'नई तकनीकों को अपनाएं और हमेशा तैयार रहें', राजनाथ सिंह बोले सैनिकों के सामने आएंगे चुनौतियां

Rajnath Singh Bhuj Military Station
भुज (गुजरात): Rajnath Singh Bhuj Military Station: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुजरात के कच्छ क्षेत्र के दो दिवसीय दौरे पर हैं. उन्होंने बुधवार को विजयादशमी की पूर्व संध्या पर भुज सैन्य स्टेशन पर सैन्य अधिकारियों और जवानों के साथ एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लिया. साथ ही वह सैन्य कर्मियों के साथ 'बड़ाखाना' नामक रात्रिभोज में शामिल हुए.
इस अवसर पर सैन्य कर्मियों को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने सैनिकों से नई तकनीकों को अपनाने, प्रशिक्षण को प्राथमिकता देने और हमेशा तैयार रहने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि देश के सामने चुनौतियां अधिक जटिल और बहुआयामी हो गई हैं.
उन्होंने कहा, "आज की दुनिया जिस गति से बदल रही है, आप सभी इसे स्वयं देख रहे हैं. अगर हम इस बदलाव में विशेष रूप से तकनीक को देखें, तो तकनीक का स्वरूप निरंतर विकसित हो रहा है... जो चीजें कुछ समय पहले तक आधुनिक तकनीक का हिस्सा हुआ करती थीं, वे अब पुरानी तकनीक का हिस्सा बन गई हैं."
राजनाथ ने कहा कि पारंपरिक युद्ध के अलावा, देश आतंकवाद, साइबर हमले, ड्रोन हमले और सूचना युद्ध जैसी अन्य चुनौतियों का भी सामना कर रहा है. रक्षा मंत्री ने जोर देकर कहा कि युद्ध केवल हथियारों से नहीं जीते जाते. युद्ध मनोबल, अनुशासन और निरंतर तैयारी से जीते जाते हैं.
मई में शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद, राजनाथ सिंह का कच्छ का यह दूसरा दौरा है, जो पाकिस्तान की सीमा से लगा हुआ है.
उन्होंने कहा कि "जाहिर है, इन चुनौतियों का सामना करने के लिए सिर्फ हथियार ही काफी नहीं हैं. मानसिक शक्ति, नवीनतम ज्ञान, रणनीतिक ज्ञान और अनुकूलनशीलता भी जरूरी है. इसलिए, आपको नई तकनीकों को अपनाना चाहिए, प्रशिक्षण को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाना चाहिए और हर परिस्थिति के लिए खुद को हमेशा तैयार रखना चाहिए."
राजनाथ ने उम्मीद जताई कि रक्षा कर्मी साहस के साथ चुनौतियों को अवसरों में बदल देंगे. उन्होंने कहा, "मैं आप सभी को यह भी विश्वास दिलाता हूं कि आपके कल्याण के लिए, भारत की रक्षा और सुरक्षा के लिए, जो भी जरूरी कदम होंगे, सरकार उन्हें उठाने में कभी नहीं हिचकिचाएगी."
उन्होंने कहा कि कच्छ ने कई वीरों को जन्म दिया है और स्थानीय लोगों की देशभक्ति की भावना और कठिन परिस्थितियों में जीने की उनकी कला पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत है. उन्होंने कहा, "भुज और कच्छ की यह धरती सिर्फ एक भौगोलिक स्थिति नहीं, बल्कि एक भावना और साहस की गाथा है. चाहे 1971 का युद्ध हो या 1999 का करगिल युद्ध, कच्छ की सीमाएं हमेशा हमारे सैनिकों की वीरता की गवाह रही हैं. यह एक ऐसी धरती है जिसने सदियों से प्रकृति के प्रकोप और दुश्मनों के हमलों, दोनों का डटकर सामना किया है."
उन्होंने कहा कि कच्छ की यह धरती एक लंबी तटरेखा से घिरी हुई है. ये सीमाएं हमें जमीन और समुद्र, दोनों मोर्चों पर सतर्क और सक्रिय रहने की जिम्मेदारी भी देती हैं. आप सभी सैनिक इस जिम्मेदारी के जीवंत उदाहरण हैं. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सशस्त्र बलों की प्रतिबद्धता के साथ भारत जल्द ही दुनिया की सबसे बेहतरीन सेनाओं में से एक का घर होगा.
राजनाथ सिंह, गुरुवार को विजयादशमी के अवसर पर एक सैन्य अभ्यास में भाग लेंगे, जिसके बाद शस्त्र पूजन होगा. वह कच्छ में लक्की नाला सैन्य छावनी में सैनिकों के साथ बातचीत भी करेंगे.