कुमाऊँ समाज ने ट्राइसिटी में मनाई बूढ़ी दिवाली, संस्कृति को बनाए रखने की पहल
Kumaon Community Celebrates Old Diwali in Tricity
Kumaon Community Celebrates Old Diwali in Tricity: कुमाऊँ सभा, चंडीगढ़ के आवाह्न पर कुमाऊँ समाज के लोगों द्वारा ट्राइसिटी में घर-घर में बूढ़ी दिवाली (इगास) मनाई गई I सभा के मीडिया प्रभारी शशि प्रकाश पांडेय ने बताया कि मनोज रावत की कार्यकारिणी ने कुमाऊँ समाज में अपनी संस्कृति को सहेजने का बहुत बढ़िया कार्य किया है I उनकी पहल पर ही इस त्यौहार को घर-घर में मनाया गया I उन्होंने आगे बताया कि कुमाऊँ में दिवाली के कई रूप हैं I सबसे पहले शरद पूर्णिमा को कोजागर मनाई जाती है, इस दिन लक्ष्मी जी के बाल स्वरुप की पूजा होती है I उसके बाद कार्तिक अमावस्या को महालक्ष्मी पूजा होती हैI इस दिन लक्ष्मी जी के यौवन स्वरुप की पूजा होती है I जो कि मुख्य दिवाली होती है I दिवाली के इग्यारह दिन बाद बूढ़ी दिवाली मनाई जाती है I यह कार्तिक शुक्ल की एकादशी (हरिबोधिनी एकादशी) को मनाई जाती है I इसे देवउठनी एकादशी भी कहा जाता है I भगवान विष्णु के चार महीने के विश्राम काल के अंत का प्रतीक माना जाता है, जो नए कार्यों की शुरुआत के लिए शुभ समय होता है I इसी दिन से शुभ मांगलिक कार्य शादी ब्याह भी शुरू हो जाते हैं I यह त्यौहार दिवाली के 11 दिन बाद मनाया जाता है और इस दिन लक्ष्मी जी के वृद्ध स्वरुप की पूजा होती है I गढ़वाल में ही इसे इगास बग्वाल के रूप में मनाया जाता हैंI लोगों ने दिवाली की तरह ही इस त्यौहार पर भी अपने घरों में रौशनी की और दिए जलाए I