'संचार साथी' ऐप पर भारत सरकार ने अपना आदेश पलटा; अब मोबाइल फोन में प्री-इंस्टॉलेशन जरूरी नहीं, आसानी से डिलीट भी कर सकते
India Government removes mandatory pre-installation of Sanchar Saathi App
Sanchar Saathi not Mandatory: 'संचार साथी' ऐप को लेकर मचे घमासान के बाद आखिर भारत सरकार ने अपने उस आदेश को भी पलट दिया है जिसमें सभी मोबाइल कंपनियों से यह कहा गया था कि वे 'Sanchar Saathi App' को जरूरी तौर पर मोबाइल में प्री-इंस्टॉल करें। यानि जो नए मोबाइल मार्केट में जायें। उनमें पहले से ही 'संचार साथी' ऐप इंस्टॉल होना चाहिए। जो कि मोबाइल डिवाइस सेटअप करने के साथ ही चालू होकर उपयोगकर्ता को दिख जाए।
लेकिन अब केंद्रीय दूरसंचार मंत्रालय की तरफ से अपने पिछले आदेश में संसोधन के साथ एक नया आदेश जारी कर यह साफ कर दिया गया है कि मोबाइल कंपनियों को संचार साथी ऐप को पहले से इंस्टॉल करने की ज़रूरत नहीं है। PIB की ओर से बुधवार दोपहर इस आदेश को लेकर जानकारी दी गई है। जिसमें कहा गया है कि सरकार ने संचार साथी ऐप को जरूरी तौर पर प्री-इंस्टॉल करने के अपने फैसले को वापस ले लिया है। संचार साथी की बढ़ती स्वीकार्यता को देखते हुए, सरकार ने मोबाइल बनाने वालों के लिए प्री-इंस्टॉलेशन ज़रूरी नहीं करने का फ़ैसला किया है।
जारी आदेश में आगे लिखा है, ''सरकार ने सभी नागरिकों को साइबर सिक्योरिटी देने के इरादे से सभी स्मार्टफोन में संचार साथी ऐप को पहले से इंस्टॉल करना ज़रूरी किया था। यह ऐप सुरक्षित है और इसका मकसद सिर्फ़ नागरिकों को साइबर दुनिया में बुरे लोगों से बचाना है। यह सभी नागरिकों को ऐसे बुरे लोगों और कामों की रिपोर्ट करने में "जनभागीदारी" में मदद करता है, साथ ही यूज़र्स को भी बचाता है। ऐप में यूज़र्स को बचाने के अलावा कोई और काम नहीं है और वे जब चाहें ऐप हटा सकते हैं। सरकार ने यह भी साफ़ कर दिया है।''
आगे बताया गया, ''अब तक 1.4 करोड़ यूज़र्स ने यह ऐप डाउनलोड किया है और हर दिन 2000 फ्रॉड की घटनाओं की जानकारी देने में मदद कर रहे हैं। यूज़र्स की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है और ऐप इंस्टॉल करने की ज़रूरत इस प्रोसेस को तेज़ करने और कम जागरूक नागरिकों को आसानी से ऐप उपलब्ध कराने के लिए थी। सिर्फ़ पिछले एक दिन में, 6 लाख नागरिकों ने ऐप डाउनलोड करने के लिए रजिस्टर किया है, जो इसके इस्तेमाल में 10 गुना बढ़ोतरी है। यह सरकार द्वारा उन्हें दी गई खुद की सुरक्षा के लिए इस ऐप पर नागरिकों के भरोसे को दिखाता है।''

मंगलवार शाम भी आया था संसोधित फैसला
बता दें कि इससे पहले मंगलवार शाम केंद्रीय दूरसंचार मंत्रालय की तरफ से एक संसोधित फैसला जारी कर यह स्पष्ट कर दिया गया था कि Sanchar Saathi App हर मोबाइल यूज़र को मज़बूत साइबर सुरक्षा प्रदान करने के लिए बनाया गया है, न कि उन पर नज़र रखने के लिए और उनकी जासूसी करने के लिए। आगे कहा गया था कि इस ऐप का उपयोग पूरी तरह से अपनी मर्ज़ी से किया जा सकता है, यूज़र की मंज़ूरी और रजिस्टर्ड करने के बाद ही यह एक्टिवेट होता है और इसे कभी भी आसानी से डिलीट किया जा सकता है।
दरअसल यह इस फैसले का संसोधन उस संबंध में था जिसमें केंद्रीय दूरसंचार मंत्रालय द्वारा पहले से जारी हुए आदेश के तहत यह यह कहा गया था कि मैन्युफैक्चरर्स को यह पक्का करना होगा कि मोबाइल डिवाइस सेटअप के दौरान Sanchar Saathi App आसानी से एक्सेस किया जा सके और यह डिसेबल, डिलीट या रिस्ट्रिक्ट न हो। बता दें कि आदेश की इसी लाइन को लेकर विपक्ष बार-बार सरकार से सवाल पूछ रहा था और जासूसी का आरोप लगा रहा था।

संसद में सिंधिया ने दिया बयान
'संचार साथी' ऐप को लेकर मचे घमासान पर आज केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने संसद सदन में बयान भी जारी किया है। सिंधिया ने सदन में कहा कि संचार साथी ऐप जासूसी का नहीं बल्कि साइबर सुरक्षा का टूल है। आम जनता को फ्रॉड के कैंसर से बचाने के लिए ये ऐप है। इससे न तो जासूसी (Snooping) संभव है और न ही कभी होगी। प्रधानमंत्री मोदी की सरकार जनता को अपनी सुरक्षा पर पूरा नियंत्रण और अधिकार देने के लिए प्रतिबद्ध है। सिंधिया ने कहा कि 'संचार साथी' ऐप की सफलता और उसका व्यापक उपयोग जनता के भरोसे और सहभागिता का परिणाम है।
सिंधिया ने बताया कि 22800 करोड़ रुपए का पिछले वर्ष साइबर फ्रॉड हुआ था। एक तरफ सब कहते हैं कि सरकार आम जनता को फ्रॉड से बचाए तो आम जनता को बचाने का तंत्र संचार साथी ऐप है। इसके सारे आंकड़े मैंने कल भी दिए और आज सदन में मैंने सबके समक्ष रखे हैं। हम नागरिकों से मिले सुझावों और फीडबैक के आधार पर नियमों में आवश्यक सुधार करने के लिए सदैव तैयार हैं। जो फीडबैक मिला है उसके आधार पर संशोधन करने की जो भी जरूरत है हम उसे करेंगे।
गौरतलब है कि बीते कल मंगलवार को जब इस ऐप पर बवाल मचा तो ज्योतिरादित्य सिंधिया ने संसद के बाहर इस पर बयान दिया था और यह साफ तौर पर कहा था कि ये कंपलसरी नहीं है और यूजर की बिना परमिशन के ये एक्टिव नहीं होगा। सिंधिया का कहना था कि यह अन्य ऐप की तरह वैकल्पिक होगा। हम चाहें तो इसे अपने डिवाइस में रख सकते हैं और रजिस्टर हो सकते हैं और अगर वह न चाहें ये ऐप डिलीट कर सकते हैं। जारी आदेश को लेकर उन्होंने कहा था कि कई लोगों को इस ऐप की जानकारी नहीं है इसलिए लोगों को जागरूक करने के लिए और इस ऐप की जरूरत के लिए ऐसा किया गया।
.jpg)
विपक्ष ने कहा था- ये ऐप प्राइवेसी पर सीधा हमला
बता दें कि 'संचार साथी' ऐप के प्री-इंस्टॉलेशन और इसके डिसेबल न होने के आदेश से घमासान मच गया था। पूरे विपक्ष ने सरकार की घेराबंदी की। इसके साथ ही सोशल मीडिया पर भी कई लोगों का गुस्सा देखने को मिला। लोगों ने भी कहा कि सरकार इस आदेश से निजता का हनन कर रही है। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा था "यह एक जासूसी ऐप है। नागरिकों को प्राइवेसी का अधिकार है। हर किसी को परिवार, दोस्तों को मैसेज भेजने की प्राइवेसी का अधिकार होना चाहिए। लेकिन यह सरकार सबकी जासूसी करना चाहती है।''
वहीं AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा था, "मोदी सरकार का सभी मोबाइल बनाने वालों को सभी नए और मौजूदा फोन में संचार सारथी ऐप इंस्टॉल करने का आदेश, लोगों की निजता और आज़ादी पर खुला हमला है। दुनिया के किसी भी लोकतंत्र ने ऐसा करने की कोशिश नहीं की है। सरकार द्वारा जाती अधिसूचना में ऐप इंस्टॉल करने के लिए लोगों की सहमति लेने या इसे कभी भी डिलीट करने का विकल्प देने का कोई ज़िक्र नहीं है। आम आदमी पार्टी ऐसे बड़े तानाशाही कामों की निंदा करती है।''
इसी तरह कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने कहा था, "यह प्राइवेसी पर सीधा हमला है। ऐसा लगता है कि मदद के नाम पर भाजपा आम लोगों की प्राइवेसी पर हमला करने की कोशिश कर रही है। सरकार इस ऐप के ज़रिए देश के सभी लोगों पर नज़र रखने की कोशिश कर रही है।'' फिलहाल विपक्ष के तीखे तेवर और जनता से मिली विरोधी प्रतिक्रिया के बाद सरकार बैकफुट पर आ गई और यू-टर्न लेकर आदेश वापस ले लिया है।
'संचार साथी' ऐप कैसे काम करता?
भारत सरकार का यह साइबर सुरक्षा टूल Sanchar Saathi App जनवरी 2025 में लॉंच हुआ था। भारत में App Store और Play Store दोनों पर ये ऐप डाउनलोड के लिए उपलब्ध है। कई मोबाइल यूजर्स इसे डाउनलोड कर इसका उपयोग कर रहे हैं। यह साइबर धोखाधड़ी को रोकने और साइबर दूरसंचार सुरक्षा सुनिश्चित करने और जाली या डुप्लीकेट आईएमईआई (IMEI) वाले मोबाइल उपकरणों को फौरन ट्रेस कर जानकारी देता है। इसकी मदद से अब तक लाखों चोरी और खोये हुए मोबाइल बरामद किए गए। इस एक एप पर आपको साइबर सुरक्षा से जुड़ी कई सुविधाएं मिल जाती हैं और आप अपना बचाव कर सकते हैं।
.jpg)
.jpg)