Shaktipeeth Bhalai Temple : धार्मिक स्थलों का गढ़ कहे जाने वाले हिमाचल प्रदेश में पूरे साल भक्तों का डेरा रहता है। यहां पर काफी अद्भुत शक्ति वाले मंदिर हैं

इस मंदिर में है अद्भुत शक्ति, मां की प्रतिमा को पसीना आने पर पूरी होती है मन्नत

Shaktipeeth Bhalai Temple

There is amazing power in this temple

धार्मिक स्थलों का गढ़ कहे जाने वाले हिमाचल प्रदेश में पूरे साल भक्तों का डेरा रहता है। यहां पर काफी अद्भुत शक्ति वाले मंदिर हैं। जिनमें से ही एक मंदिर शक्तिपीठ भलेई है। इसको मां भद्रकाली मंदिर नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर की बात जरा हटके है। यह चंबा से लगभग 40 कि.मी. दूरी पर स्थित है।

यह मंदिर बड़ा शक्तिशाली माना जाता है। इस मंदिर की मान्यता है कि अगर मां की मूर्ति पर पसीना आ जाए तो समझो भक्तों की मुराद पूरी हो गई है। जो भक्त सच्चे मन से जो कुछ भी मांगता है मां उसकी अवश्य सुनती है। यहां नवरात्रों के अवसर पर श्रद्धालुओं की अधिक भीड़ होती है। 

नवरात्रों के दिनों ऐतिहासिक शक्तिपीठ भलई माता मंदिर को फूलों से सजाया गया है और यहां भक्तों की लम्बी कतारें माता के दर्शनों के लिए उमड़ी हैं। इस मंदिर में स्थानीय व पर्यटक लाखों की संख्या में आते हैं। बताया जाता है कि इस मंदिर की स्थापना चंबा के राजा प्रताप सिंह ने की थी। शक्तिपीठ भलई मंदिर के पुजारी ने बताया कि नवरात्रों में भक्तों के लिए सुबह सात बजे माता के दर्शनों के लिए कपाट खोले जाते हैं। अष्टमी के दिन कन्या पूजन व हवन पूजन किया जाता है। नवमी को नवरात्रों की समाप्ति की जाती है और नौ दिनों तक भंडारे का आयोजन भी किया जाता है। 

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ऐसे में यहां पर भक्त मां की मूर्ति पर पसीना आने का घंटों इंतजार किया करते हैं, क्योंकि पसीने के समय जितने भक्त मौजूद होते हैं उन सबकी मुराद पूरी हो जाती है। कहा जाता है कि यह मंदिर सैकड़ों साल पुराना है। माता रानी को यहां पर भलेई को जागती ज्योत के नाम से भी पुकारते हैं। 

भलेई का मां भद्रकाली मंदिर के संबंध में कथा है कि 1569 में चंबा रियासत के राजा प्रताप सिंह को माता ने सपने में दर्शन देकर भ्राण नामक गांव में अपने होने का एहसास दिलाया। इसके साथ ही वहां पर तीन घड़ों में खजाना होने के विषय में भी बताया। उन्हें आदेश दिया कि उसका उपयोग मंदिर के निर्माण, लोक कल्याण के कार्यों में किया जाए। जा प्रताप सिंह जब उस प्रतिमा को लेकर चंबा जा रहे थे तो रास्ते में विश्राम के लिए यह लोग यहां भलेई में रुके, उसके बाद से माता की पालकी वहां से उठ ही ना पाई। वही स्थिर होकर रह गई।

राजा नें यही मां के इस मंदिर का निर्माण किया। भलेई का मां भद्रकाली मंदिर में महिलाओं का प्रवेश काफी समय पहले वर्जित माना जाता था। इधर कुछ दशकों से एक अनन्य उपासक दुर्गा देवी को माता ने सपने में आशीर्वाद दिया और उनसे कहा कि महिलाएं भी मंदिर के अंदर आ सकतीं है। तब से महिलाएं भी इस मंदिर में आने लगी हैं। मंदिर के खूबसूरत छोटे से गर्भगृह के अंदर मां भद्रकाली की 2 फुट ऊंची प्रतिमा स्थापित है। मंदिर के अंदर दर्शन के लिए प्रवेश करने को सर झुका कर जाना पड़ होता है।