मां की ममता जैसी महिमा तीनों लोको में नहीं

मां की ममता जैसी महिमा तीनों लोको में नहीं : राष्ट्रसंत डॉ वसंतविजयजी म.सा.

मां की ममता जैसी महिमा तीनों लोको में नहीं

मां की ममता जैसी महिमा तीनों लोको में नहीं

फाजिल्का। जिले के कीकरवालारूपा कस्बे में रविवार से श्रीमद् देवी भागवत महापुराण कथा का अतिदिव्य वाचन श्रीकृष्णगिरी शक्तिपीठाधीपति, राष्ट्रसंत परम पूज्य गुरुदेवश्रीजी डॉ वसंतविजयजी महाराज साहेब के मुखारविंद से प्रारंभ हुआ। आयोजन स्थल पर भव्य पांडाल में 11 फीट की मां पद्मावतीजी व 9–9 फीट की मां लक्ष्मीजी तथा सरस्वतीजी की प्रतिमाएं स्थापित की गई है। प्रातः के सत्र में विधिवत् कलश पूजन और शाम के सत्र में देवी पद्मावतीजी–भैरवदेव की प्रसन्नता के हवन यज्ञ में वैदिक मंत्रों के साथ आहुतियां दी गई। इस दौरान पूज्य गुरुदेव डॉ वसंतविजयजी म.सा. ने अपने प्रवचन में कहा कि हर कथा, भागवत आदि में देवताओं की विशेषता, महिमा होती है लेकिन श्रीआदिशक्ति जगतजननी भगवती मां पद्मावतीजी की कथा में जो ममता है वह तीनों लोकों में नहीं है। उन्होंने इस मौके पर 16 कलाओं व संपूर्णता प्रदान करने वाली शरद पूर्णिमा दिवस विशेष की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज के दिन किए हुए हर सुकृत कार्य, साधना–आराधना का फल अवश्य मिलता है। वातावरण की अनुकूलता देखकर कार्य करने वाला व्यक्ति सफल होता ही है। शाश्वत कल्याण करने वाली राजराजेश्वरी मां के नाम को बीज बताते हुए डॉ वसंतविजयजी म.सा. ने कहा कि इसे बोने वाला व्यक्ति के अनंत प्रकार के फल सुख, समृद्धि, ऐश्वर्य के रूप में प्राप्त करता ही है। उन्होंने कहा कि प्रयत्न करके कुछ पाया तो उसे मेहनत का फल मानते हैं, बगैर प्रयास के स्वत: मिल जाए उसे भाग्य कहते हैं इसी प्रकार मां के दरबार में, संतो के चरणों की निश्रा प्राप्त होना भाग्य खोलने के समान ही है। सर्वधर्म दिवाकर संतश्रीजी ने कहा कि कथा से तात्पर्य पंडित बनाना नहीं, बल्कि भक्त बनाना है और जो भक्त बन गया वह परमात्मा का है। उपस्थित श्रद्धालुओं को गारंटी के साथ परमात्मा की शक्ति देने की बात के साथ पूज्य गुरुदेवजी ने कहा कि इसके लिए मात्र श्रद्धा और विश्वास से भक्ति करने की जरूरत है। वे बोले मां की कथा आपके जीवन की विभिन्न प्रकार की व्यथा, दुख, संकट व बाधाओं को तो मिटाएगी ही श्रेष्ठ संस्कारोंके साथ उज्जवल भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि जिस शक्ति स्वरूपा मां की उपासना स्वयं ब्रह्मा, विष्णु, महेश करते हो, ऐसी जगतजननी भगवती का नाम यदि संसारी ले ले तो जीवन सर्वोत्तम निश्चित बनेगा। साधना के शिखर पुरुष, आध्यात्म योगीराज पूज्य गुरुदेव डॉ वसंतविजयजी म.सा. के पंजाब प्रांत में पहली बार पदार्पण के साथ इस भव्य आयोजन में चिदम्बरम स्थित नटराज मंदिर के 11 विद्वान पंडितों द्वारा हवन यज्ञ में विभिन्न मेवे, स्वर्ण, रत्न, औषधियां, चन्दन इत्यादि की बीज मंत्रों से आहुतियां दी गई। श्रीमती सुनीता मनमोहन सिहाग एवं श्रीमती रानीपाल अमित सिहाग परिवार द्वारा देवी भागवतजी की आरती की गई। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण पूज्य गुरुदेव श्रीजी के अधिकृत वेरीफाइड यूट्यूब चैनल थॉट योगा पर लाइव प्रसारित किया गया। रात्रि में दिल्ली व राजस्थान के संगीतकार कलाकारों की पार्टी द्वारा भजन भक्ति विभिन्न धार्मिक झांकियां प्रदर्शित की गई। कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्य–शहरों से भी गुरुभक्त शामिल हुए।