Pongal festival is celebrated for 4 days

Pongal: पोंगल पर्व मनाया जाता है 4 दिनों तक, देखें किस दिन होगी किसकी पूजा

Pongal

Pongal festival is celebrated for 4 days

Pongal festival is celebrated for 4 days उत्तर भारत में मकर संक्रांति, लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है। वहीं दक्षिण भारत में सूर्य के उत्तरायण होने पर पोंगल के रूप में मनाया जाता है। पोंगल मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में मनाया जाता है। तमिल कैलेंडर के अनुसार, इस दिन से नववर्ष की शुरुआत होती है।

यह पर्व एक दिन नहीं बल्कि पूरे चार दिनों तक मनाते हैं और इन चार दिनों में अलग-अलग भगवान की पूजा की जाती है। पोंगल Pongal पर्व को धान की फसल काटने के बाद भगवान को शुक्रिया कहने और अपनी प्रसन्नता प्रकट करते लिए मनाते हैं। तमिल पंचांग के अनुसार, पोंगल का पर्व 15 जनवरी से शुरू Pongal festival starts from January 15 हो रहा है।

पोंगल के चार दिन की पूजा Four days worship of Pongal
भोगी पोंगल: पोंगल के पहले दिन को भोगी पोंगल के नाम से जानते हैं। इस दिन इंद्र देव की पूजा करने का विधान है। अच्छी फसल के लिए इंद्र देव को आभार प्रकट करने के लिए पूजा अर्चना करते हैं। इसके साथ ही पुराने सामान को होली की तरह जलाकर नृत्य करते हैं। इसके साथ ही नववर्ष की शुरुआत हो जाती है।

थाई पोंगल: पोंगल के दूसरे दिन को थाई पोंगल के नाम से जानते हैं। इस दिन सूर्यदेव की पूजा करने का विधान है। इस दिन सूर्यदेव को अच्छी फसल के लिए आभार प्रकट करते हुए विशेष तरह की खीर बनाई जाती है। इसी कारण इसे पोंगल खीर कहते हैं।

मात्तु पोंगल: पोंगल के तीसरे दिन को माट्टु पोंगल के नाम से जानते हैं। इस दिन कृषि संबंधी पशि जैसे बैल, सांड, गाय आदि की विधिवत पूजा करने का विधान है। इस दिन बैलों और गायों को सजाया जाता है और उनकी सींगों को रंगा जाता है। आज के दिन ही जलीकट्टू (बैलों की दौड़) का आयोजन किया जाता है।

कन्या पोंगल: पोंगल के चौथे और आखिरी दिन को कन्या पोंगल के नाम से जानते हैं। इसे तिरुवल्लूर के नाम से भी जानते हैं। इस दिन घर की साफ-सफाई के साथ फूलों से सजाया है। मुख्य द्वार में रंगोली बनाने के साथ मुख्य द्वार में नारियल और आम के पत्तों से बने तोरण को लगाया जाता है। इस दिन खुले में गन्ने को रखकर दूध, चावल, चीनी और घी से विभिन्न तरह के पकवान बनाकर सूर्यदेव को भोग लगाया जाता है।

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