PGI में प्रोपोफोल से 5 नहीं 6 मौतें हुई थी: सर्जरी के दौरान एनेस्थिसिया देने के दैरान बिगड़ी थी मरीजों की तबीयत

PGI में प्रोपोफोल से 5 नहीं 6 मौतें हुई थी: सर्जरी के दौरान एनेस्थिसिया देने के दैरान बिगड़ी थी मरीजों की तबीयत

Deaths Due to Propofol in PGI

Deaths Due to Propofol in PGI

Deaths Due to Propofol in PGI: हिमाचल प्रदेश काला अंब में नेक्सी लेबोरेट्रीज(Nexi Laboratories) द्वारा बनाए गए प्रोपोफोल इंजेक्शन(propofol injection) से चंडीगढ़ PGI में 5 नहीं बल्कि 6 मरीजों की मौत हुई थी। यह नई जानकारी सामने आई है। इसी वर्ष अगस्त के महीने में PGI में सर्जरी के दौरान कुल 75 मरीजों में से 11 के शरीर में इंजेक्शन लगने(injections into the body) के बाद प्रतिकूल प्रभाव(Adverse effect) पड़ा था। 6 की हालत काफी खराब हो गई थी और उन्होंने दम तोड़ दिया था। बता दें कि प्रोपोफोल इंजेक्शन सर्जरी से पहले एनेस्थेसिया के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

विभिन्न फार्मा कंपनियों के प्रोपोफोल इंजेक्शन इस्तेमाल हुए

जानकारी के मुताबिक अगस्त महीने में 75 सर्जरी में विभिन्न फार्मा कंपनियों के प्रोपोफोल इंजेक्शन इस्तेमाल हुए थे। हालांकि सिर्फ एक ही मैन्युफैक्चरिंग यूनिट में तैयार इंजेक्शन में ही दिक्कत पाई गई थी। वहीं PGI ने बाकी कंपनियों के प्रोपोफोल इंजेक्शन की टेस्टिंग भी करवाई थी। हालांकि उनमें कोई दिक्कत नहीं पाई गई थी।

हिमाचल प्रदेश के । प्रोपोफोल इंजेक्ट किए जाने के बाद सर्जरी के मरीजों में हॉयपोटेंशन, एन्यूरिया, पीलिया के लक्षण सामने आए थे। यह असामान्य थे। जिसके बाद ड्रग की सैंपलिंग ली गई थी।

11 में से 4 मरीज बाद में ठीक हो गए थे जबकि 6 की जान चली गई थी। दरअसल प्रोपोफोल इंजेक्शन के संबंधित बैच में दिक्कत थी। जांच के दौरान यह घटिया क्वालिटी के पाए गए थे और कई टेस्ट में फेल हुए थे। वही PGI ने अभी तक आधा दर्जन मौतों के मामले में मैन्युफैक्चरर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। ड्रग कंट्रोल अथॉरिटी को रिपेार्ट सौंपी जा चुकी 

टेस्ट में फेल रहा था ड्रग

बीते 2 सितंबर को इस मामले का खुलासा हुआ था। न्यूरोएनेस्थिसिया के प्रोफेसर ने सर्जरी के दौरान मरीजों की अचानक तबीयत बिगड़ने पर मेल के जरिए इसकी शिकायत दी थी। इसके बाद PGI ने इन-हाउस टेस्टिंग के दौरान ड्रग में 25 के लगभग अशुद्धियां पाई थी और घातक पदार्थ भी मिला था। वहीं पंजाब यूनिवर्सिटी को भी सैंपल भेजे गए थे।

इसकी रिपोर्ट में भी उचित गुणवत्ता के नहीं मिले थे। PGI की रिपोर्ट में मरीजों की मौत के पीछे प्रोपोफोल के एनेस्थेसिया को मौत की ओर इशारा किया गया था। वहीं मामले में सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल आर्गनाइजेशन(CDSCO) द्वारा क्वालिटी चैक पर रिपोर्ट तैयार की गई थी। 27 सितंबर को यह रिपोर्ट मिली थी जिसमें संबंधित ड्रग स्टरिलिटी, फ्री फैटी एसिड, pH, प्रोपोफोल डिमर तथा बेक्टिओन टेस्ट में फेल रहा था

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