डॉ. कुलदीप जैन, डा.ॅ एलके धालीवाल, डॉ. यशबाला, डॉ. गौरव अग्रवाल (एडवोकेट) ने एक्ट के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।
ART and Surrogacy Act 2021: क्या है एक्ट में
आईवीएफ सेंटरों को एक कानूनी प्रक्रिया में बांधा गया है ताकि वह एथिकल प्रेक्टिस कर सकें। एक्ट में प्रावधान है कि इनफर्टिलिटी कपल जो प्रोसिजर के अंडर चल रहा है का इंश्योरेंस कवर होना चाहिए ताकि डोनर और सरोगेट्स की सुरक्षा रहे। स्पर्म व ऐग जिसे इनफर्टिलिटी कपल के लिए हासिल किया जाता है व इंब्रयोज (भ्रूण) का एआरटी सेंटर मिसयूज न कप पायें। एक्ट में गेमिट्ज की मिक्सिंग व एक कपल के गेमिट्ज और डोनर्स को दूसरे कपल के यूज के लिए प्रयोग करना प्रतिबंधित है। इसको लेकर सजा हो सकती है। जो सेंटर रूल्स-रेगुलेशन के साथ काम नहीं कर रहे उनके खिलाफ पैनेल्टी लगाने का प्रावधान भी किया गया है।