चंडीगढ़ नगर निगम की बेफिजूल खर्चे का एक और जीता जागता नमूना: पांच करोड़ में 26 ट्रैक्टर-ट्रॉली हायर कर रहा निगम

चंडीगढ़ नगर निगम की बेफिजूल खर्चे का एक और जीता जागता नमूना: पांच करोड़ में 26 ट्रैक्टर-ट्रॉली हायर कर रहा निगम

Chandigarh Municipal Corporation

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महज एक साल के लिये शहर में जमा हॉर्टीकल्चर का वेस्ट उठाएंगी ये ट्रैक्टर-ट्रॉली
हॉर्टीकल्चर वेस्ट उठाने को करीब 5 करोड़ में हायर कर रहा

चंडीगढ़, 17 नवंबर (साजन शर्मा): Chandigarh Municipal Corporation: आर्थिक तंगी से जूझ रहा नगर निगम किस बेदर्दी से खर्चा करता है, इसका हाल ही में एक जीता जागता उदाहरण सामने आ रहा है। नगर निगम ने शहर के हॉर्टीकल्चर वेस्ट को उठाने के लिए करीब 5 करोड़ रुपये का टैंडर लगाया है। हैरानी वाली बात यह है कि एक साल में यह वेस्ट उठाने के लिए  26 ट्रैक्टर व ट्रालियां 5 करोड़ रुपये में हायर की जा रही हैं। शहर के लोगों व संस्थाओं की दलील है कि अगर निगम खुद की 26 ट्रैक्टर व ट्रालियां भी खरीद ले तो इतना पैसा खर्च नहीं होगा?

म्यूनिसिपल कारपोरेशन के हॉर्टीकल्चर डिवीजन नंबर 1 के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर की ओर से यह टैंडर निकाला गया है। इस टैंडर के तहत 26 ट्रैक्टर हायर किये जाएंगे जिनके साथ ट्रॉलियां भी होंगी। यह टैंडर केवल एक साल के लिये होगा। सामाजिक कार्यकर्ता और आरटीआई एक्टीविस्ट आरके गर्ग के मुताबिक बाजार में एक ट्रैक्टर की कीमत अगर 7 लाख रुपये भी मानी जाए तो लगभग पौने दो करोड़ रुपये की कीमत में 26 खुद के ट्रैक्टर नगर निगम खरीद सकता है। इसके अलावा चंद लाख की राशि में कुछ ट्रॉलियां खरीदी जा सकती हैं। जो ये ट्रैक्टर-ट्रॉलियां निगम खरीदेगा, वह उसकी खुद की की प्रापर्टी बन जाएगी और अगले कई साल तक काम आती रहेगी। आरके गर्ग के मुताबिक नगर निगम एक ओर तो आर्थिक तंगी का रोना रोता है। दूसरी तरफ शहर में केवल हॉर्टीकल्चर वेस्ट उठाने के लिए ट्रैक्टर-ट्रॉली हायर करने में ही करीब 5 करोड़ की राशि खर्च की जा रही है। यह कोई एक बार की प्रक्रिया नहीं है। नगर निगम हर साल हॉर्टीकल्चर वेस्ट उठाने के लिए ट्रैक्टर-ट्रॉली हायर करने में इतनी ही रकम खर्च करता है। सरकारी पैसा इतनी बेरहमी से क्यों लुटाया जा रहा है, इसकी जांच की जानी चाहिए। उनके मुताबिक यह बहुत बड़ा घपला हो सकता है और इसमें बड़ी मिलीभगत सामने आ सकती है। प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित को इस पूरे प्रकरण की जांच करानी चाहिए कि आखिर ऐसा क्यों किया जा रहा है? यह कोई अकेला मामला नहीं है जहां नगर निगम फिजूलखर्ची कर रहा है। इससे पहले भी बहुत से मामले सामने आए हैं जहां केंद्र के मंत्रियों की आवाभगत पर व गुलदस्ते इत्यादि खरीदने या गेट बनवाने पर ही कई लाख खर्च कर दिये गए। गर्ग के मुताबिक जनता की गाढ़ी कमाई को अगर ठीक से खर्चा जाए तो बचत तभी होती है। ऐसे पैसा लुटाकर निगम लगातार आर्थिक दिवालियेपन की तरफ बढ़ेगा। फिर मुलाजिमों को तनख्वाह देने तक का रोना रोया जाएगा। इससे पहले निगम को खुद खर्चों पर लगाम लगानी चाहिए।

शहर में कई जगह हॉर्टीकल्चर वेस्ट के ढ़ेर

शहर में अगर हॉर्टीकल्चर वेस्ट की बात करें तो लगातार निगम के पास यह न उठाने की शिकायतें आती रहती हैं। कई जगह तो ऐसी बताई जा रही हैं जहां कई कई महीने हॉर्टीकल्चर वेस्ट नहीं उठता। सैकेंड इनिंग एसोसिएशन इसको लेकर भी लगातार सवाल उठाती रहती है। नगर निगम को इस संबंध में शिकायतें भी उसकी ओर से दी गई हैं लेकिन इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती। कूड़ा कई कई दिन पड़ा रहता है।

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