माता-पिता की सेवा करें, उनका आशीर्वाद अमोघ है - विजय कौशल महाराज

माता-पिता की सेवा करें, उनका आशीर्वाद अमोघ है - विजय कौशल महाराज

माता-पिता की सेवा करें

माता-पिता की सेवा करें, उनका आशीर्वाद अमोघ है - विजय कौशल महाराज

कथा के पांचवे दिन हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल ने किया दीप प्रज्वलन

चंडीगढ़, 27.04.2022

पंजाब राजभवन में चल रही श्री राम कथा के पांचवें दिन आज हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल श्री राजेन्द्र विश्वनाथ अर्लेकर मुख्य अतिथि द्वारा दीप प्रज्वलन किया गया। उन्होंने कथाव्यास संत श्री विजय कौशल जी महाराज को प्रणाम कर आशीर्वाद लिया।
 
आज के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि का स्वागत पंजाब के गवर्नर बनवारीलाल पुरोहित ने किया। उन्होंने व्यासपीठ को नमन कर भगवान श्री राम जी के चनणों में पुष्प अर्पित किए।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल श्री राजेन्द्र विश्वनाथ अर्लेकर ने कहा कि प्रभु राम जी की कृपा से हम सब यहां श्री राम कथा सुनने के लिए एकत्रित हुए हैं और यहां के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित जी के प्रयास से जो श्री राम कथा का आयोजन यहां पर हो रहा है वह प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा कि कथाव्यास श्री विजय कौशल जी महाराज के मुख से आप सभी जिस राम कथा को सुनकर सौभाग्यशाली हो रहे हैं, उस कथा को सुनने का सौभाग्य मुझे भी आज प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि हमारे हमारे मन में राम हैं लेकिन उनका प्रकटीकरण प्रवचन के माध्यम से ही होता है तथा प्रभु राम का जीवन वृत्तांत देखने को मिलता है। भगवान राम एकात्मकता का प्रतीक हैं। प्रभु राम का जन्म अयोध्या में हुआ लेकिन पूरे भारतवर्ष में उन्होंने अपने जीवन की एक छाप छोड़ दी। उन्हें कई नामों से पुकारा जाता है। पूरी विभिन्नताओं में एकता लाने वाले प्रभु श्री राम ही हैं। उनका चिंतन स्मरण करना हमारा दायित्व बनता है।

राम कथा के पांचवें दिन मंगलाचरण से कथा का शुभारंभ करते हुए कथाव्यास संत श्री विजय कौशल जी महाराज ने बहुत ही मनोरम कथावाचन करते हुए कहा कि जितना हो सके माता-पिता की सेवा कीजिए। माता-पिता का आशीर्वाद अमोघ है। दुनिया के सारे आशीर्वाद निष्फल हो सकते हैं, परन्तु माँ का अशीर्वाद नहीं। उन्होंने कहा कि प्रभु के अशीर्वाद की प्राप्ति के लिए मारे-मारे तीर्थ स्थानों पर भटकने की जगह कुछ समय अपने माता-पिता के चरणों में व्यतीत करें।

गुरू की महिमा का गुणगान करते हुए उन्होंने कहा कि बिना गुरू के भगवद प्राप्ति नहीं हो सकती। पूरा अध्यात्म गुरू की नींव पर खड़ा है। गुरू खोजे नहीं जाते हो जाते हैं। बाहरी चमत्कार तथा गुरू के कितने आश्रम हैं, इन पर जो ध्यान देते हैं और उपर की चमक को देखते हैं वह गुरू नहीं गुरूघंटाल होते हैं। शिष्य गुरू को  छोड़ सकता है, गुरू शिष्य को नहीं छोड़ सकता। जिनके चरणों में बैठकर रोने को मन करे, दुर्गुण दूर हों और भजन में मन लगे, उनके पास सदैव जाएं। उन्होंने पतंग और पतंगे का उदाहरण दिया कि पतंग और पंतगे एक जैसा ही शब्द है, लेकिन दोनों में अंतर है। पतंग परतंत्र होती है उसकी डोरी किसी और के हाथ में होती है लेकिन पतंगा स्वतंत्र होता है जोकि जलकर राख हो जाता है। वैसे ही गुरू कृपा की डोर जीवन में यदि बंध गई तो जीवन आकाश की ओर जाएगा यानि उस जीवन का उत्थान होगा।

शबरी का प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने कहा कि शबरी को उनके गुरूदेव मतंगमुनि ने कहा था कि आपको एक बार श्री राम के दर्शन होंगे। गुरू के वचनों का पालन करते हुए शबरी 62 वर्षों तक भगवान श्री राम जी की राह निहारती रही। गुरू की महिमा का गुणगान करते हुए उन्होंने यह भी समझाया कि गुरू न कभी मरते हैं और न ही जन्म लेते हैं। गुरू प्रकट होते हैं और अंर्तध्यान होते हैं। शिष्य की रक्षा के लिए गुरू की आत्मा सदैव जीवित रहती है। भगवान राम जब शबरी के आश्रम में पहुंचे तब गुरू की आवाज़ शबरी को सुनाई दी कि भगवान राम का आगमन हो गया है। भगवान की प्रतीक्षा में भक्त यदि बैठता है तो भगवान उसके लिए सदैव खड़े रहते हैं।

उन्होंने श्रोतागणों को समझाया कि जिन परिवारों में संध्या के समय आरती नहीं होती वहां हमेशा कलह होती रहती है और जो सदैव संध्या के समय भगवान का नाम लेते हैं भगवान वह सुनने के लिए स्वयं आते हैं।

भगवान के स्वभाव के बारे में उन्होंने बताया कि भगवान श्री राम जी का स्वभाव सरल है और वे किसी का दोष नहीं देखते। यदि वे किसी का दोष देख लेते हैं तो वे उसे याद नहीं रखते। भगवान श्री राम जी के मधुर स्वभाव का आदर रावण ने भी किया था। जबकि सांसारिक लोग बातों को भूलते नहीं हैं। बचपन में किसी ने कुछ कह दिया उसे बुढ़ापे तक याद रखते हैं।

आज की कथा में गणमान्य व्यक्तियों सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

श्री राम कथा के कल छठे दिन गुजरात के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत मुख्य अतिथि होंगे।