water crisis in India

केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का चौंकाने वाला खुलासा, हिंदुस्तान पर पानी का लेकर संकट के बादल

water crisis in India

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हिंदुस्तान, अमरीका और चीन से कहीं ज्यादा कर रहा जल का दोहन

हरित क्रांति के चलते पंजाब-हरियाणा में भूगर्भ जल का दोहन ज्यादा: शेखावत

पैक में हुए समारोह में शिरकत करने पहुंचे थे केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत

बोले, केंद्र सरकार ने पंचायत स्तर पर रीचार्ज किये जाने का ब्लू प्रिंट तैयार किया जिसे जनभागीदारी से लागू किया जायेगा

water crisis in India- चंडीगढ़, (साजन शर्मा)I जल की उपलब्धता आज एक बड़ा संकट और चुनौती बनती जा रही है। अगला विश्व युद्ध पानी को लेकर हो सकता है, ऐसा कई लोगों का मानना है जिससे 2050 तक पूरी दुनिया की 900 करोड़ की आबादी को भोजन-पानी मुहैया करा पाने की बड़ी चुनौती सामने होगी। जिस तरह से आज कई कारणों से पानी के स्रोत घट रहे हैं उससे चिंता बढऩी स्वाभाविक है। हरियाणा और पंजाब (Haryana and Punjab) में हरित क्रांति के कारण जलदोहन ज्यादा हुआ जिससे नदियों के तल और भूगर्भ जल (Water) पर कुप्रभाव पड़ा। उन्होंने कहा कि सरकार के द्वारा उठाये गए कई कदमों से कुछ राज्यों में वाटर टेबल में स्थिरता आई है या फिर बढ़ोतरी दर्ज की गई है लेकिन पांच नदियों के प्रदेश पंजाब और राजस्थान (Punjab & Rajasthan) में हालात अभी भी काफी दयनीय है क्योंकि यहां भूगर्भ जल का दोहन ज्यादा है और वाटर रीचार्ज नहीं हो रहा है। केंद्र सरकार (Centre Government) ने पंचायत स्तर पर रीचार्ज किये जाने का ब्लू प्रिंट तैयार किया है जिसे जनभागीदारी से लागू किया जायेगा। यह कहना है केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत (Union Jal Shakti Minister Gajendra Singh Shekhawat) को जो पेक यूनिवर्सिटी (PEC University) में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन हाइड्रो 2022 में बतौर मुख्य अतिथि के तौर पर भाग लेने पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि देशभर में फिलहाल कुल 48 लाख वाटर बॉडी को चिन्हित किया जा चुका है। नदी, बांध, तालाब, बावड़ी और भूगर्भ जल के अलावा वर्षा आदि के पानी की एक चेन है जिसमें से किसी के भी टूटने पर बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। बांधों में गाद की समस्या लगातार बढ़ रही है जिससे ये अपनी पूरी क्षमता के साथ काम नहीं कर पा रहे हैं। पर्यावरण प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन भी बड़े कारक हैं जिसके कारण पानी भयंकर तौर पर प्रदूषित हो रहा है। कुछ क्षेत्रों में अति वर्षा और कुछ जगहों पर सूखा पडऩे से भोजन-पानी की दिक्कत पेश आ रही है। पानी न होने से पैदावार प्रभावित हो रही है। भारी बारिश से भी फसलें खराब हो रही हैं।

उन्होंने वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि वे गंभीर चर्चा करें कि कैसे जल की उपलब्धता को बढ़ाया जा सकता है? इसे दूषित व खराब होने से कैसे बचाया जा सकता है? उन्होंने माना कि विकास, माइनिंग, और बढ़ती जनसंख्या (Population) के चलते जल स्रोतों पर भारी दबाव है। उन्होंने कहा कि चीन और अमेरिका जितना पानी धरती से निकाल रहे हैं, अकेला भारत ही उससे ज्यादा पानी निकाल रहा है। हमारे पास पूरी दुनिया का केवल चार फीसदी ताजा पानी है लेकिन हमारी आबादी 18 फीसदी है। आने वाले समय में तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था के लिये पानी कहां से आयेगा, हिमनद सूख रहे हैं, भूगर्भ जल का स्तर गिर रहा है, जलवायु परिवर्तन हो रहा है, वाटर रीसाइकिल चेन टूट रही है ऐसे में ये सब बड़ी चुनौती खड़ी कर रहे हैं।

इससे पूर्व पेक यूनिवर्सिटी के निदेशक प्रो. बलदेव सेतिया ने मेहमानों और प्रतिभागियों का स्वागत किया। बीबीएमबी के संजय श्रीवास्तव ने भाखड़ा, नंगल, पंडोह और पौंग डैम में गाद व प्रदूषण को बड़ी समस्या बताया जिससे निपटने के लिये वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों से सुझाव मांगे। इंडियन सोसायटी आफ हाइड्रोलिक्स पुणे के आरएस कांकरा और पेक बोर्ड आफ गवर्नर्स के राजेंद्र गुप्ता भी इस मौके पर उपस्थित थे।

 

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