सीएम पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों को दी इगास बग्वाल की शुभकामनाएं

Uttarakhand Folk Festival Igas

Uttarakhand Folk Festival Igas

देहरादून: Uttarakhand Folk Festival Igas: इगास उत्तराखंड का लोकपर्व है. जिसे आज प्रदेशभर में धूमधाम से मनाया जाएगा. उत्तराखंडी लोकपर्व इगास की सीएम धामी ने प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं. सीएम धामी ने कहा देवभूमि उत्तराखंड की समृद्ध लोक संस्कृति और परंपराएं हमारी पहचान हैं. जिस प्रकार पूरे देश में सांस्कृतिक गौरव और विरासत का पुनर्जागरण हो रहा है, उसी तरह उत्तराखंडवासी भी अपने लोकपर्व इगास को उत्साह, आस्था और हर्षोल्लास के साथ मना रहे हैं.

सीएम धामी ने एक्स पर लिखा- हमारी सरकार द्वारा इगास पर्व पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है ताकि लोग अपनी जड़ों से जुड़ सकें और अपने परिवार के साथ इस लोकपर्व को परंपरागत रीति से मना सकें। इस पावन अवसर पर ईश्वर से आप सभी के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना करता हूं.

क्या है इगास पर्वः उत्तराखंड में बग्वाल, इगास मनाने की परंपरा है. दीपावली को यहां बग्वाल कहा जाता है, जबकि बग्वाल के 11 दिन बाद एक और दीपावली मनाई जाती है, जिसे इगास कहते हैं. पहाड़ की लोक संस्कृति से जुड़े इगास पर्व के दिन घरों की साफ-सफाई के बाद मीठे पकवान बनाए जाते हैं और देवी-देवताओं की पूजा की जाती है. साथ ही गाय व बैलों की पूजा की जाती है. शाम के वक्त गांव के किसी खाली खेत अथवा खलिहान में नृत्य के भैलो खेला जाता है. भैलो एक प्रकार की मशाल होती है, जिसे नृत्य के दौरान घुमाया जाता है. इगास पर पटाखों का प्रयोग नहीं किया जाता है.

इगास लोक पर्व की दो मान्यताएं सबसे ज्यादा प्रचलित: लोक कथाओं के अनुसार इगास पर्व मनाने के पीछे कई अलग-अलग कहानी हैं, लेकिन सबसे प्रचलित दो कहानी हैं. पहली कहानी गढ़वाल के वीर सेनापति माधव सिंह भंडारी की है. दरअसल वह गढ़वाल नरेश के ऐसे सेनापति थे जो की दुश्मन से लड़ते-लड़ते तिब्बत बॉर्डर से आगे चले गए थे और इस दौरान दीपावली का पर्व आया, लेकिन गढ़वाल क्षेत्र में किसी ने दीपावली नहीं मनाई और दीपावली के ठीक 11 दिन बाद जब वीर सैनिक माधव सिंह भंडारी वापस अपने प्रांत लौटे, तो फिर पूरे गढ़वाल क्षेत्र में धूमधाम से दीपावली का पर्व मनाया गया.

भगवान राम के वनवास से वापस लौटने की देर से मिली थी सूचना: इसके अलावा एक और कहानी इगास लोक पर्व को लेकर बेहद प्रचलित है. ऐसा कहा जाता है कि भगवान राम के वनवास से वापस लौटने के मौके पर जब दीपावली मनाई जा रही थी, तो उस वक्त पहाड़ों में सूचना का कोई साधन ना होने की वजह से भगवान राम के वापस आने की सूचना लोगों को देर से मिली थी. जिससे पहाड़ों में दीपावली के 11 दिन बाद दीपावली मनाई जाती है, जिसे लोक पर्व इगास के रूप में जाना जाता है.