Nayagaon Road

Editorial:नयागांव की सड़क को खोलने से जनता की राह होगी आसान  

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Nayagaon Road

Opening of Nayagaon road will make the road easier for the public. चंडीगढ़ में करीब चार दशक से बंद पड़ी एक सडक़ को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने खोलने के आदेश दिए तो सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी। यह व्यवस्था की वह तिकड़मबाजी है, जिसे आम जनता कभी समझ नहीं पाती। हाईकोर्ट ने कहा था कि सामान्य जनता का रास्ता इस तरह से बंद नहीं किया जा सकता। वहीं अब सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि सीएम आवास के बाहर की सडक़ आम जनता के लिए नहीं है। जबकि यह सच है कि माननीय आम जनता के वोट से ही आम जनता की सेवा के लिए बनते हैं। हमारी पूरी न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधानपालिका जनता के लिए ही है।

गौरतलब है कि चंडीगढ़ में सुखना झील से लेकर पंजाब के नयागांव तक की सडक़ को आतंकवाद के दौर में साल 1980 में बंद कर दिया गया था। उस समय इस सडक़ का बंद किया जाना जरूरी था, क्योंकि इससे आने-जाने वालों की वजह से पंजाब एवं हरियाणा के मुख्यमंत्रियों की सुरक्षा को संकट पैदा हो सकता था। हालांकि जब पंजाब से आतंकवाद खत्म हो गया और चंडीगढ़ से भी इसका कोई वास्ता नहीं रहा तब भी मुख्यमंत्रियों की सुरक्षा के नाम पर इस सडक़ को बंद रखा गया। इस सडक़ की वजह से नयागांव में रहने वाले लोगों और यकीन मानिए नयागांव में सिर्फ आम जनता ही नहीं रहती, अपितु पंजाब के बेहद धनाढ्य लोग भी रहते हैं, वे भी इस सडक़ से न आ पाकर चंडीगढ़ के विभिन्न सेक्टरों से घूमकर अपने गंतव्य तक पहुंचते हैं। आखिर आम जनता के साथ यह ज्यादती नहीं है?

गौरतलब है कि इसी सडक़ पर हरियाणा के मुख्यमंत्री का भी आवास है। हालांकि अब जब पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने इस सडक़ को खोलने के चंडीगढ़ प्रशासन को आदेश दिए हैं, तो इस पर पंजाब सरकार की ओर से आपत्ति जताई गई। हवाला दिया गया सुरक्षा का। पंजाब सरकार की याचिका पर ही सुप्रीम कोर्ट ने अब इस सडक़ को खोलने के हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया है। बेशक, न्यायपालिका का आदेश ही सर्वोपरि होता है लेकिन आजकल देश में ऐसे फैसलों की भरमार हो गई है, जब छोटी अदालतों के फैसले तो हाईकोर्ट तक आते-आते बदल दिए जाते हंै या फिर निरस्त कर दिए जाते हैं। लेकिन हाईकोर्ट के फैसलों को भी सुप्रीम कोर्ट में बदल दिया जा रहा है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सेक्टर-2 की इस सडक़ को पहली मई से खोलने के आदेश दिए थे।

इसके बाद चंडीगढ़ पुलिस ने एक ट्रैफिक मैनेजमेंट कमेटी भी बनाई और इसमें दो बाहरी ट्रैफिक एक्सपर्ट भी शामिल किए गए। इस दौरान ट्रैफिक पुलिस ने सडक़ का एक तरफ का हिस्सा ट्राइल के तौर पर खोला और फिर उसमें भी बैरिकेडिंग कर दी। हाईकोर्ट का तर्क था कि जब पंजाब एवं हरियाणा के राज्यपालों के आवासों के सामने से भी रोजाना हजारों लोग सुखना लेक घूमने आते हैं, अगर यह सडक़ खुली रह सकती है तो फिर पंजाब के मुख्यमंत्री के आवास के सामने की सडक़ क्यों नहीं खुली रह सकती। इसके बाद इस सडक़ को खोलने के आदेश  दिए गए। हालांकि पंजाब सरकार ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी और उसने हाईकोर्ट के आदेश को खारिज भी करा दिया।

मालूम हो, नयागांव और न्यू चंडीगढ़ के आसपास का इलाका आज बेहद सघन और भीड़भाड़ वाला हो गया है। यह इलाका चंडीगढ़ के उस दबाव को बांट रहा है, जोकि वर्षों के दौरान धीरे-धीरे इस ब्यूटीफुल शहर पर बढ़ता जा रहा है। पूरे देश से चंडीगढ़ में रहने के लिए, नौकरी के लिए, इलाज के लिए और शिक्षा के लिए लोग आ रहे हैं। प्रत्येक वर्ष लाखों लोग यहां घूमने आते हैं, वहीं हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर जाने के लिए भी चंडीगढ़ के रास्तों का ही इस्तेमाल करते हैं। अब धीरे-धीरे शहर की जरूरत और ज्यादा फैलाव की हो रही है। हालांकि यह दो राज्यों की राजधानी है, उसमें भी पंजाब का हिस्सा हरियाणा से ज्यादा है।

नयागांव पंजाब का ही सबअर्बन इलाका है, यहां दर्जनों फार्म हाउस और रिहायशी कालोनियां हैं, बावजूद इसके चंडीगढ़ से इसका सीधा रास्ता नहीं निकल रहा। क्या नया गांव के लोगों को इसका अधिकार नहीं है कि वे बगैर परेशानी के उस सडक़ का इस्तेमाल कर सकें जोकि उन्हें सीधे गंतव्य तक लेकर जाए। बेशक, यह उनका हक है। लेकिन अब चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में फैसला सुनाया है तो इस पर दोनों ही तरह से विचार की जरूरत है। हालांकि यह संभव हो सकता है कि अगर जनता की परेशानी को समझते हुए पंजाब सरकार इस रास्ते को खुलवाने पर फिर से विचार करे। वैसे भी एक सरकार जनता की सेवा के लिए ही होती है। 

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