भगवान शिव कथा का समापन बढी धूमधाम से हुआ ।

भगवान शिव कथा का समापन बढी धूमधाम से हुआ ।

भगवान शिव कथा का समापन बढी धूमधाम से हुआ ।

भगवान शिव कथा का समापन बढी धूमधाम से हुआ ।

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के द्वारा काँगडा वैलफेयर ग्राऊंड, नजदीक काँगडा भवन , नंगल टाउनशिप में 26 जून से 30 जून सांय 7 बजे से रात्रि 10 बजे तक पांच दिवसीय भगवान शिव कथा का आयोजन किया गया। कथा के पाँचवे और अंतिम दिन में सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री सौम्या भारती जी ने शिव विवाह का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि भगवान शिव का यह अद्भुत श्रृंगार रहस्यात्मक है भगवान शिव के तन पर लगी भस्म मानव तन की नश्वरता की ओर संकेत है गले में धारण किए सर्प काल का प्रतीक है । उनके मस्तक पर लगा हुआ चन्द्रमा इस बात का प्रतीक है कि भगवान प्रकाश रूप है। भगवान शिव की बिखरी हुई जटाएं हमारे बिखरे मन का प्रतीक है। भगवान शिव जी की जटाओं से बहती हुई गंगा इंसान को अपने घट के अन्दर अमृत की प्राप्ति की और प्रेरित करती हैं । उनके हाथ में सजा डमरू यह बताता है कि जब एक पूर्ण संत का संग होता है तो ऐसा ही संगीतमय डमरू हमें अपने ही अन्दर ही सुनाई देने लग जाता है।

साध्वी जी ने बताया कि विश्व में शांति केवल बह्यज्ञान से आ सकती है। बह्यज्ञान के द्वारा ही व्यक्ति अपने भीतर ही ईश्वर का साक्षात्कार कर सकता है । बह्यज्ञान केवल एक पूर्ण संत की शरण में जाकर ही प्राप्त हो सकता है। बह्यज्ञान का मतलब है कि ईश्वर को जान लेना । जब हर प्राणी ईश्वर का दर्शन कर लेगा तो उसका मन शांत हो जायेगा। और उसके जीवन की भाग-दौड़ खत्म हो जायेगी। जब धीरे-धीरे मानव शांत हो जायेगा तो विश्व भी शांत हो जायेगा।

कथा के दौरान ज्योति प्रज्वल्लन की गई और इसमे श्री दिलबाग सिंह वैद प्रधान, प्यारे लाल शास्त्री महासचिव, श्री जोगिद्र सिंह लाखा सदस्य, श्रीमति वीना देवी पराशर सदस्य, श्री श्याम मूरारी जी, श्रीमति आरूषी शर्मा जी, श्री राजेश शास्त्री जी, आर सी शर्मा, डा उमा दत्त पाठक, डा पवन, श्रीमति किरण धीर जी विजय ज्यूर्लस, शूभम धीर, श्री सूरजीत सिंह राणा सकाईलारक इमीगरेशन, किशोर एडवोकेट श्रीमति इंदू शर्मा जी, श्री दिलबाग सिंह नंबरदार युबेटा, श्रीमति आशा रानी जी, और शहर की धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधि सम्मलित हुए। विधिवत प्रभु की पावन आरती से किया गया । कथा का समापन विधिवत प्रभु की पावन आरती से किया गया।