शौर्य चक्र से सम्मानित हुए उत्तराखंड के वीर कैप्टन दीपक सिंह, आतंकियों से लड़ते हुए हुए थे शहीद

Shaurya Chakra to Captain Deepak Singh

Shaurya Chakra to Captain Deepak Singh

देहरादून: Shaurya Chakra to Captain Deepak Singh: उत्तराखंड के वीर सपूत कैप्टन दीपक सिंह को अदम्य साहस के लिए मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारत के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले कैप्टन दीपक सिंह की मां और पिता को शौर्य चक्र दिया. बेटे की वीरता पर शौर्य चक्र पाकर उनके माता-पिता भावुक हो गए.

आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए थे दीपक सिंह: बता दें कि 14 अगस्त 2024 को जम्मू कश्मीर के डोडा जिले के अस्सर के शिवगढ़ धार इलाके में भारतीय सेना के 48 राष्ट्रीय राइफल्स के कैप्टन दीपक सिंह शहीद हो गए थे. इससे पहले सुरक्षा बलों की संयुक्त टीम को खुफिया इनपुट मिला था कि आतंकी छिपे हुए हैं. जिस पर कैप्टन दीपक सिंह के नेतृत्व में दो दलों को तैनात किया. लगातार निगरानी के बाद शाम करीब साढ़े 7 बजे के आसपास आतंकियों की गतिविधि नजर आई.

पूरी रात आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देते रहे कैप्टन दीपक: इसके बाद कैप्टन दीपक ने अपनी टुकड़ी को संगठित कर आतंकियों की घेराबंदी शुरू कर दी. इसके तहत जवानों ने सटीक निशाना लगातार एक आतंकी को घायल कर दिया. अंधेरा होने और आतंकियों के चट्टान के पीछे छिपे होने की वजह से काफी चुनौती पेश आई, लेकिन दीपक सिंह पूरी रात अपनी टुकड़ी के साथ डटे. अगली सुबह कैप्टन दीपक सिंह ने तलाशी अभियान शुरू किया.

मुठभेड़ में शहीद हुए दीपक सिंह: तलाशी अभियान के दौरान एम 4 असॉल्ट राइफल के साथ गोला बारूद बरामद हुआ. इसी बीच चट्टान के पीछे छिपे घायल आतंकी ने फायरिंग शुरू कर दी. जिस पर कैप्टन दीपक सिंह ने अपने प्राणों की चिंता न करते हुए अपने साथी को सुरक्षित पीछे किया और खुद आगे जाकर आतंकी को मुंहतोड़ जवाब देना शुरू किया. काफी देर तक आमने-सामने गोलीबारी चली. जिसमें कैप्टन दीपक घायल हो गए.

शहीद कैप्टन दीपक सिंह को मरणोपरांत मिला शौर्य चक्र: कैप्टन दीपक सिंह को आर्मी हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टर उनकी जान नहीं बचा पाए. आखिरकार अदम्य साहस का अप्रतिम परिचय देते हुए वीरगति को प्राप्त हुए. वहीं, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वीर शहीद कैप्टन दीपक सिंह मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया. यह सम्मान उनके माता चंपा सिंह और पिता महेश सिंह ने ग्रहण किया.

शौर्य चक्र लेते वक्त माता चंपा सिंह की भर आईं आंखें: बता दें कि 25 साल के कैप्टन दीपक सिंह कॉर्प्स ऑफ सिग्नल्स की 48 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात थे. जो देहरादून के कुआं वाला के निवासी थे. जबकि, उनके पिता महेश सिंह उत्तराखंड पुलिस के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं. जो निरीक्षक एवं पुलिस मुख्यालय में रह चुके हैं. वहीं, शौर्य चक्र लेते वक्त उनकी माता चंपा सिंह की आंखें भर आईं.

तीन भाई-बहनों में सबसे छोटे थे कैप्टन दीपक सिंह: कैप्टन दीपक तीन भाई-बहनों में सबसे छोटे थे. जबकि, दो बहनें उनसे बड़ी हैं. जिस वक्त वे शहीद हुए थे, उसके चंद दिन बाद रक्षाबंधन का त्यौहार था. बहन अपने भाई का इंतजार करती रही, लेकिन भाई देश के लिए कुर्बान हो गया. अपने बेटे की शहादत के बाद कैप्टन दीपक के पिता महेश सिंह ने कहा था कि वो अपनी आंखों से एक भी आंसू नहीं बहाएंगे. क्योंकि, उन्हें गर्व है कि उनका बेटा देश के लिए कुछ कर पाया.

वहीं, कैप्टन दीपक सिंह मरणोपरांत शौर्य चक्र मिलने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी समेत तमाम मंत्रियों ने उनकी शहादत को याद किया. उत्तराखंड के सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने कहा है कि यह गर्व का पल है. उत्तराखंड में पैदा होने वाला हर बच्चा देश के प्रति समर्पित होने के लिए तैयार रहता है. उनके माता-पिता भी सेना में भेजने के लिए बच्चों को आतुर रहते हैं. शहीद कैप्टन दीपक सिंह का शौर्य, बलिदान और कर्तव्यनिष्ठा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है.