प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट ने छोड़ी पार्टी, कहा - पार्टी में अंतर्कलह से दुखी

प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट ने छोड़ी पार्टी, कहा - पार्टी में अंतर्कलह से दुखी

प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट ने छोड़ी पार्टी

प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट ने छोड़ी पार्टी, कहा - पार्टी में अंतर्कलह से दुखी

देहरादून. चंपावत उपचुनाव से पहले बड़े दावे कर रही कांग्रेस पार्टी को एक बड़ा झटका लगा है. उत्तराखंड में पार्टी के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ नेता जोत सिंह बिष्ट ने कांग्रेस पार्टी से दामन छुड़ा लिया है. हरीश रावत कैंप के नेता माने जाने वाले बिष्ट ने हालिया विधानसभा चुनाव में पार्टी के ही कुछ नेताओं पर भितरघात के आरोप लगाकर साफ तौर पर कहा कि वह कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे रहे हैं. उनके कांग्रेस छोड़ने की पुष्टि हो चुकी है, लेकिन औपचारिकताओं को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है.

विधानसभा चुनाव में धनौल्टी सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले बिष्ट ने सोशल मीडिया पर कांग्रेस से अलग होने को लेकर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस के साथ 4 दशकों तक जुड़े रहे लेकिन अब पार्टी में विचार का धरातल ही नहीं दिख रहा है इसलिए उन्होंने पार्टी से सभी संबंध खत्म कर लिये हैं. धनौल्टी से चुनाव लड़कर हार जाने वाले बिष्ट ने पार्टी के नेताओं पर गंभीर आरोप भी लगाए.

बिष्ट ने क्यों दिया इस्तीफा?

खबरों की मानें तो बिष्ट ने साफ तौर पर कहा है कि पार्टी के कुछ लोगों ने उनके खिलाफ और भाजपा उम्मीदवार के समर्थन में कैंपेनिंग की. बिष्ट ने चुनाव के दौरान पैसे बांटने का आरोप भी मढ़ा. सोशल मीडिया पर उन्होंने लिखा, “सभी साथियों को दुखी मन से सूचित कर रहा हूं कि कांग्रेस में चल रही अंतर्कलह, अनुशासनहीनता, निष्ठावान कार्यकर्ताओं की अनदेखी व एकतरफा फैसलों के चलते और पार्टी के भविष्य को अनिश्चितता की ओर जाते देख रहा हूं. बिना किसी व्यक्तिगत दुर्भावना के कांग्रेस के सभी पदों के साथ प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे रहा हूं.”

क्या है बिष्ट के इस्तीफे का मतलब?

चंपावत उपचुनाव में मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के खिलाफ उम्मीदवार तय करने में जूझ रही कांग्रेस दावा तो कर रही है कि वह मज़बूती से चुनाव लड़ेगी, लेकिन गुटबाज़ी साफ दिख रही है. इधर पंचायत चुनाव भी करीब हैं, ऐसे में पार्टी के वरिष्ठ नेता बिष्ट का इस्तीफ़ा निश्चित तौर पर पार्टी की छवि धूमिल करने वाली घटना मानी जा रही है. इसे कांग्रेस पार्टी किस तरह डिफेंड कर पाएगी, यह कुछ ही समय में पता चलेगा.