Shri Krishna-Radha had made this pool: मथुरा को श्रीकृष्ण का ही स्वरूप माना जाता है क्योंकि वहीं उनका जन्म हुआ था। जन्माष्टमी पर यहां का क्षेत्र भक्ति और प्रभु कृपा से भरा रहता है।
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श्रीकृष्ण-राधा ने बनाए थे यह कुंड, स्नान से होती है पुत्र रत्न की प्राप्ति

Shri Krishna-Radha had made this pool

Shri Krishna-Radha had made this pool

Shri Krishna-Radha had made this pool: मथुरा को श्रीकृष्ण का ही स्वरूप माना जाता है क्योंकि वहीं उनका जन्म हुआ था। जन्माष्टमी पर यहां का क्षेत्र भक्ति और प्रभु कृपा से भरा रहता है। वहीं मथुरा के पास अरिता नामक गांव में 2 सरोवर हैं, जिन्हें  राधा कुंड और कृष्ण कुंड कहा जाता है। कहा जाता है कि नि:संतान दंपति अहोई अष्टमी की मध्य रात्रि को इस कुंड में स्नान करते हैं तो उन्हें संतान प्राप्ति होती है।  

कुंड के विषय में कहा जाता है कि कंस भगवान श्रीकृष्ण को मारना चाहते थे। जिसके लिए उन्होंने अरिष्टासुर नाम के राक्षस को भी भेजा। राक्षस ने बछड़े का रूप बनाकर श्रीकृष्ण की गायों में शामिल हो गया और बाल-ग्वालों को मारने लगा। श्रीकृष्ण ने बछड़े के रूप में छिपे राक्षस को पहचान लिया और उसे पकडक़र जमीन पर पटक-पटककर उसका वध कर दिया। राधा ने श्रीकृष्ण से कहा कि उन्हें गौहत्या का पाप लग गया है। इस पाप से मुक्ति के लिए उन्हें सभी तीर्थों के दर्शन करने चाहिए। 

श्रीकृष्ण ने इस समस्या के समाधान के लिए देवर्षि नारद से पूछा। देवर्षि नारद ने उन्हें बताया कि वे सभी तीर्थों का आह्वान करके उन्हें जल रूप में बुलाएं और उन तीर्थों के जल को एकसाथ मिलाकर स्नान करें। ऐसा करने से गौहत्या के पाप से मुक्ति मिल जाएगी। जिसके बाद श्रीकृष्ण ने अपनी बांसुरी से एक कुंड का निर्माण किया फिर सभी तीर्थों के जल को आमंत्रित किया और स्नान करके पापमुक्त हो गए। उस कुंड को कृष्ण कुंड कहा जाता है।

राधा जी ने भी श्याम कुंड के समीप कंगन से एक कुंड खोदकर उसमें स्नान किया
राधा जी ने भी श्याम कुंड के समीप ही अपने कंगन से एक कुंड खोदकर उसमें स्नान किया। जिसे राधा कुंड या कंगन कुंड भी कहा जाता है। स्नान करने के बाद राधा जी और श्रीकृष्ण ने रास रचाया था। राधा जी ने श्री कृष्ण से कहा था कि अभी वे गौ वध के पाप से मुक्त हुए हैं। वे उन्हें वरदान दें कि जो भी इस तिथि पर राधा कुंड में स्नान करेगा उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी।

इस पर श्री कृष्ण ने राधा जी को यह वरदान दे दिया था। दोनों कुंडों की विशेषता है कि दूर से देखने पर कृष्ण कुंड का जल काला और राधा कुंड का जल सफेद दिखाई देता है। गोवर्धन और राधा कुंड जाने के लिए मथुरा जंक्शन और मथुरा छावनी स्टेशनों से बस और टैक्सी उपलब्ध हो जाती है। यहां पर हवाई मार्ग द्वारा भी जाया जा सकता है। हवाई मार्ग से जाने के लिए पहले आगरा एयरपोर्ट उतरना होगा फिर वहां से मथुरा के लिए ट्रेन या बस लेनी पड़ती है।