last day of naat utsav

गुरशरण सिंह नाट उत्सव का समापन, चरम पर रहे सुचेतक के दो नाटक

Last Day

चंडीगढ़ - Last Day of Gurhsaran Singh Naat Utsav

गुरशरण सिंह नाट उत्सव का पांचवा दिन

सुचेतक रंगमंच (Suchetak Rangmanch) द्वारा आयोजित 'गुरशरण सिंह नाट उत्सव' के पांचवें दिन दो नाटक प्रस्तुत किए गए। यह  नाट उत्सव पंजाब कला परिषद (Punjab Arts Council) और चंडीगढ़ संगीत नाटक अकादमी (Chandigarh Sangeet Natak Academy) के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। इस दिन का पहला नाटक 'बेगमो दी धी' था, जिसे सुचेतक स्कूल ऑफ एक्टिंग (Suchetak School of Acting) के कलाकारों ने प्रस्तुत किया, जबकि दूसरा नाटक सुचेतक रंगमंच (Suchetak Rangmanch) की तरफ से अनीता शब्दीश (Aneeta Shabdeesh) के निर्देशन में किया। पाली भूपिंदर सिंह (Pali Bhupinder Singh) के एकल नाटक 'एन एक्सीडेंट ऑन दिल्ली रोड' के सभी पात्र भी मंच पर यही कर रहे थे।

'बेगमो की धी' दिवंगत कवि जोगा सिंह (Joga Singh) की कविता पर आधारित गुरशरण सिंह (Gursharan Singh) की रचना थी। इस नाटक की कहानी एक स्कूल टीचर के इर्द-गिर्द घूमती है और उस दौर में घटित होती है, जब पंजाब में आतंकवाद की लहर चल रही थी। यह स्कूल टीचर 1947 में जबरन उधाल ली गई एक बेगमो की बेटी थी, जिनका मानना था कि अगर बुरे दिनों में बुरे लोग दांव लगा सकते हैं तो अच्छे लोग भी अपना खेल खेलने में सफल हो सकते हैं। इसी इरादे से वह वैली के गुंडे बेटे की हत्या करती है, जिसने 1947 में उसकी मां को बेच दिया था। इसी हत्या की कहानी है, जिसे नाटक के रूप में दर्शकों के सामने पेश किया जाता है। इस नाटक में साक्षी शर्मा (Sakshi Sharma), भरत शर्मा (Bharat Sharma), सागर शर्मा (Sagar Sharma), हरजाप सिंह (Harjap Singh), तेजिंदर सिंह (Tejinder Singh) और जसवीर सिंह (Jasvir Singh) ने भूमिकाएँ निभाईं।

'गुरशरण सिंह नाट उत्सव' का समापन पाली भूपिंदर सिंह के एकल नाटक 'दिल्ली रोड ते एक हादसा' के साथ हुआ। यह नाटक हमारे लोकतंत्र (Democracy) के उन पर्दों को उजागर करता है, जिसमें राजनीति (Politics) के चेहरों पर मुखौटे उत्तर जाते  है; और हर दिन नए चढ़ जाते हैं। यह नाटक बताता है कि हमारे देश में सत्ता संघर्ष क्या कर रहा है। इस नाटक में चार महिलाएं अपनी कहानियों के जरिए समाज के तमाम तबकों को झकझोर रही हैं। इसका पाँचवाँ चेहरा महारानी है, जिसने स्वतंत्रता के नाम पर शासन करने का हमारा अधिकार छीन लिया है। अब जिसमें कोई भी शामिल हो सकता है; किसी से टक्कर लेने के लिए चुनाव लड़ सकता हैं।

इस नाटक में सत्ता की प्रतीक बनीं महारानी अपने बेटे के बलात्कार की शिकार युवा पीड़िता को आत्महत्या करने पर मजबूर करती हैं, उसके भाई को पुलिस के हाथों मरवा देती है और अपनी बहू का एक्सीडेंट करवा देती  है। यह नाटक दिल्ली की ओर जाने वाली सड़क पर होने वाली  दुर्घटना नहीं है, बल्कि सत्ता के लिए तरस रहे एक राजनेता का आम लोगों पर ज़ुल्म  है।