राष्ट्र बन्धु नरेंद्र मोदी देश विदेश में सर्वाधिक लोकप्रिय नेता के रूप में स्थापित हो चुके हैं- सूद

राष्ट्र बन्धु नरेंद्र मोदी देश विदेश में सर्वाधिक लोकप्रिय नेता के रूप में स्थापित हो चुके हैं- सूद

राष्ट्र बन्धु नरेंद्र मोदी देश विदेश में सर्वाधिक लोकप्रिय नेता के रूप में स्थापित हो चुके हैं- सूद

राष्ट्र बन्धु नरेंद्र मोदी देश विदेश में सर्वाधिक लोकप्रिय नेता के रूप में स्थापित हो चुके हैं- सूद

नरेन्द्र भाई मोदी आज देश विदेश में सर्वाधिक लोकप्रिय नेता के रूप में स्थापित हो चुके हैं। जिस प्रकार 'गांधी'  मात्र कहने से महात्मा गांधी का, 'नेहरू'  कहने से पंडित जवाहर लाल नेहरू का और 'पटेल'  कहने से सरदार पटेल का चित्र हृदय पटल पर उभरता है  उसी प्रकार केवल 'मोदी'  कहने से ही नरेन्द्र भाई मोदी का चित्र आँखों के सामने आता है। देश के लोगों ने जिसे प्यार किया उसे आदर सूचक उपाधि भी दी। किसी को चाचा नेहरू या,  किसी को जननायक जय प्रकाश कहा,  किसी को दीनबन्धु कहा। मैं सोच रहा था कि नरेन्द्र मोदी को इस देश के लोग किस उपाधि से विभूषित करना चाहेंगे,  भारत के 135 करोड़ लोगों को नरेन्द्र भाई मोदी में अपना हितैषी,  अपना सहायक,  अपना रक्षक, अपना संरक्षक,  अपना मित्र,  एक साथ दिखाई पड़ता है। ऐसे व्यक्ति के लिए यदि हम 'राष्ट्र बन्धु' संबोधन करें तो उचित ही होगा।
नरेन्द्र मोदी का सार्वजनिक जीवन एक खुली किताब है। संघ के स्वयंसेवक के रूप में एक तपस्वी की तरह समाज सेवा की, 2010 में गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में राजनीतिक क्षेत्र में कदम रखा। गुजरात विधानसभा में पहला कदम मात्र विधायक के रूप में नहीं,  मुख्यमंत्री के रूप में रखा और 13 वर्ष तक 'गुजरात मॉडल' के रूप में प्रशासन और विकास का ऐसा ढांचा विकसित किया जिससे गुजरात में समरसता और संपन्नता की नई इबारत लिखी गई। दैवीय आपदाओं के बीच जनता के लिए विश्वास स्तम्भ बना रहने वाला गुजरात का यह मुख्यमंत्री,  तेरह वर्ष तक संपूर्ण गुजरात की आशाओं, अकांक्षाओं का केन्द्र बना रहा। 2014 में अपने प्रिय नरेन्द्र भाई को गुजरात ने राष्ट्र को समर्पित करते हुए, राष्ट्र नायक बनने के लिए भेजा।
आज 72 वर्षीय नरेन्द्र मोदी, आठ वर्ष तक राष्ट्र के प्रधान मंत्री के रूप में कार्य करने के पश्चात केवल गुजरात के नरेंद्र भाई' नहीं रह गए हैं वे राष्ट्र बन्धु बन चुके है। देश का हर वर्ग,  हर क्षेत्र का नागरिक,  हर आयु वर्ग का भारतीय आज उन्हें अपना बन्धु मानता है। यह सब किसी करिश्माई व्यक्तित्व के कारण नहीं हुआ बल्कि नरेन्द्र भाई की कर्मठता, राष्ट्र के  प्रति एकान्त समर्पण और एक सौ पैंतीस करोड़ भारतीयों  के जीवन को हर क्षण ऊँचा उठाने के लिए किए गए भगीरथ प्रयासों से हुआ है इसलिए स्थाई है। 11 अगस्त 1979 को मोरनी में माधू बांध टूटने से हुए भयंकर विनाश को युवा नरेन्द्र ने देखा था और वहाँ के युवाओं को संगठित कर अधिकारियों के साथ मिलकर नगर के पुनर्निर्माण का बीड़ा उठाया था। आत्म निर्भरता का जो पाठ उन्होंने इस समय युवाओं को दिया था वही आज आत्म निर्भर भारत की असंख्य योजनाओं में साकार हो रहा है। आज भारत शस्त्र निर्माण में आत्म निर्भरता की ओर बढ़ रहा है,  उनका निर्यातक भी बन रहा है।
गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में 31 नए विश्वविद्यालय गुजरात को दिए प्रथम फोरेजिक विश्वविद्यालय वहां बनाया, प्रथम रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय  बनवाया। नारी सशक्तिकरण की दिशा में कन्या केलवानी और शाला प्रवेशोत्सव आंदोलन 2003 में प्रारंभ किया था। उनके समय में 18000 गांवों में रहने वाली  लड़कियों ने स्कूल में प्रवेश लिया। खेल महाकुंभों का आयोजन कर गुजरात में खेलों को प्रोत्साहन दिया। 2001 में मोदी ने जब गुजरात का दायित्व संभाला था तब यह एक व्यापारिक वाणिज्यक प्रदेश था, उनके 12 वर्ष के शासनकाल में गुजरात सबसे बड़ा औद्योगिक उत्पादक, अंतरराष्ट्रीय निवेश केंद्र और कृषि क्षेत्र में चमत्कारिक परिणाम देने वाला राज्य बन चुका था। नरेंद्र मोदी, नरेंद्र भाई बन चुके थे। प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र भाई मोदी ने राष्ट्र प्रथम का जयघोष किया स्वामी विवेकानंद जिनका वास्तविक नाम नरेंद्र नाथ था, उनके आदर्श रहे हैं और चरैवेती चरैवती उनका ध्येय वाक्य है।
राष्ट्र को बदलने के लिए शिक्षा के महत्व को पहचानते हुए उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के निर्माण में समय और श्रम दोनों लगाए। तीस हजार से अधिक स्थानीय चुनी हुई संस्थाएं जो पंचायत, ब्लॉक परिषद, जिला परिषद और राज्य सरकारों के रूप में विद्यमान थी, सबसे विचार विमर्श कर इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति का निर्माण हुआ। इसके लिए मोदी ने स्वयं 23 से अधिक मीटिंग ली। राष्ट्र के भविष्य के प्रति ऐसा समर्पण जिसका है वह ‘राष्ट्र बंधु’ कहलाने का अधिकारी है।
 राष्ट्र बंधु मोदी ने युवाओं को ‘चलता है’ के दृष्टिकोण को बदलकर ‘कैसे नहीं होगा’ की जिद्द पकड़ने के लिए प्रोत्साहित किया। जीत की भूख सदा बनाए रखने की प्रवृत्ति से काम करने और बड़े सपने देखने की आदत डालने का मंत्र उन्हें दिया। 2014 से आज तक  2 नए आईआईटी और आईआईएम हर वर्ष खोले गए, कुल मेडिकल सीटों में 80% बढ़ोतरी हुई,  विश्वविद्यालयों की संख्या में 44% वृद्धि हुई,  हर 10 दिन में एक यूनिकॉर्न भारत में बन रहा है,  70,000 से अधिक मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स आज भारत में हैं। 1.34 करोड़ युवाओं को निशुल्क कौशल प्रशिक्षण दिया गया है। निश्चय ही आज युवाओं के लिए मोदी जी आदर्श है। विश्व विख्यात बैडमिंटन खिलाड़ी स्वर्ण पदक विजेता पीवी सिंधु लिखती है,  “यदि कभी इस देश में इस विषय पर बहस होगी कि इस देश में सर्वाधिक स्वीकृत सम्मानित सर्वविदित युवा आदर्श नेता कोन है तो यह बहस निर्णायक रूप में नरेंद्र मोदी के पक्ष में तय हो चुकी है।“ वह लिखती हैं कि मोदी बेसक  आयु की दृष्टि से युवा नहीं और न ही युवाओं को आकर्षित करने वाले क्षेत्रों खेलो, सिनेमा जैसे लोकप्रिय क्षेत्र से हैं फिर भी वे युवाओं के आदर्श हैं क्योंकि उन्होंने युवाओं में जीत की भूख पैदा की , और ‘सब चलता है’ की प्रवृत्ति को ‘कैसे नहीं होगा’ की जिद्द बनाने की प्रेरणा दी है। 
आज मोदी काल में चली अनेक गरीब कल्याण योजनाओं के कारण भी मोदी दीनबंधु है,  सीमाओं की रक्षा के लिए वह राष्ट्र नायक हैं,  धर्म और संस्कृति के रक्षक में वह धर्म ध्वज वाहक हैं,  विज्ञान के क्षेत्र में मंगल तक की उड़ान के प्रेरक होने से वे वैज्ञानिकों के प्रिय हैं,  युवाओं को निर्णायक भूमिका में स्थापित करने और सक्षम बनाने के कारण वे युवा आदर्श हैं। समग्र रूप से राष्ट्र आराधना करने के कारण वे राष्ट्र बंधु हैं।