यह समय “सरबत का भला” मांगने का नहीं, बल्कि सरबत का भला करने का है - आप सांसद संत सीचेवाल

Flood Fury in Punjab

Flood Fury in Punjab

Flood Fury in Punjab: संत सीचेवाल ने इस मुश्किल घड़ी में लोगों की मदद के लिए एक-दो नहीं बल्कि कई ऐसे काम किए जो उनकी सोच और संवेदनशीलता के बारे में बताते है कि उन्हें लोगों का दर्द महसूस होता है। उन्होंने कहा कि बाढ़ के दौरान जब देश का पेट भरने वाला अन्नदाता खुद अन्न के लिए तरस रहा होता है, वह मंज़र असहनीय है। मंड के किसानों के घर, खेत और जिंदगियां पानी में है। इस मंज़र से पूरा पंजाब गुजर रहा है और पंजाब ने एकजुट होकर इस मुश्किल घड़ी को पार किया है, लेकिन संकट अभी भी टला नहीं है।

बाउपुर मंड में बाढ़ आए 29वां दिन है। लेकिन मंड इलाके में ब्यास नदी का कहर कम नहीं हो रहा। इस वक्त, ब्यास नदी पर स्थित एक टापू, मंड के 46 गांव प्रभावित है। यहां लगभग 15,000 एकड़ जमीन पानी के नीचे है। नदी के बदले रुख ने घरों को धकेलना शुरू कर दिया है। जिससे लोग घर छोड़ने को मजबूर है। पीड़ित लोगों का साथ देने के लिए संगत डटकर उनका साथ दे रही है। और कई परिवारों को वहां से दूर भी भेजा जा चुका है ताकि उनकी जान बचाई जा सके।

राज्यसभा सदस्य संत बलबीर सिंह सीचेवाल और उनकी टीम ने बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए तीन दिन और तीन रातों की लगातार मेहनत से एक विशाल नाव तैयार की। यह नाव बड़ी संख्या में पशुओं और भारी मशीनरी को भी सुरक्षित जगहों पर ले जाने में सक्षम है। अगर बात करें मशीनरी की तो यह लाखों की होती है और इसका खराब हो जाना किसानों की पूंजी का भी भारी नुकसान है। किसान तो पहले से ही बाढ़ की मार झेल रहे है, तो इस समस्या को देखते हुए संत सीचेवाल की इस नाव ने बहुत सारे सामान को सुरक्षित जगह पहुंचाकर कई लोगों के दिलों का बोझ कम किया है और उन्हें सहारा दिया है।

सिर्फ यही नहीं, संत सीचेवाल और उनकी टीम रोज़ 10 घंटे नाव के ज़रिए प्रसाद, पानी और दवाइयों सहित अन्य ज़रूरी सामान पानी में घिरे लोगों तक पहुंचाते है। जब ज़्यादातर राजनेताओं ने पंजाब के विभिन्न जिलों के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का अस्थायी दौरा किया, वहीं संत बाबा सीचेवाल आफत आने के बाद उस जगह से कहीं गए ही नहीं। राज्यसभा सदस्य और पर्यावरण प्रेमी संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने पिछले तीन हफ्तों से मंड बाढ़ राहत को अपना लक्ष्य बनाया हुआ है - चाहे गांव वासियों के बीच रहना, परिवारों को बचाना और राहत सामग्री प्रदान करने के लिए अथक मेहनत कर ये सारे काम किए। उन्होंने हर संभव कोशिश की है जिससे वह ऐसी स्थिति में लोगों के कंधे से कंधा मिलाकर खड़े नज़र आते है।

पिछले तीन हफ्तों से हर सुबह लगभग 8.30 बजे से लेकर शाम 6 या 7 बजे तक संत सीचेवाल पानी में ही लोगों के लिए उतरे नज़र आते है। वह खुद फंसे हुए परिवारों को ले जाते, बच्चों को अपनी गोद में उठाते और परिवारों को वह सब कुछ लादने में मदद करते जिसे वे बचा सकते है, यहां तक कि उन्होंने पशुओं को भी बचाया।

हर रोज़ दर्जनों लोगों को सुरक्षित जगहों पर लाया जाता था। अगस्त के अंत तक उनके द्वारा लगभग 300 जानवरों को बचाया गया। सीचेवाल ने 22 अगस्त को इंग्लैंड की अपनी निर्धारित यात्रा रद्द कर दी, इसकी बजाय बचाव कार्य जारी रखने का फैसला किया। “मैं ऐसे समय में अपने लोगों को छोड़ नहीं सकता,” उन्होंने कहा।

उनके प्रयासों को देखने के बाद कई अन्य राजनेताओं ने भी मंड क्षेत्र का दौरा किया। पूर्व क्रिकेटर और साथी राज्यसभा सदस्य हरभजन सिंह ने 18 अगस्त को बाढ़ प्रभावित गांवों का दौरा किया। बाढ़ के 20 अगस्त - 10 दिन बाद ही - पंजाब के जल संसाधन मंत्री ने मंड का दौरा किया।मुख्यमंत्री भगवंत मान 22 अगस्त को आए थे। हालांकि, सीचेवाल लगातार वहीं मौजूद रहे। वह लोगों के साथ अभी भी डटे हुए है और उनका पूरा साथ दे रहे है। वहां के लोगों को इस बात का पूरा एहसास है।

“जब हमारे खेत पानी में चले गए, तो हमने सोचा कि सब कुछ खत्म हो गया है,” किसान निर्मल सिंह ने अपनी डूबी हुई धान की फसल को देखते हुए कहा, और आगे कहा, “लेकिन जब बाबा जी (सीचेवाल) हर सुबह अपनी नाव में आते थे, तो हमें महसूस हुआ कि हम अकेले नहीं है।”ऐसी मुश्किल घड़ी में अगर लोग यह कह रहे है तो यह अपने आप में संत सीचेवाल के नेकी भरे कामों की गवाही है और दर्शाता है कि वह इस मुश्किल घड़ी में लोगों के साथ है।