ईश्वर के जीवंत अवतार थे आचार्य विद्यासागर महाराज जी, कण कण व जन जन के उपकारक को श्रद्धांजलि अर्पित की

ईश्वर के जीवंत अवतार थे आचार्य विद्यासागर महाराज जी, कण कण व जन जन के उपकारक को श्रद्धांजलि अर्पित की

 Paid Tribute to Acharya Vidyasagar Ji Maharaj

Paid Tribute to Acharya Vidyasagar Ji Maharaj

फ़रीदाबाद:  Paid Tribute to Acharya Vidyasagar Ji Maharaj: युग शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी को जैन इंजिनियर्स सोसाइटी, वर्धमान महावीर सोसाइटी व सकल जैन समाज द्वारा आयोजित विन्याजलि सभा में सभी संस्थाओं व सभी धर्म के प्रतिनिधिओ ने कहा कि पूज्य आचार्य श्री जन जन व कण कण के उपकारक व धरा पर ईश्वर के जीवंत अवतार थे.

  कार्यक्रम का शुभारम्भ आचार्य श्री जी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर डॉ सुभाष जैन, संरक्षक व संस्थापक अध्यक्ष ने किया. जेस फ़रीदाबाद के अध्यक्ष इंजिनियर अरुण जैन ने उनके जीवन के स्वर्णिम प्रष्ठों पर बोलते हुए उनके पशुसेवा, हथकरधा, चलचरखा, श्रमदान सेवा प्रकल्पओं की जानकारी दी जिनसे लाखों गोवंश को संरक्षण व जेल के कैदियों, वनवासी भाई बहिनों को नया जीवन व अच्छी आय उपलब्ध हो रही है, आचार्य श्री जी संग उन्होंने अंतरग पलों की चर्चा की जो उनके जीवन की अमूल्य निधि बने हैं. श्रीमती नंदा जैन ने आचार्य श्री जी की कठोर जीवन व तपचर्या, प्रतिभास्थली, पूर्णायु, भाग्योदय व शांतिधारा परियोजनाओ के बिषय में बताया जिनसे बेटियों को श्रेष्ठ शिक्षा व संस्कार व जन जन को श्रेष्ठ आरयुवैदिक औषधि के साथ उपचार व श्रेष्ठ वैद्य मिल रहे हैं. पूर्व जैन समाज अध्यक्ष श्री पी. सी. जैन, पूर्व मंत्री एल. सी. जैन ने गुरुदेव के साहित्य, विशाल जैन मंदिर व श्रेष्ठ 500 से अधिक बाल ब्रह्मचारी साधकों के बिषय में बताया जो आज सारे विश्व को अहिंसा, सेवा, साधना, करुणा का दिव्य सन्देश दे रहे हैं.

डॉ सुभाष जैन, एलायेंस क्लब के के. जी. अग्रवाल, डॉ हेमंत अत्रि, आर. एस. एस से श्री कुलदीप सैनी, विश्व हिन्दू परिषद से श्री कृष्ण सिंघल, आई. एम. टी. से, बी. जे. पी., श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर, सेक्टर 16,17 सीनियर सिटीजन संघ व मार्किट एसोसिएशन के सदस्यो ने भी अपनी अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि पूज्य आचार्य श्री जी को अर्पित की.

वक्ताओं ने बताया कि आचार्य श्री जी के माता, पिताजी, सभी भाई व बहिनों ने जैन संत बनकर एक अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया. आचार्य श्री जी के भोजन में नमक, चीनी, फल, सब्जी, दही, तेल, मावे, दूध भी नहीं थे. वस्त्र, आश्रम, धन के त्यागी गुरूजी ने साधना के 56   वर्षो ने एक लाख किलोमीटर से अधिक पदयात्रा की. अमरकंटक में बर्फीली सर्दी में भी वे बिना चटाई के लकड़ी के तखते पर मात्र 4 घंटे ही शयन करते थे.
देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, शिक्षाविद उनसे मार्गदर्शन लेते थे. इंडिया नहीं भारत बोलो उन्हीं का उदघोष था.
अंत में दो मिनिट मौन धारण कर नमोकार महामंत्र के जाप के साथ सभा सम्पन्न हुयी.