सिर्फ दो लड़कों ने शुरू की और स्पेलिंग गलत हो गई तो मिला ये नाम... पढ़िए कैसे Google आज इतनी बड़ी कंपनी बन गई

सिर्फ दो लड़कों ने शुरू की और स्पेलिंग गलत हो गई तो मिला ये नाम... पढ़िए कैसे Google आज इतनी बड़ी कंपनी बन गई

Why is Google called Google

Why is Google called Google

नई दिल्ली: Why is Google called Google: 1990 के दशक में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के दो पीएच.डी. छात्रों ने एक ऐसी क्रांती को जन्म दिया जिसने इंटरनेट सर्फिंग की दुनिया को पूरी तरह से बदल कर रख दिया। Larry Page और Sergey Brin द्वारा शुरू की उस क्रांतिकारी पहल को आज हम Google के नाम से जानते हैं।

आज की तेज रफ्तार जिंदगी में सब कुछ गूगल पर है या गूगल के आस-पास है। यानी गूगल के पास संभवत: हर उस सवाल का जवाब है, जो साधारण मानवीय मस्तिष्क में हिलोरे मारता है, लेकिन शायद आपको यह नहीं मालूम होगा कि गूगल को जन्म देने वाले उसका नाम Google नहीं, बल्कि कुछ और रखना चाहते थे। उनकी छोटी सी भूल ने एक तार्किक शब्द का पूरा अर्थ ही बदल कर रख दिया।

एक गलती जो बना यूनीक ब्रांडिंग विकल्प (A Mistake That Made a Unique Branding Choice)

जिस वक्त पेज और ब्रिन सर्च इंजन को डेवलप कर रहे थे, तो उनके दिमाग में था कि वो इसका ऐसा नाम रखेंगे जो वेब की दुनिया में मौजूद विशाला डाटा को रिप्रेजेंट करे। तमाम दिमागी उधेड़बुन के बाद और विभिन्न संभावनाओं पर विचार-मंथन कर दोनों की सहमती 'गूगोल' शब्द को लेकर बनी, जो की गणित का एक शब्द है।

  • Googol का मतलब होता है कि '1' और उसके पीछे 100 जीरो यानी शून्य। साइंटिफिक भाषा में इसे 'Ten to the power Hundred' भी कह सकते हैं।
  • गूगोल नाम रखने के पीछे पेज और ब्रिन का एक मात्र मकसद यह था कि इस शब्द से उनकी उस कल्पना को बल मिल रहा था, जिसमें उन्होंने वेब की दुनिया में मौजूद तमाम जानकारी को एक जगह पर परोसने का सपना देखा था।

इस गलती की वजह से मिला नया नाम (Got new name due to this mistake)

वेब की दुनिया में किसी भी वेबसाइट को रजिस्टर करने के लिए एक नाम देना होता है, जिसे डोमेन कहा जाता है।जब Larry Page और Sergey Brin अपने सर्च इंजन का डोमेन रजिस्टर करवा रहे थे, तब उन्होंने गलती से 'googol.com' को 'google.com' टाइप कर दिया। वो चाहते तो अपनी भूल सुधार सकते थे, लेकिन बावजूद इसके उन्होंने Google नाम के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया और डोमेन को गूगल के नाम से रजिस्टर कराया।

उस वक्त शायद ही उन्हें यह मालूम था कि उनकी यह छोटी सी गलती भविष्य में एक Multinational Tech Giant कंपनी के रूप में जानी जाएगी और विश्व के सबसे अधिक पहचाने जाने वाले ब्रांडों में से एक बनेगी।

विश्व में Google की धाक (Google's dominance in the world)

आधिकारिक तौर पर 4 सितंबर 1998 को Google को एक सर्च इंजन के रूप में लॉन्च किया गया। जिस वक्त गूगल ने वेब की दुनिया में कदम रखा, तब इसके कुछ competitors पहले से ही मार्केट में मौजूद थे, लेकिन इसके सटीक एल्गोरिथम ने यूजर्स का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया।

गूगल तेजी से लोगों के बीच प्रचिलित हो रहा था, इसके सर्च रिजल्ट अपनी प्रतिस्पर्धियों की तुलना में कहीं अधिक सटीक थे। जिससे इसकी लोकप्रियता में तेजी से बढ़ती चली गई।

पेज और ब्रिन ने अपने प्रोडक्ट की असीम क्षमता को देखते हुए इसका विस्तार करने पर विचार किया। जिसके बाद उन्होंने Gmail, Google Maps, Google Docs और YouTube जैसी कई अन्य सेवाओं की शुरुआत की। प्रत्येक नए प्रोडक्ट के साथ, Google वेब की दुनिया में बादशाहत कायम करता चला गया। इसके साथ ही कंपनी की कमाई में भी खासा इजाफा हुआ। जिससे इसकी पकड़ और मजबूत हो गई।

वेब की दुनिया में गूगल की बादशाहत (Google's dominance in the web world)

 

  •  आज, Google सिर्फ एक सर्च इंजन से कहीं अधिक बन गया है। यह एक तकनीकी दिग्गज है, जो हमारे डिजिटल जीवन के लगभग हर पहलू को छूता है।
  • कंपनी का प्रभाव विज्ञापन, क्लाउड कंप्यूटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तक फैला हुआ है।
  • पेज और ब्रिन के सर्च इंजन का नाम Google सिर्फ एक टाइपो की वजह से पड़ा, लेकिन आज यह ऑनलाइन जानकारी सर्च करने का एक पर्याय बन गया है। यह शब्द हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल हो गया है।

अंत में, एक टाइपो से वैश्विक प्रभुत्व तक Google की यात्रा इनोवेशन, दृढ़ संकल्प और मौके का सही इस्तेमाल करते हुए सफल हुई है। Larry Page और Sergey Brin की ब्रांडिंग ने न केवल एक प्रतिष्ठित कंपनी को जन्म दिया बल्कि इंटरनेट पर सूचनाओं के विशाल डाटा को नेविगेट करने के तरीके में भी क्रांति ला दी।

Google की कहानी एक ऐसा जीवंत उदाहरण है, जो यह साफ तौर पर बताती है कि अगर दिमाग से और पूरी इच्छा शक्ति के साथ काम किया जाए तो गलतियों को भी बड़ी सफलताओं में बदला जा सकता है।

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