भारत के नए मुख्य न्यायाधीश बने जस्टिस बीआर गवई; संजीव खन्ना के बाद 52वें CJI होंगे, शपथ लेते ही मां के छुए पैर, यहां वीडियो

Justice BR Gavai New Chief Justice Of India Oath Video News
BR Gavai 52st CJI: सुप्रीम कोर्ट के सीनियर मोस्ट जस्टिस बीआर गवई अब भारत के नए 'मुख्य न्यायाधीश' बन गए हैं। आज बुधवार (14 मई) को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस गवई को 'मुख्य न्यायाधीश' पद की शपथ दिलाई। जस्टिस गवई का शपथ समारोह कार्यक्रम दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में सम्पन्न हुआ। इस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई केंद्रीय मंत्रियों के अलावा निवर्तमान CJI संजीव खन्ना सहित सुप्रीम कोर्ट के कई जस्टिस और अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।
संजीव खन्ना के बाद 52वें CJI होंगे
जस्टिस बीआर गवई 52वें 'चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया' होंगे। जस्टिस बीआर गवई ने 51वें CJI रहे संजीव खन्ना की जगह ली है। संजीव खन्ना 13 मई को रिटायर हो गए। उनका कार्यकाल 6 महीने का ही रहा। खन्ना ने रिटायरमेंट के एक महीना पहले 16 अप्रैल को अपने उत्तराधिकारी के रूप में जस्टिस बीआर गवई के नाम की सिफारिश 'मुख्य न्यायाधीश' के लिए केंद्र सरकार को भेजी थी। जहां महामहिम राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ केंद्र सरकार ने जस्टिस गवई को भारत का नया मुख्य न्यायाधीश नियुक्त कर दिया था।
शपथ लेते ही मां के छुए पैर
भारत के 52वें 'मुख्य न्यायाधीश' के तौर पर शपथ लेने के बाद जस्टिस गवई ने जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत अन्य लोगों से मुलाकात की तो वहीं उसी बीच वहां मौजूद अपनी मां के पैर छूए और उनका आशीर्वाद लिया। वहीं बेटे को 'मुख्य न्यायाधीश' बनते देख एक मां की खुशी भी देखते बन रही थी। जस्टिस गवई की मां इस बीच भावुक भी हुईं। बताया जाता है कि, जस्टिस गवई की मां ने हमेशा यह बात बोली कि मेरा बच्चा मुकद्दर का सिकंदर बनेगा। वहीं स्वर्गीय पिता ने गवई से कहा था, "तुम एक दिन भारत के मुख्य न्यायाधीश बनोगे''। पिता की इच्छा के लिए ही बीआर गवई ने कानून की पढ़ाई की।
जस्टिस गवई का 6 महीने का कार्यकाल होगा
बतौर 'चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया' जस्टिस गवई का 6 महीने का कार्यकाल होगा। यानि संजीव खन्ना की तरह वह भी 6 महीने ही सीजेआई का कार्यभार संभाल पाएंगे। दरअसल, जस्टिस गवई 6 महीने में 65 साल के हो जाएंगे। जिसके चलते उनकी सेवानिवृत्ति हो जाएगी। वह 23 नवंबर, 2025 को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। आम तौर पर सुप्रीम कोर्ट के जज की रिटायरमेंट की उम्र 65 साल होती है। ऐसे में उनके पास 6 महीने का ही समय है। वह मई 2019 में ही सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे और संयोग है कि इसी महीने में शीर्ष अदालत के चीफ जस्टिस बने हैं।
Shri Justice Bhushan Ramkrishna Gavai sworn in as the Chief Justice of the Supreme Court of India at Rashtrapati Bhavan. pic.twitter.com/yo9qpCjNRK
महाराष्ट्र में जन्मे जस्टिस गवई
महाराष्ट्र के अमरावती जिले में जस्टिस बीआर गवई का जन्म 24 नवंबर, 1960 को हुआ था। जस्टिस गवई का पूरा नाम भूषण रामकृष्ण गवई है। जस्टिस गवई देश के दूसरे दलित चीफ जस्टिस बने हैं। उनसे पहले जस्टिस केजी बालाकृष्णन भी मुख्य न्यायाधीश रहे हैं, जो अनुसूचित जाति वर्ग के थे। जस्टिस बीआर गवई के लिए ये सफर इतना आसान नहीं रहा। उन्होंने 1992 में बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपूर खंडपीठ में वकालत की प्रैक्टिस शुरू की। इसके बाद बीआर गवई को 14 नवंबर 2003 को बॉम्बे हाई कोर्ट अतिरिक्त जज की जिम्मेदारी मिली।
इसके बाद नवंबर 2005 में ही वह हाईकोर्ट के स्थायी जज बन गए। वहीं यह सफर आगे बढ़ता हुआ देश की सबसे बड़ी अदालत तक आ पहुंचा। बीआर गवई को 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया। इसके बाद जस्टिस गवई सुप्रीम कोर्ट के कई अहम फैसलों का हिस्सा रहे हैं। उन्हें कई संवैधानिक बेचों में शामिल किया गया। आर्टिकल 370 हटाए जाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं की जिस 5 मेंबर वाली संवैधानिक बेंच ने सुनवाई की थी, उसका एक हिस्सा जस्टिस गवई भी थे।
इसके अलावा राजनीतिक फंडिंग के लिए लाई गई इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को खारिज करने वाली बेंच का भी वह हिस्सा रहे। यही नहीं नोटबंदी के खिलाफ दायर अर्जियों पर सुनवाई करने वाली बेंच में भी वह शामिल थे। वहीं आरक्षण के मसले पर भी बीआर गवई ने सुनवाई की। साथ ही आरक्षण को लेकर की गईं उनकी कई मुखर टिप्पणियां हमेशा चर्चा का केंद्र रहीं। अब जब बीआर गवई भारत के 'मुख्य न्यायाधीश' बने गए हैं तो उनके सामने कई अहम और बड़े मामले सुनने के लिए होंगे।