यूपी में टाउनशिप बनाने को लेकर योगी सरकार का बड़ा फैसला, खत्म हुई ये बाध्यता

Decks Cleared for Integrated Townships in UP

Decks Cleared for Integrated Townships in UP

लखनऊ। Decks Cleared for Integrated Townships in UP: उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद ने आठ माह पहले ही राजधानी के देवा रोड पर शालीमार ग्रुप की इंटीग्रेटेड टाउनशिप को धरातल पर उतारने का एलान किया था। आवासीय योजना की धारा 28 की कार्यवाही चल रही है। अब कम क्षेत्रफल में आवासीय योजनाएं आ सकेंगी। साथ ही 28 अधूरी योजनाओं को पूरा करने के लिए रियायतें दी जाएंगी। आवास विकास परिषद व एलडीए अब ऐसी परियोजनाओं को चिन्हित कर रहा है।

प्रदेश सरकार ने 20 साल बाद इंटीग्रेटेड टाउनशिप को लेकर अहम निर्णय लिया है, खासकर उन योजनाओं की जो भूमि न मिलने से पूरी नहीं हो पाती थी। ऐसे में सरकार ने 25 एकड़ का क्षेत्र घटाकर 12.50 एकड़ कर दिया है। यह भी संयोग है कि पिछली सरकारों में इंटीग्रेटेड टाउनशिप योजना पांच की संख्या तक सीमित थी।

वहीं, आवास विकास परिषद ने इसी साल अप्रैल में देवा रोड पर मेसर्स शालीमार ग्रुप की टाउनशिप को गांव सभा, चकरोड आदि की भूमि मुहैया कराने के लिए धारा 28 के तहत अधिग्रहीत करके देने पर मुहर लगाया था। डीपीआर स्वीकृत होने के बाद अब ये पांच साल में बनकर तैयार होगी। टाउनशिप में भूखंडों के अलावा ग्रुप हाउसिंग सहित अन्य सभी सुविधाएं होंगी।

असल में, प्रदेश की टाउनशिप नीति 2023 में प्रविधान किया गया है कि विकास प्राधिकरण क्षेत्र के बाहर यदि टाउनशिप आती है तो उसकी नोडल एजेंसी आवास एवं विकास परिषद होगा। वह लाइसेंस देने के साथ ही भूमि अधिग्रहण व भूखंडों का नक्शा स्वीकृत आदि सभी कार्य ठीक वैसे ही करेगा, जिस तरह की प्रक्रिया परिषद की नई टाउनशिप में अपनाई जाती है।

देवा रोड पर खजूरगांव व तिंदोला परगना देवा रोड बाराबंकी में 158 एकड़ में टाउनशिप लाने के लिए शालीमार ग्रुप को लाइसेंस दिया जा चुका है। धारा 28 यानी भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो गई है। नई टाउनशिप के लिए शालीमार ग्रुप ने 90 प्रतिशत भूमि खरीदा है। 10 प्रतिशत भूमि का प्रबंध आवास विकास परिषद कर रहा है।

क्या है इंटीग्रेटेड टाउनशिप

इंटीग्रेटेड टाउनशिप एक नियोजित, आत्मनिर्भर क्षेत्र है जहां आवासीय, व्यावसायिक व मनोरंजक स्थान एक साथ होते हैं। स्कूल, अस्पताल, शापिंग सेंटर और अन्य आवश्यक सुविधाएं भी यहां के निवासियों को एक ही स्थान पर मिलती हैं, जिससे आने-जाने का समय बचता है और सुरक्षा और स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा मिलता है।