साल में सिर्फ एक बार नाग पंचमी पर खुलता यह मंदिर; उज्जैन के 'नागचंद्रेश्वर' में शिव का दुर्लभ रूप, दर्शन मात्र से कालसर्प दोष कट जाता

Ujjain Nagchandreshwar Temple Open In One Time In One Year On Nag Panchami
Nagchandreshwar Temple Story: आज 29 जुलाई 2025 को पूरे देश में नाग पंचमी का पर्व मनाया जा रहा है। सावन महीने की इस नाग पंचमी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। दरअसल, सनातन धर्म में देवताओं के साथ-साथ नाग भी पूजनीय माने गए हैं। ऐसे में नाग पंचमी का त्योहार मनाते हुए घर-घर में नाग पूजे जाते हैं। साथ ही इस दिन शिव की पूजा-पाठ का भी विशेष विधान है। इसलिए आज हम आपको एक ऐसे शिव मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो साल में सिर्फ एक बार नाग पंचमी पर ही खुलता है। इसके बाद पूरे साल बंद ही रहता है।
उज्जैन महाकालेश्वर धाम में स्थित 'नागचंद्रेश्वर' मंदिर
हम बात कर रहे हैं नागचंद्रेश्वर मंदिर की। यह मंदिर मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग गर्भगृह मंदिर प्रांगण में तीसरे तल पर स्थित है। मंदिर में नागचंद्रेश्वर के रूप भगवान शंकर अपने सम्पूर्ण परिवार के साथ यहां विराजमान हैं। दुनिया का यह इकलौता मंदिर है जहां शिव अद्वितीय और दुर्लभ रूप में भगवान विष्णु की तरह माता पार्वती संग शेषनाग की सैया पर बैठे हुए हैं। मंदिर में शिव जी और माता पार्वती के साथ गणेश, कार्तिकेय, नंदी, सिंह, सूर्य, चंद्रमा और त्रिशूल की झलक एक साथ मिलती है।
इस साल भी रात 12 बजे मंदिर के दरवाज़े खोले गए
इस साल भी परंपरा अनुसार नाग पंचमी के पर्व पर नागचंद्रेश्वर मंदिर के कपाट 28-29 जुलाई की मध्य रात्रि 12 बजे खोले गए। शुभ मुहूर्त में मंदिर के पट खुलने के बाद सर्वप्रथम पंचायती महानिर्वाणीअखाडा के महंत और साधू-संतों व आचार्यों ने विधि-विधान से नागचंद्रेश्वर भगवान का पूजन-अर्चन किया। साथ ही नागचंद्रेश्वर भगवान का जल और दुग्ध से अभिषेक भी किया गया। इसके बाद मंदिर को आम दर्शन के लिए खोल दिया। जिसके बाद नागचंद्रेश्वर भगवान के दुर्लभ दर्शन और झलक पाने के लिए भक्तों की भारी भीड़ जुट गई।
24 घंटे दर्शन कर पाएंगे भक्त
नागचंद्रेश्वर भगवान के कपाट खुलने के बाद का दृश्य भक्तों के लिए बहुत दुर्लभ और भावुक करने वाला होता है। भक्त 24 घंटे ही नागचंद्रेश्वर भगवान के दर्शन कर पाएंगे। रात 12 बजे से फिर से पूजा-अर्चना के साथ मंदिर के कपाट एक साल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। बता दें कि, नाग पंचमी पर नागचंद्रेश्वर भगवान के कपाट खुलने को लेकर देशभर से लाखों की संख्या में भक्त उज्जैन का रुख करते हैं। आज भी कपाट खुलने पर भक्त भारी संख्या में उज्जैन में मौजूद हैं और दर्शन के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं।
नागचंद्रेश्वर मंदिर की क्या है मान्यता?
यह नागचंद्रेश्वर मंदिर करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक है। मान्यता है कि जो भी नागचंद्रेश्वर मंदिर में सच्चे मन से भगवान के दर्शन करता है वह सभी प्रकार के दोषों से मुक्त हो जाता है। उसके जीवन की सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं. ऐसा माना जाता है कि यहां दर्शन मात्र से नागदोष, कालसर्प, गृह दोष और अन्य बाधाएं दूर हो जाती हैं। साथ ही माना जाता है कि साल के अन्य दिनों में जब मंदिर बंद रहता है तो इस मंदिर के बंद रहने के दौरान स्वयं वासुकी नाग की यहां उपस्थिति रहती है।
साल में एक बार ही क्यों खुलता नागचंद्रेश्वर मंदिर?
माना जाता है कि नागराज तक्षक ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठिन तपस्या की थी। उनकी तप से भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने तक्षक को अमरत्व का वरदान दिया। मान्यता है कि उसके बाद से ही नागराज तक्षक ने शिव के सानिध्य में वास करना शुरू कर दिया। लेकिन शिव के एकांत और ध्यान को देखते हुए तक्षक ने तय किया कि वह साल में सिर्फ एक बार नाग पंचमी के दिन ही उनके दर्शन करने आएंगे। इसी परंपरा के कारण मंदिर के कपाट केवल इसी दिन खोले जाते हैं। शेष समय परंपरा मुताबिक मंदिर बंद रहता है। मान्यता के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण 11वीं सदी में करवाया गया था।