फिटनेस से जुड़े इन मिथ्स पर नहीं करना चाहिए भरोसा

फिटनेस से जुड़े इन मिथ्स पर नहीं करना चाहिए भरोसा

फिटनेस से जुड़े इन मिथ्स पर नहीं करना चाहिए भरोसा

फिटनेस से जुड़े इन मिथ्स पर नहीं करना चाहिए भरोसा

वर्कआउट करना एक बहुत ही अच्छी आदत है जिसे फॉलो कर आप लंबे समय तक हेल्दी बने रहे सकते हैं लेकिन इसे लेकर लोगों में कई तरह के भ्रम भी हैं जिसे लोग सच मान लेते हैं और फिर उसी के अनुसार वर्कआउट करते हैं। तो अगर आप भी वर्कआउट शुरू करने की सोच रहे हैं तो पहले इन भ्रांतियों और उसके पीछे का सच जान लें फिर आगे बढ़े।

1. मिथ- वर्कआउट रोजाना करने से ही मिलता है फायदा। 

सच- इस धारणा के चलते कई लोग वर्कआउट शुरू ही नहीं कर पाते। बल्कि ये पूरी तरह से गलत है। हफ्ते में 3 से 5 दिन  का वर्कआउट काफी होता है। वर्कआउट के साथ-साथ रेस्ट भी बहुत जरूरी है। इससे वर्कआउट की वजह से डैमेज हुई मसल्स फिर से रिपेयर हो जाती है जो आपके वर्कआउट रूटीन को बनाए रखने में मदद करती हैं।

2. मिथ- वर्कआउट के दौरान पसीना आने पर ही वजन होता है कम।

सच- पसीना शरीर के तापमान को कंट्रोल करने के साथ ओवर हीटिंग से भी बचाता है। पसीने की वजह से बॉडी से पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स निकलते हैं, जो वर्कआउट के बाद खाने-पीने से फिर से बॉडी को मिल जाते हैं। 

3. मिथ- फास्ट एक्सरसाइज करने से तेजी से होता है वजन कम।

सच- ये भी सच नहीं है। बहुत तेज कसरत करने से जल्दी थक जाते हैं और चोट लगने से संभावना भी बनी रहती है। कई बार इस वजह से चक्कर आना, कमर, पेट दर्द, घबराहट, गर्दन दर्द, घुटनों और टखनों की मसल्स भी खिंच सकती है।

4. मिथ- ट्रेडमिल पर दौड़ें या वॉक करें दोनों एक जैसा ही है।

सच- बिल्कुल नहीं, ट्रेडमिल पर दौड़ना, वॉक करने से बिल्कुल अलग है। आप जब वॉक करते हैं तो उस दौरान मसल्स ज्यादा एक्टिव रहती हैं। शरीर में ब्लड का सर्कुलेशन सही तरह से होता है और कैलोरी भी तेजी से बर्न होती है। सुबह-सुबह पार्क या किसी भी ऐसी खुली जगह पर वॉक करने से फेफड़ों और हार्ट को भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन की मिलती है जो ट्रेडमिल पर एक्सरसाइज करने स नहीं मिलती है।