23 साल पहले कप्तान के रूप में जो नहीं कर पाया वो 2022 में बतौर कोच कर सका- चंद्रकांत पंडित

23 साल पहले कप्तान के रूप में जो नहीं कर पाया वो 2022 में बतौर कोच कर सका- चंद्रकांत पंडित

23 साल पहले कप्तान के रूप में जो नहीं कर पाया वो 2022 में बतौर कोच कर सका- चंद्रकांत पंडित

23 साल पहले कप्तान के रूप में जो नहीं कर पाया वो 2022 में बतौर कोच कर सका- चंद्रकांत पंडित

मध्य प्रदेश रणजी टीम खिताबी मुकाबले के चौथे ही दिन जीत के मुहाने पर नजर आने लगी थी। प्रशंसकों ने जश्न की तैयारी करना शुरू कर दी थी। मगर कोच चंद्रकांत पंडित आखिरी दिन की रणनीति बनाने में जुटे थे। चिंता इतनी थी कि सारी रात सो न सके। उन्होंने कहा कि 23 साल पहले कप्तान रहते जो काम वह नहीं कर सके, उसे कप्तान आदित्य श्रीवास्तव ने कर दिखाया। टीम की सफलता और रणनीति पर चंद्रकांत पंडित ने कपीश दुबे से खास चर्चा की, पेश हैं मुख्य अंश :

- रणजी फाइनल जीतने के साथ सत्र का समापन कितना राहत भरा अनुभव है?

- यह सभी के लिए बहुत खुशी की बात है। हम इसके लिए दो साल से तैयारी कर रहे थे। हम सुबह नौ बजे से अभ्यास शुरू करते थे और शाम को 4.30 बजे तक अभ्यास चलता था। कभी-कभी रात को भी अभ्यास किया है। आज उस मेहनत का फल मिला है।

- फाइनल जीतने के बाद आपकी आंखों में आंसू थे। इतनी भावुकता क्यों?

- मैं भावुक था। मैं भगवान को धन्यवाद दे रहा था। 23 साल पहले हम इसी मैदान पर फाइनल हारे थे। जब मुझे कोच बनने के लिए मप्र क्रिकेट संगठन के सचिव संजीव राव का फोन आया तो लगा कि जो काम तब अधूरा रह गया है, अब उसे पूरा करने का अवसर भगवान दे रहा है। अब वह अवसर मिला।

- युवा आदित्य श्रीवास्तव की कप्तानी को कैसे आंकते हैं?

- आदित्य ने बहुत चतुराई से कप्तानी की थी। उन्हें क्रिकेट की अच्छी समझ है। उन्होंने मेरे साथ बहुत वक्त बिताया। वे रणनीति बनाने को लेकर चर्चा करते थे। बाद में खिलाडि़यों को उनकी जिम्मेदारी बताते हुए मैच में उस रणनीति को क्रियांवित करते थे। जो काम 23 साल पहले बतौर कप्तान मैं नहीं कर सका, वह आदित्य ने कर दिखाया।

- फाइनल से पहले की रात कैसे बीती। क्या जीत को लेकर रोमांचित थे?

- मैं पूरी रात नहीं सोया। दिमाग में आखिरी दिन क्या होगा इसे लेकर रणनीति चल रही थी। हमें कैसी गेंदबाजी करना है, किससे गेंदबाजी कराना है और क्षेत्ररक्षण कैसा रहेगा। यही सब सोच रहा था। मानसिक रूप से दबाव था। हमें उम्मीद थी कि 100 से 125 रनों तक का लक्ष्य मिल सकता है। इसके बाद हम कैसे बल्लेबाजी करेंगे यह सब दिमाग में चल रहा था।

- मुंबई के खिलाफ फाइनल में क्या कभी लगा कि मप्र मुश्किल में है?

- मैच के चौथे दिन जब तीन अहम बल्लेबाज कम स्कोर पर आउट हुए तो थोड़ा दबाव आ गया था। हम बड़ी बढ़त लेना चाह रहे थे। हालांकि बाद में हमने इसकी भरपाई कर ली।