Allahabad High Court News: बरेली जेल में 46 वर्षों से बंद 81 वर्ष के केशव प्रसाद की नहीं हो पा रही रिहाई, हाई कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

Allahabad High Court News: बरेली जेल में 46 वर्षों से बंद 81 वर्ष के केशव प्रसाद की नहीं हो पा रही रिहाई, हाई कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

Allahabad High Court News: बरेली जेल में 46 वर्षों से बंद 81 वर्ष के केशव प्रसाद की नहीं हो पा रही रिहाई

Allahabad High Court News: बरेली जेल में 46 वर्षों से बंद 81 वर्ष के केशव प्रसाद की नहीं हो पा रही र

लखनऊ : Allahabad High Court News: अभिलेखों के न मिल पाने के कारण सीतापुर जनपद के हत्या के एक मामले में 46 सालों से जेल में बंद 81 वर्षीय केशव प्रसाद की रिहाई पर विचार ही नहीं हो पा रहा है. बंदी केशव प्रसाद ने अब हाईकोर्ट (Highcourt) के लखनऊ बेंच की शरण ली है. मामले पर संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने याची के समय पूर्व रिहाई पर विचार करने का आदेश दिया है, साथ ही पूरे मामले पर जवाब भी तलब किया है. मामले की अगली सुनवाई 22 अगस्त को होगी.

Allahabad High Court News: न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव की बेंच ने दिया यह आदेश

यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव की बेंच ने इस समय बरेली जेल में निरुद्ध केशव प्रसाद की याचिका पर दिया है. सीतापुर के कोतवाली थाना क्षेत्र में वर्ष 1974 में हुए, हत्या के एक मामले में 18 दिसंबर 1976 को याची को सत्र अदालत ने दोष सिद्ध करार देते हुए, आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. सत्र अदालत के इस निर्णय को याची ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में चुनौती दी, लेकिन 2 सितम्बर 1988 को याची की यह अपील भी खारिज हो गई. याची के अधिवक्ता ने कोर्ट के समक्ष दावा किया कि दोष सिद्ध की तिथि से ही याची जेल में है.

Allahabad High Court News: पिछली सुनवाई पर यह हुआ

पिछली सुनवाई पर न्यायालय द्वारा हस्तक्षेप किए जाने के बाद यह तथ्य सामने आया कि 22 जनवरी 2001 को याची को सीतापुर जेल से बरेली जेल स्थानांतरित कर दिया गया था. बरेली जेल प्रशासन का कहना है कि वर्षों पहले जेल में हुए एक अग्निकांड में तमाम अभिलेख नष्ट हुए थे, इसी घटना में याची के भी अभिलेख नष्ट हो गए.

उधर, हाईकोर्ट में भी याची से सम्बंधित पत्रावलियों का कोई पता नहीं चल सका है. याची की ओर से यह तथ्य भी बताया गया है कि याची की समय पूर्व रिहाई के लिए भेजा गया आवेदन भी कारागार मुख्यालय सत्र न्यायालय के निर्णय की प्रति के आभाव में वापस भेज चुका है.