80 रुपये के करीब पहुंचा डॉलर, गांव रहते हैं या शहर, आप पर भी पड़ने वाला है इसका असर

80 रुपये के करीब पहुंचा डॉलर, गांव रहते हैं या शहर, आप पर भी पड़ने वाला है इसका असर

80 रुपये के करीब पहुंचा डॉलर

80 रुपये के करीब पहुंचा डॉलर, गांव रहते हैं या शहर, आप पर भी पड़ने वाला है इसका असर

नई दिल्ली। बीते कुछ समय से भारतीय मुद्रा यानी रुपये में डालर के मुकाबले गिरावट चल रही है। बीते सप्ताह गुरुवार रुपया इंट्रा-डे यानी दिनभर के कारोबार में डालर के मुकाबले 80 के स्तर को पार करते हुए 79.99 पर बंद हुआ था। हालांकि, शुक्रवार को डालर के मुकाबले रुपया 17 पैसे की मजबूती के साथ 79.82 पर बंद हुआ। लेकिन डालर के मुकाबले सिर्फ रुपये में ही गिरावट नहीं हो रही है, दुनिया के प्रमुख देश आस्ट्रेलिया, जापान, दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड, ब्रिटेन व यूरोप की करेंसी में भी गिरावट हो रही है। 2022 में जनवरी से लेकर अब तक डालर के मुकाबले रुपये के मूल्य में 7.4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। जबकि इसी साल जनवरी से लेकर अब तक अमेरिकी के डालर के मुकाबले आस्ट्रेलियाई डालर के मूल्य में 8.04 प्रतिशत, यूरो में 13.4 प्रतिशत, पाउंड स्टर्लिंग में 14 प्रतिशत, दक्षिण अफ्रीका के रैंड में 8.4 प्रतिशत, न्यूजीलैंड डालर में 11.7 प्रतिशत तो येन में 20 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई है।

2013 में चार महीने में 28 प्रतिशत लुढ़का था रुपया

2013 में मई से लेकर अगस्त तक चार महीने की अवधि में डालर के मुकाबले रुपये के मूल्य में 28 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी। तब मई आरंभ में एक डालर का मूल्य 53.65 रुपये था, जो उसी साल अगस्त में 68.80 रुपये पर पहुंच गया था। 2008 में फरवरी से लेकर अक्टूबर के दौरान भी रुपये के मूल्य में 28 प्रतिशत तक की गिरावट रही थी। फरवरी में एक डालर का मूल्य 39.12 रुपये था, जो अक्टूबर में 49.96 रुपये के स्तर पर पहुंच गया था। ऐसे ही 1997 के अगस्त माह से लेकर 1998 के अगस्त तक डालर के मुकाबले रुपये के मूल्य में 22 प्रतिशत की गिरावट हुई थी।

इसलिए हो रही गिरावट

अमेरिका के फेडरल रिजर्व बैंक की तरफ से ब्याज दर में बढ़ोतरी से निवेशक विभिन्न देशों के बाजारों से डालर निकाल रहे हैं। जब ब्याज दर कम थी तो विदेशी निवेशकों ने भारत जैसे विकासशील देशों के बाजार में खूब निवेश किया। दूसरी तरफ, इस साल फरवरी आखिर में रूस-यूक्रेन युद्ध के आरंभ होते ही कच्चे तेल की कीमत बढ़ने के साथ वैश्विक अनिश्चितता बढ़ गई। ऐसे में निवेशक सतर्क हो गए और भारत जैसे विकासशील देशों के बाजार से पैसा निकालने लगे। पिछले साल अप्रैल से लेकर इस साल 15 जुलाई तक विदेशी निवेशक 31.5 अरब डालर का निवेश भारतीय बाजार से निकाल चुके हैं।