'मैं अविवाहित हूं, कुंवारा नहीं...'; पूर्व PM अटल बिहारी वाजपेयी ने जब शादी के सवाल पर दिया था ऐसा जवाब, जानिए वो दिलचस्प किस्सा
Atal Bihari Vajpayee Untold Story on His 101th Birth Anniversary
Atal Bihari Vajpayee Jayanti: एक शालीन व्यक्ति और भारत के 3 बार प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी की आज 101वीं जयंती है। वाजपेयी की जयंती पर उन्हें याद कर देशभर में श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु, उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में अटल बिहारी वाजपेयी के समाधि स्थल 'सदैव अटल' स्मारक पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी है। इसके साथ ही वह अटल स्मारक स्थल पर आयोजित भजन संगीत कार्यक्रम में भी शामिल हुए।
पीएम मोदी के साथ-साथ पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पूर्व उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा, बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नबीन समेत कई केंद्रीय मंत्री और बीजेपी-एनडीए गठबंधन के नेता भी अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि देने पहुंचे हैं। वहीं दूसरी तरफ विभिन्न राज्यों में बीजेपी की सरकारें अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती को 'सुशासन दिवस' के रूप में मना रहीं है और कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
अटल बिहारी ने शादी के सवाल पर दिया था ऐसा जवाब
अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में कुछ किस्से बहुत ज्यादा चर्चित रहे हैं। आज भी उन किस्सों को जब याद किया जाता है तो जहन में यह ख्याल जरूर आता है कि, वह बातों और बयानों में कितने ज्यादा माहिर थे। मतलब किसी भी सवाल पर कैसा जवाब देना है, ये कोई अटल बिहारी वाजपेयी से सीखे। तो आइए इसी कड़ी में आज हम अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा जानते हैं। ये किस्सा वाजपेयी की शादी से जुड़ा हुआ है। हम सभी जानते हैं कि अटल बिहारी वाजपेयी ने शादी नहीं की और ताउम्र सिंगल रहे। इसीलिए उनकी शादी को लेकर अक्सर उनसे सवाल किए जाते रहे।
पत्रकार बातों ही बातों में अटल बिहारी वाजपेयी से शादी का सवाल कर देते थे। लेकिन जितनी चतुराई से पत्रकार वाजपेयी में शादी का जवाब खंगालने की कोशिश कर रहे होते थे उससे ज्यादा चतुर तरीके से वाजपेयी अपना जवाब दे डालते थे। शादी के सवाल पर अटल बिहारी वाजपेयी का एक जवाब सबसे ज्यादा चर्चित है। शादी के सवाल पर एक बार अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था, "मैं अविवाहित हूं, लेकिन कुंवारा नहीं." अटल के इस जवाब के बाद पत्रकार भी क्या ही बोलते।
कुछ इस तरह का था सवाल
दरअसल, अटल बिहारी वाजपेयी से सवाल किया गया था कि- "वाजपेयी जी आप अब तक कुंवारे क्यों हैं?" इसी सवाल पर उन्होंने जवाब दिया और कहा, "मैं अविवाहित हूं, लेकिन कुंवारा नहीं." साथ ही उन्होने यह भी कहा कि "आदर्श पत्नी की खोज में." पत्रकार ने फिर पूछा, "क्या वह मिली नहीं?" इस पर वाजपेयी ने जवाब दिया, "मिली तो थी लेकिन उसे भी आदर्श पति की तलाश थी." वाजपेयी का जवाब सुन पत्रकार भी हंसने लग गए।
अटल बिहारी वाजपेयी की लव स्टोरी की चर्चा
अटल बिहारी वाजपेयी ने शादी नहीं की ये तो सबको पता ही है लेकिन वाजपेयी की लव स्टोरी के बारे में शायद कम लोगों को ही पता हो। बताते हैं कि, अटल बिहारी वाजपेयी की लव स्टोरी की चर्चा भी खूब रही। कहा जाता है मिसेज कौल प्रधानमंत्री आवास में अटल बिहारी वाजपेयी के साथ ही रहती थीं। लेकिन पत्नी के दर्जे से नहीं। दोनों का ये रिश्ता बेनाम ही रहा। हालांकि, दोनों में दोस्ती के दर्जे की बात होती रही। एक बार मिसेज कौल को लेकर अटल बिहारी वाजपेयी से सवाल भी कर दिया गया था।
दरअसल 1978 में जब वाजपेयी विदेश मंत्री थे तो वह चीन और पाकिस्तान से लौटकर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे। जहां इसी दौरान एक पत्रकार ने उनसे पूछ लिया- "वाजपेयी जी, पाकिस्तान, कश्मीर और चीन की बात छोड़िए और ये बताइए कि मिसेज़ कौल का क्या मामला है?" पत्रकार ने ये सवाल पूछा ही था कि प्रेस कॉन्फ्रेंस का माहौल एकदम से शांत हो गया और सबकी निगाहें अब अटल बिहारी वाजपेयी पर थीं।
ये भी लग रहा था कि अटल बिहारी वाजपेयी कहीं गुस्सा न हो जाएँ लेकिन ऐसा नहीं हुआ और उन्होने बड़े गजब तरीके से पत्रकार के सवाल का जवाब दिया।कुछ देर चुप रहने के बाद अटल बिहारी ने मुस्कुराते हुए कहा था- "कश्मीर जैसा मसला है." (अटल बिहारी वाजपेयी के ये दोनों किस्से उन पर लिखी गई किताब 'हार नहीं मानूंगा: एक अटल जीवन गाथा' से लिए गए हैं)। अटल बिहारी वाजपेयी का निधन 16 अगस्त 2018 को हो गया था। वाजपेयी उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे।
कभी सवालों पर झुल्झुलाए नहीं वाजपेयी
बातों और बयानों में माहिर अटल बिहारी वाजपेयी में एक खास बात हमेशा रही कि वही कभी सवालों पर झुल्झुलाए नहीं। कोई सार्वजनिक राजनीतिक मुद्दा हो या पर्सनल... अटल बिहारी वाजपेयी अपने लहजे से सबको कायल कर देते थे। यही कारण है कि अटल बिहारी वाजपेयी को राजनीति का सबसे शानदार वक्ता माना जाता है। अटल बिहारी वाजपेयी के बोलने की कला उन्हें औरों से बिलकुल अलग बनाती थी। वह हमेशा ही अपनी बातों को शालीनता के साथ रखते रहे। तीखी बातें भी उन्होंने शालीनता के साथ ही बोलीं। इसीलिए उन्हें सुनने वाले हमेशा ही भौच्चके रह जाते थे।

मध्य प्रदेश के ग्वालियर में जन्मे थे अटल, माहिर कवि भी थे
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसम्बर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था। उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर में अध्यापन कार्य करते थे इसके अतिरिक्त वे हिन्दी व ब्रज भाषा के सिद्धहस्त कवि भी थे। इसीलिए अटल बिहारी वाजपेयी में कवि के गुण वंशानुगत परिपाटी से ही प्राप्त हुए। आप जानते ही हैं कि वाजपेयी राजनेता के साथ एक माहिर कवि भी हुए। उन्होने कई रचनाएँ लिखीं। उनकी लिखी रचनाएं आज भी लोगों के बीच चर्चित हैं। उन्होंने राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया। वे लिखने में माहिर थे और ज़िंदगी, राजनीति और नैतिक मूल्यों को शब्दों में पिरो देते थे।
शुरुवाती शिक्षा ग्वालियर में, कानपुर में उच्च शिक्षा ली
अटल बिहारी वाजपेयी की शुरुवाती शिक्षा उनके गृह क्षेत्र ग्वालियर में ही हुई। उन्होने बी॰ए॰ की शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया काॅलेज (वर्तमान में लक्ष्मीबाई कालेज) से ली। वहीं छात्र जीवन से ही वाजपेयी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ थे और तभी से राष्ट्रीय स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे। वहीं अटल बिहारी वाजपेयी ने कानपुर के डीएवी कॉलेज से राजनीति शास्त्र में एम॰ए॰ की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। उसके बाद उन्होंने अपने पिताजी के साथ-साथ कानपुर में ही एल॰एल॰बी॰ की पढ़ाई भी प्रारम्भ की लेकिन उसे बीच में ही विराम देकर पूरी निष्ठा से संघ के कार्य में जुट गये।
संघ से जुडने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने डॉ॰ श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के निर्देशन में राजनीति का पाठ पढ़ा। सन् 1952 में अटल बिहारी वाजपेयी ने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा, परन्तु सफलता नहीं मिली। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और सन् 1957 में बलरामपुर (जिला गोण्डा, उत्तर प्रदेश) से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा में पहुँचे। इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी की राजनीतिक ऊंचाई बढ़ती ही चली गई.
पहली बार 13 दिन के लिए प्रधानमंत्री बने अटल बिहारी वाजपेयी
अटल बिहारी वाजपेयी भारत के 3 बार प्रधानमंत्री बने। लेकिन 2 बार उनकी सरकार 5 साल के कार्यकाल को पूरा किए बिना ही गिर गई। दरअसल, साल 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी जब पहली बार भारत के प्रधानमंत्री बने तो वह इस पद पर 13 दिन ही रहे और उनकी सरकार गिर गई। वाजपेयी 16 मई से 1 जून 1996 तक पहली बार प्रधानमंत्री रहे थे। इसके बाद फिर 1998 से मार्च 1999 तक 13 महीने के लिए प्रधानमंत्री रहे और इसके बाद फिर 19 मार्च 1999 से 22 मई 2004 तक भारत के पूर्ण कालिक प्रधानमन्त्री रहे। वह लंबे समय तक सांसद रहे और विदेश मंत्री भी रहे।
अटल पीएम रहते भारत परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र बना
आपको पता हो कि अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री रहते ही भारत परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र बना था। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में पहली भारतीय परमाणु परीक्षण हुआ। 11 और 13 मई 1998 को पोखरण में पाँच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट करके भारत को परमाणु शक्ति सम्पन्न देश घोषित कर दिया गया। परमाणु परीक्षण इतनी गोपनीयता से किया गया कि अति विकसित जासूसी उपग्रहों व तकनीक से सम्पन्न पश्चिमी देशों को इसकी भनक तक नहीं लगी।
वहीं दुनिया को जब भारत के परमाणु परीक्षण करने और परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र बनने की जानकारी हुई तो इसके बाद पश्चिमी देशों द्वारा भारत पर अनेक प्रतिबन्ध लगाए गए लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी ने सबका दृढ़तापूर्वक सामना करते हुए आर्थिक विकास की ऊँचाईयों को छुआ। पूरी दुनिया इस नए भारत को देखते ही रह गई।
भारत रत्न से सम्मानित अटल बिहारी वाजपेयी
अटल बिहारी वाजपेयी एक ऐसे नेता रहे, जिन्होंने शालीनता को राजनीतिक ज्ञान के साथ जोड़ा। वाजपेयी ने समावेशी विकास के अपने दृष्टिकोण और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के साथ भारतीय राजनीति को नया रूप देने को काम किया। इसलिए जब-जब सिद्धांत एवं नैतिक मूल्यों पर आधारित राजनीति की बात चलेगी, तब-तब अटल बिहारी वाजपेयी याद किए जाएंगे। अटल बिहारी वाजपेयी को साल 2015 में सर्वतोमुखी विकास के लिये किये गये योगदान तथा असाधारण कार्यों के लिये भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
PM मोदी ने वाजपेयी को कुछ इस तरह किया याद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां एक तरफ अटल बिहारी वाजपेयी के समाधि स्थल 'सदैव अटल' पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की तो वहीं दूसरी तरफ उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी को एक खास अंदाज में याद किया। पीएम मोदी ने वाजपेयी का एक वीडियो शेयर किया और उनके बारे में अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि जनसेवा और राष्ट्रसेवा को समर्पित वाजपेयी जी का जीवन देशवासियों को हमेशा प्रेरित करता रहेगा।
पीएम मोदी ने कहा, ''आदरणीय अटल जी की जन्म-जयंती हम सबके लिए उनके जीवन से प्रेरणा लेने का एक विशेष अवसर है। उनका आचरण, शालीनता, वैचारिक दृढ़ता और राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखने का संकल्प भारतीय राजनीति के लिए एक आदर्श मानक है। उन्होंने अपने जीवन से यह सिद्ध किया कि श्रेष्ठता पद से नहीं, आचरण से स्थापित होती है और वही समाज को दिशा देती है।''
पीएम मोदी ने कहा, ''उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन सुशासन और राष्ट्र निर्माण को समर्पित कर दिया। वे एक प्रखर वक्ता के साथ-साथ ओजस्वी कवि के रूप में भी सदैव स्मरणीय रहेंगे। उनका व्यक्तित्व, कृतित्व और नेतृत्व देश के चहुंमुखी विकास के लिए पथ-प्रदर्शक बना रहेगा। उनका विजन और मिशन विकसित भारत के संकल्प में निरंतर शक्ति का संचार करता रहेगा।''
देशवासियों के हृदय में बसे पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी को उनकी जयंती पर सादर नमन। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन सुशासन और राष्ट्र निर्माण को समर्पित कर दिया। वे एक प्रखर वक्ता के साथ-साथ ओजस्वी कवि के रूप में भी सदैव स्मरणीय रहेंगे। उनका व्यक्तित्व, कृतित्व और… pic.twitter.com/lFUdCnm7cf