बिहार चुनाव से पहले लालू परिवार मुश्किल में; IRCTC भ्रष्टाचार में कोर्ट ने तय किए आरोप, रेलवे होटलों के स्कैम से जुड़ा है मामला

Rouse Avenue Court Frames Charges Against Lalu Family In IRCTC Corruption
Lalu Yadav IRCTC Corruption: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले लालू परिवार नई मुश्किल में आ गया है। दिल्ली की राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने IRCTC भ्रष्टाचार मामले (IRCTC Corruption) में पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और अन्य के खिलाफ आरोप तय कर दिए हैं। इस दौरान तेजस्वी यादव कोर्ट में ही मौजूद रहे और बाहर निकलते हुए मीडिया के सवालों से बचते नजर आए। कोर्ट का यह कदम चुनाव से पहले लालू परिवार के लिए एक बड़ा झटका है।
बताया जाता है कि, यह मामला रांची और पुरी स्थित दो IRCTC होटलों के टेंडर में कथित भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ है। इससे पहले भी 950 करोड़ के चारा घोटाला और ज़मीन के बदले नौकरी देने जैसे भ्रष्टाचार में लालू परिवार पर शिकंजा कसा जा चुका है। चारा घोटाले में लालू प्रसाद यादव को लंबी सजा भी सुनाई गई थे और वह जेल काटकर बाहर आए। वहीं अब जब दिल्ली की राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने IRCTC होटलों से संबन्धित भ्रष्टाचार मामले में आरोप तय किए हैं तो सत्ताधारी पार्टी बीजेपी ने लालू परिवार पर निशाना साधा है और कहा ही यह परिवार जल्द ही जेल जाएगा।
दरअसल बीजेपी नेता तरुण चुघ ने लालू परिवार के खिलाफ आरोप तय किए जाने पर कहा, "INDI गठबंधन के पाप, भ्रष्टाचार और लूट का घड़ा अब भर चुका है। अदालत ने भी आरोप तय कर दिए हैं। यह महागठबंधन एक महाठगबंधन है, जल्द ही, लूटेरा परिवार जेल जाएगा और न्याय मिलेगा। इनका नाम न केवल चारा घोटाले से जुड़ा है, बल्कि ज़मीन के बदले नौकरी जैसी बड़े भ्रष्टाचार घोटालों से भी जुड़ा है। कांग्रेस-राजद गठबंधन भ्रष्टाचार और परिवारवाद का गठबंधन है. इनका असली चेहरा जनता के सामने आ गया है। जनता भी इन्हें कड़ी सज़ा देगी।"
सपा ने कहा- न्यायालय अपना काम करेगा
वहीं समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद ने IRCTC होटल भ्रष्टाचार मामले में राउज़ एवेन्यू कोर्ट द्वारा पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, RJD नेता तेजस्वी यादव और अन्य के खिलाफ आरोप तय किए जाने पर कहा, "हम न्यायालय, संविधान का सम्मान करते हैं। इसपर हमें कुछ नहीं कहना है। अदालत के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई औचित्य नहीं है, अदालत अपना काम करती है।"